थाईलैंड की सेना ने छह महीने तक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की है। हालांकि सेना ने इस बात से इनकार किया कि यह कदम तख्तापलट करने की प्रक्रिया है।
सेना ने यह घोषणा देर रात 3 बजे सेना के टेलीविजन चैनल पर की।
सेना के टेलीविजन चैनल पर चलने वाले टिकर में कहा गया, सेना का लक्ष्य सभी समूहों एवं सभी पक्षों के लिए सुरक्षा मुहैया कराना और शांति एवं व्यवस्था बनाए रखना है। सेना ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उठाया गया उसका यह कदम तख्तापलट नहीं है।
चैनल ने कहा, लोगों से अपील की जाती है कि वे घबराएं नहीं। वे अपना काम पहले की तरह जारी रख सकते है। मार्शल लॉ लगाना तख्तापलट करना नहीं है। सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि मार्शल लॉ लगाने से कार्यवाहक सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सेना के बयान पर सैन्य प्रमुख प्रायुथ चान ओचा ने हस्ताक्षर किए हैं। इस बयान में 1914 के एक कानून का हवाला दिया गया है, जो संकट के समय सेना को हस्तक्षेप करने की इजाजत देता है।
देश में लंबे समय से चल रहे राजनीतिक संकट और सरकार एवं विपक्ष के बीच कई महीनों से बढ़ते तनाव के बाद मार्शल लॉ लगाया गया है। सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने सरकार को अपदस्थ करने के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए हैं। सत्ता के दुरुपयोग के मामले में एक संवैधानिक अदालत द्वारा यिंगलक शिनावात्रा को प्रधानमंत्री पद से और कैबिनेट के नौ मंत्रियों को पद से हटाए जाने के बाद यह संकट और गहरा गया है।
सेना ने यह भी घोषणा की कि देश के सभी रेडियो एवं टेलीविजन स्टेशनों को ‘जरूरत पड़ने पर’ अपने सामान्य कार्यक्रमों को रोकना होगा।
थाईलैंड के सरकारी टेलीविजन चैनल ने देश की राजधानी में प्रसारण केंद्रों के बाहर तैनात सैनिकों और हथियारबंद वाहनों की तस्वीरें दिखाते हुए कहा कि सेना थाईलैंड के सभी टेलीविजन स्टेशनों की निगरानी कर रही है।
अंतरिम प्रधानमंत्री निवात्तुमरोंग बूनसोंगपैसान के एक सहयोगी ने कहा कि सेना के निर्णय के बारे में सरकार से विचार-विमर्श नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, उन्होंने यह कदम एकतरफा उठाया है। सरकार इस संबंध में एक विशेष बैठक कर रही है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यिंगलक को हटाया जाना नाकाफी है और हाल में राजधानी में राजनीतिक हिंसा भड़क गई थी। इसके मद्देनजर सेना प्रमुख ने एक कड़ी चेतावनी दी थी। इस चेतावनी के कुछ दिनों बाद ये नाटकीय घोषणाएं की गई हैं।
सेना ने कहा कि मार्शल ला लगाने का कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की बड़े पैमाने पर रैलियों के कारण ‘ देश की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
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