
शी चिनफिंग (फाइल फोटो)
- पार्टी, सेना और सरकार पर अपनी पकड़ और मजबूत करने की इजाजत मिली
- सामूहिक नेतृत्व वाली व्यवस्था के साथ आगे बढ़ने का लिया गया फैसला
- यह व्यवस्था 1981 में शुरू की गई थी ताकि एक व्यक्ति वर्चस्व स्थापित न करे
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बीजिंग:
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग को नेतृत्व का ‘प्रमुख’ नियुक्त करते हुए उन्हें उसी तरह का दर्जा प्रदान किया है जो पार्टी के संस्थापक ‘चेयरमैन’ माओत्से तुंग का था. साथ ही उन्हें पार्टी , सेना और सरकार पर अपनी पकड़ और मजबूत करने की भी इजाजत दे दी. पार्टी की एक प्रमुख बैठक में साथ ही यह फैसला भी किया गया कि सामूहिक नेतृत्व वाली व्यवस्था के साथ आगे बढ़ा जाएगा.
यह व्यवस्था 1981 में शुरू की गई थी ताकि कोई एक व्यक्ति पार्टी नेतृत्व पर वर्चस्व स्थापित नहीं कर सके. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार 370 मुख्य नेताओं की चार दिन तक चली बंद कमरे में बैठक के बाद सीपीसी के शीर्ष नेताओं की ओर से बयान में इस बात का आह्वान किया गया कि सभी सदस्य सीपीसी केंद्रीय समिति के ईद-गिर्द एकजुट हो जाएं जहां कॉमरेड शी चिनफिंग प्रमुख होंगे.’
राष्ट्रपति होने के साथ 63 साल के शी सीपीसी के महासचिव और सेना के प्रमुख हैं. जानकारों का कहना है कि शी को ‘प्रमुख’ नेता बनाने का कदम उनको पार्टी के भीतर अगले साल के आखिर में होने वाले फेरबदल को लेकर उन्हें काफी प्रभावी बनाता है. एक कयास यह भी लगाया जा रहा था कि पार्टी तीन दशक से भी अधिक समय से चले आ रहे सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था में बदलाव कर सकती है. हालांकि पार्टी के पूर्ण अधिवेशन में सीपीसी के भीतर सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था का अनुपालन जारी रखने की जरूरत पर जोर दिया गया. इससे पहले इस तरह की अटकलें थी कि इस व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है.
शी फिलहाल सात सदस्यीय स्थायी समिति का नेतृत्व कर रहे हैं. यह सात सदस्यीय समिति शासन के कई पहलुओं पर विचार कर रही है इसमें प्रधानमंत्री ली क्विंग भी शामिल हैं. शी चिनफिंग नवंबर, 2012 में पार्टी का नेता और 2013 में राष्ट्रपति एवं सेना का प्रमुख बनने के बाद से एक ऐसे शक्तिशाली नेता के तौर पर उभरे हैं जो शायद माओ के बाद दूसरा सबसे ताकतवर नेता के रूप में देखे जा रहे हैं. ऐसे में स्थायी समिति का महत्व कम हो गया है.
पार्टी नेताओं के बयान में कहा गया है कि सीपीसी के लोकतांत्रिक केंद्रीकरण के बुनियादी संगठनात्मक सिद्धांत का महत्वपूर्ण हिस्सा होने के तौर पर सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था का हमेशा अनुसरण करना चाहिए और किसी संगठन अथवा व्यक्ति द्वारा किसी भी हालात में या किसी भी वजह से इसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए.
बयान के अनुसार विभिन्न स्तर पर मौजूद पार्टी की समितियों को इस व्यवस्था का पालन करना चाहिए. इसमें प्रमुख पदाधिकारियों का आह्वान किया गया है कि वे संपूर्ण हालात और संबंधित जिम्मेदारियों को लेकर अपनी समझ बढ़ाएं और पार्टी संगठनों की ओर से किए गए फैसलों को लागू कराएं. सीपीसी के पूर्ण अधिवेशन में पार्टी के अनुशासन को लेकर दो दस्तावेजों को भी स्वीकृति प्रदान की है जिसमें नयी स्थिति के तहत पार्टी के भीतर राजनीतिक जीवन के नियमों की बात भी शामिल है.
अधिवेशन में यह भी कहा गया है कि सीपीसी चुनाव में गलत आचार के मुद्दे का निवारण करेगी, आधिकारिक पदों को खरीदने अथवा बेचने या मतदान में धांधली पर अंकुश लगाएगी. पार्टी ने कहा कि आधिकारिक पद, सम्मान अथवा विशेष आवभगत के लिए आग्रह को किसी भी सूरत में इजाजत नहीं दी जाएगी. साल 2012 में हुए 18वें कांग्रेस में शी और प्रधानमंत्री ली क्विंग का चुनाव किया गया था. दोनों का कार्यकाल 10 साल का है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यह व्यवस्था 1981 में शुरू की गई थी ताकि कोई एक व्यक्ति पार्टी नेतृत्व पर वर्चस्व स्थापित नहीं कर सके. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार 370 मुख्य नेताओं की चार दिन तक चली बंद कमरे में बैठक के बाद सीपीसी के शीर्ष नेताओं की ओर से बयान में इस बात का आह्वान किया गया कि सभी सदस्य सीपीसी केंद्रीय समिति के ईद-गिर्द एकजुट हो जाएं जहां कॉमरेड शी चिनफिंग प्रमुख होंगे.’
राष्ट्रपति होने के साथ 63 साल के शी सीपीसी के महासचिव और सेना के प्रमुख हैं. जानकारों का कहना है कि शी को ‘प्रमुख’ नेता बनाने का कदम उनको पार्टी के भीतर अगले साल के आखिर में होने वाले फेरबदल को लेकर उन्हें काफी प्रभावी बनाता है. एक कयास यह भी लगाया जा रहा था कि पार्टी तीन दशक से भी अधिक समय से चले आ रहे सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था में बदलाव कर सकती है. हालांकि पार्टी के पूर्ण अधिवेशन में सीपीसी के भीतर सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था का अनुपालन जारी रखने की जरूरत पर जोर दिया गया. इससे पहले इस तरह की अटकलें थी कि इस व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है.
शी फिलहाल सात सदस्यीय स्थायी समिति का नेतृत्व कर रहे हैं. यह सात सदस्यीय समिति शासन के कई पहलुओं पर विचार कर रही है इसमें प्रधानमंत्री ली क्विंग भी शामिल हैं. शी चिनफिंग नवंबर, 2012 में पार्टी का नेता और 2013 में राष्ट्रपति एवं सेना का प्रमुख बनने के बाद से एक ऐसे शक्तिशाली नेता के तौर पर उभरे हैं जो शायद माओ के बाद दूसरा सबसे ताकतवर नेता के रूप में देखे जा रहे हैं. ऐसे में स्थायी समिति का महत्व कम हो गया है.
पार्टी नेताओं के बयान में कहा गया है कि सीपीसी के लोकतांत्रिक केंद्रीकरण के बुनियादी संगठनात्मक सिद्धांत का महत्वपूर्ण हिस्सा होने के तौर पर सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था का हमेशा अनुसरण करना चाहिए और किसी संगठन अथवा व्यक्ति द्वारा किसी भी हालात में या किसी भी वजह से इसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए.
बयान के अनुसार विभिन्न स्तर पर मौजूद पार्टी की समितियों को इस व्यवस्था का पालन करना चाहिए. इसमें प्रमुख पदाधिकारियों का आह्वान किया गया है कि वे संपूर्ण हालात और संबंधित जिम्मेदारियों को लेकर अपनी समझ बढ़ाएं और पार्टी संगठनों की ओर से किए गए फैसलों को लागू कराएं. सीपीसी के पूर्ण अधिवेशन में पार्टी के अनुशासन को लेकर दो दस्तावेजों को भी स्वीकृति प्रदान की है जिसमें नयी स्थिति के तहत पार्टी के भीतर राजनीतिक जीवन के नियमों की बात भी शामिल है.
अधिवेशन में यह भी कहा गया है कि सीपीसी चुनाव में गलत आचार के मुद्दे का निवारण करेगी, आधिकारिक पदों को खरीदने अथवा बेचने या मतदान में धांधली पर अंकुश लगाएगी. पार्टी ने कहा कि आधिकारिक पद, सम्मान अथवा विशेष आवभगत के लिए आग्रह को किसी भी सूरत में इजाजत नहीं दी जाएगी. साल 2012 में हुए 18वें कांग्रेस में शी और प्रधानमंत्री ली क्विंग का चुनाव किया गया था. दोनों का कार्यकाल 10 साल का है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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