बीजिंग:
एक और तिब्बती नागरिक ने दलाई लामा की तिब्बत वापसी की मांग के नारे लगाते हुए खुद को आग लगा ली। लंदन आधारित एक अधिकार समूह ने इस आत्मदाह की जानकारी दी।
'फ्री तिब्बत' नामक इस समूह ने कहा कि 27-वर्षीय ल्हामो क्येब की मौत शनिवार को उत्तरपश्चिमी चीन के गंसू प्रांत में एक मठ के पास हुई। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, उसने खुद को आग लगाई और शिआहे प्रांत के भोरा मठ की ओर भागा। तभी वहां पास खड़े सरकारी सुरक्षा बल के लोग उसके पीछे भागे और लपटें बुझाने की कोशिश करने लगे।
प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि ल्हामो क्येब ने आग बुझाने की कोशिश करने वालों को धक्का देकर ऐसा करने से रोका और फिर वह मठ की ओर चला गया। वहीं वह जमीन पर गिर गया। समूह के अनुसार, मार्च 2011 से अब तक लगभग 60 तिब्बती नागरिक हिमालयी क्षेत्र में चीनी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में खुद को आग लगा चुके हैं।
प्रांत की सरकार और पुलिस को फोन किए जाने पर कोई जवाब नहीं मिल सका। प्रांतीय सरकार में ड्यूटी पर तैनात व्यक्ति ने कहा कि उसे इस घटना की कोई जानकारी नहीं है।
तिब्बत के निदेशक स्टीफेनी ब्रिग्डेन ने एक बयान में कहा, तिब्बती संस्कृति और पहचान पर चीन के क्रूर प्रतिबंध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अब ऐसी स्थिति तक पहुंच चुके हैं, जहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बोलना ही चाहिए। यह तिब्बती आक्रोश सिर्फ इसलिए नहीं थमेगा कि अंतरराष्ट्रीय सरकारें इसे नजरअंदाज कर रही हैं।
चीनी अधिकारी नियमित रूप से तिब्बत के दमन वाले दावों से इनकार करते रहे हैं। हालांकि उन्होंने आत्मदाह के कुछ मामलों को स्वीकार किया है और तिब्बत के निर्वासित अध्यात्मिक नेता दलाई लामा को इन कार्यों को प्रोत्साहन देने का दोषी बताते रहे हैं। दलाई लामा और भारत में स्वघोषित निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि कहते हैं कि वे सभी तरह की हिंसा का विरोध करते हैं।
'फ्री तिब्बत' नामक इस समूह ने कहा कि 27-वर्षीय ल्हामो क्येब की मौत शनिवार को उत्तरपश्चिमी चीन के गंसू प्रांत में एक मठ के पास हुई। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, उसने खुद को आग लगाई और शिआहे प्रांत के भोरा मठ की ओर भागा। तभी वहां पास खड़े सरकारी सुरक्षा बल के लोग उसके पीछे भागे और लपटें बुझाने की कोशिश करने लगे।
प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि ल्हामो क्येब ने आग बुझाने की कोशिश करने वालों को धक्का देकर ऐसा करने से रोका और फिर वह मठ की ओर चला गया। वहीं वह जमीन पर गिर गया। समूह के अनुसार, मार्च 2011 से अब तक लगभग 60 तिब्बती नागरिक हिमालयी क्षेत्र में चीनी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में खुद को आग लगा चुके हैं।
प्रांत की सरकार और पुलिस को फोन किए जाने पर कोई जवाब नहीं मिल सका। प्रांतीय सरकार में ड्यूटी पर तैनात व्यक्ति ने कहा कि उसे इस घटना की कोई जानकारी नहीं है।
तिब्बत के निदेशक स्टीफेनी ब्रिग्डेन ने एक बयान में कहा, तिब्बती संस्कृति और पहचान पर चीन के क्रूर प्रतिबंध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अब ऐसी स्थिति तक पहुंच चुके हैं, जहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बोलना ही चाहिए। यह तिब्बती आक्रोश सिर्फ इसलिए नहीं थमेगा कि अंतरराष्ट्रीय सरकारें इसे नजरअंदाज कर रही हैं।
चीनी अधिकारी नियमित रूप से तिब्बत के दमन वाले दावों से इनकार करते रहे हैं। हालांकि उन्होंने आत्मदाह के कुछ मामलों को स्वीकार किया है और तिब्बत के निर्वासित अध्यात्मिक नेता दलाई लामा को इन कार्यों को प्रोत्साहन देने का दोषी बताते रहे हैं। दलाई लामा और भारत में स्वघोषित निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि कहते हैं कि वे सभी तरह की हिंसा का विरोध करते हैं।
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