कोलकाता:
सोशल मीडिया के जितने पैरोकार हैं, उतने ही इसके आलोचक भी। खासतौर पर इस माध्यम को जल्दबाज़ी और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आलोचनाएं झेलनी पड़ती हैं। फेसबुक या ट्विटर पर अपनी कविताएं या कहानियां लिखने वालों को अक्सर साहित्य जगत में गंभीरता से भी नहीं लिया जाता लेकिन मैन बुकर पुरस्कार के विजेता लेखक बेन ओकरी के लिए मामला कुछ और था।
ओकरी की ट्विटर ने काफी मदद की है क्योंकि अपनी कविताओं को ट्वीट करने के प्रयोग ने बेन ओकरी के शिल्प को निखरने में काफी मदद मिली है। यह बात अलग है कि नाइजीरिया के इस कवि और उपन्यासकार ने अब इस सोशल मीडिया वेबसाइट को छोड़ दिया है। उनका कहना है कि साहित्य की जटिल शैलियों के साथ न्याय करने में सोशल मीडिया विफल है।
आकर्षक प्रयोग
कोलकाता साहित्य महोत्सव में शिरकत करने आए ओकरी का कहना है ‘मेरे ख्याल से मैं पहला लेखक था या उन शुरूआती लेखकों में शामिल था जिन्होंने आधिकारिक तौर पर ट्विटर पर कविताएं लिखनी शुरू की थीं। ऐसा स्वाभाविक रूप से किया गया क्योंकि दोनों माध्यमों में शब्द जरूर सीमित थे लेकिन भावनाएं और विचार काफी बड़े थे। यह बहुत ही आकषर्क था।’ 56 साल के लेखक का मानना है कि ट्वीट करने से उनकी कविताओं पर बहुत शानदार प्रभाव पड़ा क्योंकि इससे न्यूनतम शब्दों में अधिकतम प्रभावी बात कहने की क्षमता बेहतर हुई।
लंदन में रहने वाले ओकरी ने 2009 में ट्विटर पर एक दिन में कविता की एक पंक्ति लिखकर एक नया प्रयोग शुरू किया था। उन्होंने ट्विटर पर सबसे पहले ‘आई सिंग अ न्यू फ्रीडम’ कविता पोस्ट की थी। इसके बाद उन्होंने दो और कविताएं पोस्ट कीं। 2012 में यह तीनों कविताएं ‘वाइल्ड’ नाम के एक कविता संग्रह के रूप में सामने आईं। ओकरी ने कहा ‘इसके बाद मुझे लगा कि अब बहुत हो गया। यह माध्यम बहुत सीमित था क्योंकि इसपर आप जटिल शैलियों को नहीं लिख सकते थे।’
ओकरी की ट्विटर ने काफी मदद की है क्योंकि अपनी कविताओं को ट्वीट करने के प्रयोग ने बेन ओकरी के शिल्प को निखरने में काफी मदद मिली है। यह बात अलग है कि नाइजीरिया के इस कवि और उपन्यासकार ने अब इस सोशल मीडिया वेबसाइट को छोड़ दिया है। उनका कहना है कि साहित्य की जटिल शैलियों के साथ न्याय करने में सोशल मीडिया विफल है।
आकर्षक प्रयोग
कोलकाता साहित्य महोत्सव में शिरकत करने आए ओकरी का कहना है ‘मेरे ख्याल से मैं पहला लेखक था या उन शुरूआती लेखकों में शामिल था जिन्होंने आधिकारिक तौर पर ट्विटर पर कविताएं लिखनी शुरू की थीं। ऐसा स्वाभाविक रूप से किया गया क्योंकि दोनों माध्यमों में शब्द जरूर सीमित थे लेकिन भावनाएं और विचार काफी बड़े थे। यह बहुत ही आकषर्क था।’ 56 साल के लेखक का मानना है कि ट्वीट करने से उनकी कविताओं पर बहुत शानदार प्रभाव पड़ा क्योंकि इससे न्यूनतम शब्दों में अधिकतम प्रभावी बात कहने की क्षमता बेहतर हुई।
लंदन में रहने वाले ओकरी ने 2009 में ट्विटर पर एक दिन में कविता की एक पंक्ति लिखकर एक नया प्रयोग शुरू किया था। उन्होंने ट्विटर पर सबसे पहले ‘आई सिंग अ न्यू फ्रीडम’ कविता पोस्ट की थी। इसके बाद उन्होंने दो और कविताएं पोस्ट कीं। 2012 में यह तीनों कविताएं ‘वाइल्ड’ नाम के एक कविता संग्रह के रूप में सामने आईं। ओकरी ने कहा ‘इसके बाद मुझे लगा कि अब बहुत हो गया। यह माध्यम बहुत सीमित था क्योंकि इसपर आप जटिल शैलियों को नहीं लिख सकते थे।’
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