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This Article is From Oct 10, 2015

भारतीय मूल के अमेरिकी दंपत्ति ने NYU को 10 करोड़ डॉलर दान में दिए

भारतीय मूल के अमेरिकी दंपत्ति ने NYU को 10 करोड़ डॉलर दान में दिए
चंद्रिका टंडन और उनके पति रंजन टंडन
न्यू यॉर्क: 61 साल की चंद्रिका टंडन ने संस्कृत के एक श्लोक के ज़रिए एनडीटीवी को समझाया कि क्यों उन्होंने अपने पति रंजन टंडन के साथ मिलकर न्यू यॉर्क युनिवर्सिटी (NYU) को 650 करोड़ रूपए दान में दिए।

माना जा रहा है कि यह किसी भी भारतीय मूल के अमेरिकी का दिया गया अब तक का सबसे बड़ा दान है जिसके बाद NYU पॉलिटैक्निक स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग का नाम NYU टंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग कर दिया गया है।

टंडन अपने मकसद को समझाते हुए कहती हैं 'हमारी परंपरा हमें देना सिखाती है। आप अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकते, हमारे हाथ देने के लिए हैं। इसका असर सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं रहेगा, इससे कई पीढ़ियों को फायदा पहुंचेगा।'

इंदिया नूई की बहन हैं चंद्रिका

पेप्सी कंपनी की प्रमुख इंदिरा नूई की बड़ी बहन चंद्रिका ने आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए की पढ़ाई की है और प्रख्यात ग्रैमी संगीत पुरस्कार के लिए भी नामांकित हो चुकी हैं। वहीं रंजन टंडन ने आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और यह दोनों ही 37 साल पहले न्यू यॉर्क आ गए थे जहां इन्होंने आर्थिक सेवा उद्योग में काफी नाम कमाया।

चंद्रिका टंडन ने 1992 में अपनी आर्थिक परामर्श फर्म शुरू की थी और इससे पहले मैक किन्से एंड कंपनी के साथ वह साझेदार थी। उनके पति ने हारवर्ड बिज़नेस स्कूल से ग्रेजुएशन किया और 1990 में लिब्रा एडवाइज़र्स नाम के हेज फंड कंपनी को शुरू किया।

टंडन दंपत्ति के दिए गए इस तोहफे से उम्मीद की जा रही है कि न्यू यॉर्क सिटी में इंजीनियरिंग विषय को लेकर फैली 40 साल की उदासीनता दूर होगी। टंडन ने बताया कि यह विषय उनके दिल के काफी करीब है।

'इस शहर ने बहुत कुछ दिया है'

रंजन टंडन कहते हैं हम पिछले 37 सालों से न्यू यॉर्क में रहते आ रहे हैं और इस शहर का उनके करियर और निजी जीवन में बहुत बड़ा योगदान है।

NYU के अध्यक्ष जॉन सेक्सटन ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा 'चंद्रिका और रंजन दोनों का इस युनिवर्सिटी से कोई लेना देना नहीं है। न तो वो यहां पढ़े हैं और न ही उनके बच्चे। हालांकि पिछले 10 सालों से चंद्रिका बतौर बोर्ड सदस्य काफी सक्रिय रही हैं  और उनका यह कदम तो और भी सराहनीय है।'

आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में 75 प्रतिशत परोपकारी काम व्यक्ति विशेष द्वारा किए जाते हैं जबकि भारत में सरकार ही सबसे ज्यादा दान करती आ रही है। उम्मीद की जा रही है कि टंडन की इस उदारता से भारत में भी सबक लिया जाएगा।

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