प्रतीकात्मक फोटो
वाशिंगटन:
पाकिस्तान के 'दोहरे खेल' से ऊबे अमेरिकी सांसदों ने अगले हफ्ते अमेरिकी कांग्रेस में एक सुनवाई आयोजित करने की घोषणा की है, जिसमें इस बात पर चर्चा की जाएगी कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ युद्ध में अमेरिका का 'दोस्त है या दुश्मन'।
कांग्रेस सदस्य और सदन की विदेशी मामलों की समिति की आतंकवाद, परमाणु अप्रसार एवं व्यापार से संबंधित उप समिति के अध्यक्ष टेड पो ने कहा, 'सुनवाई से सदस्यों को आतंकी समूहों के साथ पाकिस्तान के पुराने संबंधों के बारे में जानने का और पाकिस्तान को लेकर अमेरिका की विदेशी नीति के बेहतर पुनर्मूल्यांकन का मौका मिलेगा।'
'पाकिस्तान: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोस्त या दुश्मन?' नाम की सुनवाई का आयोजन विदेशी मामलों की समिति की आतंकवाद, परमाणु अप्रसार एवं व्यापार से संबंधी उप समिति तथा एशिया एवं प्रशांत से जुड़ी उप समिति कर रही हैं। एशिया एवं प्रशांत से जुड़ी उप समिति के प्रमुख कांग्रेस सदस्य मैट सैलमोन ने पाकिस्तान के कथित 'दोहरे खेल' को लेकर कहा कि अमेरिका ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (9/11 हमला) पर हुए आतंकी हमले के बाद से करदाताओं के अरबों डॉलर पाकिस्तान को मदद देने के लिए खर्च किए।
उन्होंने कहा कि अब पंद्रह साल बाद पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया सेवाएं के तार अब भी आतंकवादी संगठनों से जुड़ रहे हैं और क्षेत्र को स्थिर करने में बहुत कम सफलता मिली है।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कांग्रेस सदस्य और सदन की विदेशी मामलों की समिति की आतंकवाद, परमाणु अप्रसार एवं व्यापार से संबंधित उप समिति के अध्यक्ष टेड पो ने कहा, 'सुनवाई से सदस्यों को आतंकी समूहों के साथ पाकिस्तान के पुराने संबंधों के बारे में जानने का और पाकिस्तान को लेकर अमेरिका की विदेशी नीति के बेहतर पुनर्मूल्यांकन का मौका मिलेगा।'
'पाकिस्तान: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोस्त या दुश्मन?' नाम की सुनवाई का आयोजन विदेशी मामलों की समिति की आतंकवाद, परमाणु अप्रसार एवं व्यापार से संबंधी उप समिति तथा एशिया एवं प्रशांत से जुड़ी उप समिति कर रही हैं। एशिया एवं प्रशांत से जुड़ी उप समिति के प्रमुख कांग्रेस सदस्य मैट सैलमोन ने पाकिस्तान के कथित 'दोहरे खेल' को लेकर कहा कि अमेरिका ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (9/11 हमला) पर हुए आतंकी हमले के बाद से करदाताओं के अरबों डॉलर पाकिस्तान को मदद देने के लिए खर्च किए।
उन्होंने कहा कि अब पंद्रह साल बाद पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया सेवाएं के तार अब भी आतंकवादी संगठनों से जुड़ रहे हैं और क्षेत्र को स्थिर करने में बहुत कम सफलता मिली है।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)