तेहरान:
भारत और ईरान के बीच के पुराने सांस्कृतिक संबंधों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये वह समय है जब दोनों देश कई 'उतार-चढ़ाव' का गवाह रहे अपने ऐतिहासिक संबंधों के 'पुराने गौरव' को फिर से हासिल करके साथ चल सकते हैं।
कट्टर विचारों वाले लोगों को करारा जवाब
भारत और ईरान के बीच के पारंपरिक संबंधों पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने इस बारे में बात की कि दोनों देशों की संस्कृति किस तरह सदियों से एक दूसरे से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि सूफीवाद और दूसरे सांस्कृतिक संपर्कों का उल्लेख करने के मकसद से आयोजित यह सम्मेलन 'उन लोगों को करारा जवाब है, जो हमारे समाज में कट्टर विचारों का उद्घोष करते हैं'।
पीएम मोदी ने कहा, 'आज की दुनिया में, राजनीतिक पंडित रणनीतिक मिलन की बात करते हैं। परंतु भारत और ईरान दो ऐसी सभ्यताएं हैं, जो हमारी महान संस्कृतियों का उत्सव मनाती हैं।' 'इंडिया एंड ईरान, टू ग्रेट सिविलाइजेशंस: रेस्ट्रोस्पेक्ट एंड प्रॉसपेक्ट्स' नामक इस सम्मेलन में विद्वान एकत्र हुए थे। इस मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री ने फारसी पांडुलिपि भी जारी की।
भारत और ईरान पुराने साझेदार और मित्र
पीएम मोदी ने कहा, 'भारत और ईरान हमेशा साझेदार और मित्र रहे हैं। हमारे ऐतिहासिक संबंधों ने उतार-चढ़ाव देखे होंगे, पंरतु हमारी साझेदारी हम दोनों के लिए अथक शक्ति का स्रोत रही है।' उन्होंने कहा, 'समय आ गया है कि हम पारपंरिक संबंधों और संपर्कों के अतीत के गौरव को फिर हासिल करें। हमारे साथ आगे बढ़ने का भी समय आ गया है।' उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन दोनों देशों की नौजवान पीढ़ी को उनकी सांस्कृतिक धरोहर के सौंदर्य और समृद्धि से रूबरू कराने की जिम्मेदारी निभाता है।
पीएम मोदी ने जारी की फारसी पुस्तक
इस दौरान पीएम मोदी ने फारसी पुस्तक 'कालिलेह-वा-दिमनेह' भी जारी की, जो भारत और ईरान के बीच के ऐतिहासिक संपर्कों को समाहित किए हुए है। उन्होंने कहा, 'यह उल्लेखनीय है कि जातक और पंचतंत्र की भारतीय पौराणिक गाथाएं फारसी कालिलेह-वा-एदिमनेह' बन गई हैं।' प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक विचारों के आदान-प्रदान का शानदार उदाहरण है।'
पीएम मोदी ने कहा, 'दो प्राचीन सभ्यताओं के तौर पर हम (भारत और ईरान) समग्र होने और विदेशी संस्कृतियों का स्वागत करने की अपनी योग्यता के लिए जाने जाते हैं। हमारे संपर्कों ने न सिर्फ हमारी संस्कृतियों को निखारा है, बल्कि इसने वैश्विक स्तर पर उदारवादी और सहिष्णु समाज बनने में योगदान दिया है।' उन्होंने कहा, 'सूफीवाद हमारे प्राचीन संपर्कों में एक मूल्यवाद देन है जो अपने साथ संपूर्ण मानवता के लिए सच्चा प्रेम, सहिष्णुता और स्वीकार्यता का संदेश लेकर आती है।' मोदी ने कहा कि सूफीवाद की भावना 'वसुधव कुटुंबकम' के भारतीय सिद्धांत को परिलक्षित करती है।
रामायण में फारसी के 250 शब्द
प्रधानमंत्री ने कहा, 'अजमेर शरीफ और हजरत निजामुद्दीन की दरगाहों को लेकर ईरान में भी समान रूप से श्रद्धा है। महाभारत और शाहनामा, भीम और रुस्तम, अर्जुन और अर्श हमारे वैश्विक विचारों और मूल्यों को समान रूप से दर्शाते हैं।' उन्होंने कहा कि जरदोजी, गुलदोजी और चंदेरी जैसी शिल्पकलाएं भले ही ईरानी समाज का हिस्सा हों, लेकिन भारत में भी इनके बारे में लोग अच्छी तरह जानते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि रामायण जैसे भारतीय धार्मिक महाकाव्य में फारसी भाषा के करीब 250 शब्द हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
कट्टर विचारों वाले लोगों को करारा जवाब
भारत और ईरान के बीच के पारंपरिक संबंधों पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने इस बारे में बात की कि दोनों देशों की संस्कृति किस तरह सदियों से एक दूसरे से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि सूफीवाद और दूसरे सांस्कृतिक संपर्कों का उल्लेख करने के मकसद से आयोजित यह सम्मेलन 'उन लोगों को करारा जवाब है, जो हमारे समाज में कट्टर विचारों का उद्घोष करते हैं'।
पीएम मोदी ने कहा, 'आज की दुनिया में, राजनीतिक पंडित रणनीतिक मिलन की बात करते हैं। परंतु भारत और ईरान दो ऐसी सभ्यताएं हैं, जो हमारी महान संस्कृतियों का उत्सव मनाती हैं।' 'इंडिया एंड ईरान, टू ग्रेट सिविलाइजेशंस: रेस्ट्रोस्पेक्ट एंड प्रॉसपेक्ट्स' नामक इस सम्मेलन में विद्वान एकत्र हुए थे। इस मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री ने फारसी पांडुलिपि भी जारी की।
भारत और ईरान पुराने साझेदार और मित्र
पीएम मोदी ने कहा, 'भारत और ईरान हमेशा साझेदार और मित्र रहे हैं। हमारे ऐतिहासिक संबंधों ने उतार-चढ़ाव देखे होंगे, पंरतु हमारी साझेदारी हम दोनों के लिए अथक शक्ति का स्रोत रही है।' उन्होंने कहा, 'समय आ गया है कि हम पारपंरिक संबंधों और संपर्कों के अतीत के गौरव को फिर हासिल करें। हमारे साथ आगे बढ़ने का भी समय आ गया है।' उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन दोनों देशों की नौजवान पीढ़ी को उनकी सांस्कृतिक धरोहर के सौंदर्य और समृद्धि से रूबरू कराने की जिम्मेदारी निभाता है।
पीएम मोदी ने जारी की फारसी पुस्तक
इस दौरान पीएम मोदी ने फारसी पुस्तक 'कालिलेह-वा-दिमनेह' भी जारी की, जो भारत और ईरान के बीच के ऐतिहासिक संपर्कों को समाहित किए हुए है। उन्होंने कहा, 'यह उल्लेखनीय है कि जातक और पंचतंत्र की भारतीय पौराणिक गाथाएं फारसी कालिलेह-वा-एदिमनेह' बन गई हैं।' प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक विचारों के आदान-प्रदान का शानदार उदाहरण है।'
पीएम मोदी ने कहा, 'दो प्राचीन सभ्यताओं के तौर पर हम (भारत और ईरान) समग्र होने और विदेशी संस्कृतियों का स्वागत करने की अपनी योग्यता के लिए जाने जाते हैं। हमारे संपर्कों ने न सिर्फ हमारी संस्कृतियों को निखारा है, बल्कि इसने वैश्विक स्तर पर उदारवादी और सहिष्णु समाज बनने में योगदान दिया है।' उन्होंने कहा, 'सूफीवाद हमारे प्राचीन संपर्कों में एक मूल्यवाद देन है जो अपने साथ संपूर्ण मानवता के लिए सच्चा प्रेम, सहिष्णुता और स्वीकार्यता का संदेश लेकर आती है।' मोदी ने कहा कि सूफीवाद की भावना 'वसुधव कुटुंबकम' के भारतीय सिद्धांत को परिलक्षित करती है।
रामायण में फारसी के 250 शब्द
प्रधानमंत्री ने कहा, 'अजमेर शरीफ और हजरत निजामुद्दीन की दरगाहों को लेकर ईरान में भी समान रूप से श्रद्धा है। महाभारत और शाहनामा, भीम और रुस्तम, अर्जुन और अर्श हमारे वैश्विक विचारों और मूल्यों को समान रूप से दर्शाते हैं।' उन्होंने कहा कि जरदोजी, गुलदोजी और चंदेरी जैसी शिल्पकलाएं भले ही ईरानी समाज का हिस्सा हों, लेकिन भारत में भी इनके बारे में लोग अच्छी तरह जानते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि रामायण जैसे भारतीय धार्मिक महाकाव्य में फारसी भाषा के करीब 250 शब्द हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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