शीर्ष अमेरिकी सीनेटरों के एक द्विदलीय समूह ने तिब्बती प्रशासन से तिब्बती मुद्दों (Tibetan Issues) को पहले रखने का आग्रह किया, सांसदों ने विशेष रूप से तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के साथ, जिनकी तिब्बती स्पष्ट राजनीतिक और जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान चीन से अलग है. अमेरिकी संसद द्वारा पारित 2020 तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम (टीपीएसए) (TPSA) में कहा गया है कि दलाई लामा (Dalai Lama) के पुनर्जन्म के संबंध में निर्णय वर्तमान दलाई लामा, तिब्बती बौद्ध नेताओं और तिब्बतियों के अधिकार में हैं.
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चीन द्वारा तिब्बत पर अपना नियंत्रण मजबूत करने के बीच अमेरिकी संसद द्वारा पारित तिब्बती नीति और समर्थन कानून (टीपीएसए) 2020 ने इसे अमेरिका की आधिकारिक नीति बना दिया है कि दलाई लामा के अगले अवतार का निर्णय विशेष रूप से वर्तमान दलाई लामा, तिब्बती बौद्ध नेताओं और तिब्बती लोगों के अधिकार के अधीन है.अमेरिकी सांसदों ने नागरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और मानवाधिकार मामलों की उप मंत्री अजरा जिया को लिखे एक पत्र में कहा कि तिब्बत अमेरिका के लिए काफी मायने रखता है. भारतीय मूल की जिया को तिब्बती मुद्दों के लिए विशेष समन्वयक के रूप में नियुक्त किए जाने की संभावना है.
सांसदों ने तिब्बत के प्रति एक अमेरिकी नीति की वकालत की है जो तिब्बती लोगों के अधिकारों, स्वायत्तता और गरिमा की रक्षा करे. पत्र में ऐसी नीति का भी आह्वान किया गया है जो तिब्बत की विशिष्ट राजनीतिक, जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को और अधिक मान्यता देती है. पत्र में कहा गया है ‘‘जैसा कि आप (जिया) विशेष समन्वयक के कर्तव्यों को संभालने के लिए तैयार हैं, हम इस बारे में विचार व्यक्त करना चाहते हैं कि कैसे बाइडन प्रशासन और कांग्रेस (संसद) 2002 के तिब्बती नीति कानून और 2020 के तिब्बत पर अमेरिकी नीति और समर्थन कानून (टीपीएसए) के अनुरूप कार्य के लिए सहयोग कर सकते हैं.''
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सीनेटर मार्को रुबियो के नेतृत्व में सांसदों ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन दलाई लामा के नैतिक संदेश और उदाहरण के महत्व को प्रदर्शित कर सकते हैं. दलाई लामा को ओवल कार्यालय में भेंट के लिए आमंत्रित कर साझा हितों और रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है. पत्र में कहा गया है, ‘‘यदि दलाई लामा यात्रा करने में असमर्थ हैं तो राष्ट्रपति को भारत में उनसे मिलने का अवसर तलाशना चाहिए या उनके स्थान पर एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि, जैसे कि उपराष्ट्रपति या कैबिनेट अधिकारी को ऐसा करने के लिए भेजना चाहिए.''
चीन पर तिब्बत में सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता को दबाने का आरोप है. चीन आरोपों को खारिज कर चुका है. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने तिब्बत पर सुरक्षा नियंत्रण बढ़ाने की एक दृढ़ नीति अपनाई है. चीन बौद्ध भिक्षुओं और दलाई लामा के अनुयायियों के खिलाफ कठोर कदम उठाता रहा है और 86 वर्षीय दलाई लामा को अलगाववादी मानता है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं