जब पावेल ड्यूरोव पिछले शनिवार को अपने निजी जेट से फ्रांस पहुंचे, तो पुलिस ने उनका स्वागत किया और तुरंत उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उनकी गिरफ्तारी अब दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रही है. डायरेक्ट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म टेलीग्राम के संस्थापक के रूप में, उन पर इस पर होने वाले व्यापक अपराधों को सुविधाजनक बनाने का आरोप लगाया गया था. अगले दिन, एक फ्रांसीसी न्यायाधीश ने ड्यूरोव की हिरासत की प्रारंभिक अवधि बढ़ा दी, जिससे पुलिस को उसे 96 घंटे तक हिरासत में रखने की अनुमति मिल गई थी. हालांकि बाद में शर्तों के साथ उन्हें जमानत दे दी गई. इस बीच टेलीग्राम ने ड्यूरोव पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया. कंपनी ने एक बयान में कहा कि यह दावा करना बेतुका है कि कोई प्लेटफ़ॉर्म या उसका मालिक उस प्लेटफ़ॉर्म के दुरुपयोग के लिए ज़िम्मेदार है.
ट्रेलीग्राम के फाउंडर पावेल पर क्या आरोप
टेलीग्राम के संस्थापक और सीईओ पावेल ड्यूरोव पर फ्रांस में मैसेजिंग ऐप पर कई आपराधिक गतिविधियों की अनुमति देने का आरोप लगाया गया है. अदालत ने फैसला सुनाया कि अरबपति टेलीग्राम पर बाल यौन शोषण की तस्वीरों, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों के प्रसार को रोकने में विफल रहे. पेरिस के अभियोजकों ने एक बयान में कहा कि पावेल ड्यूरोव पर अधिकारियों द्वारा मांगे गए दस्तावेजों को साझा करने से इनकार करने के साथ-साथ "चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी में नाबालिगों की तस्वीरों का प्रसार" और साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी, धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है.
39 वर्षीय पावेल के खिलाफ लगाए गए आरोपों से पता चलता है कि प्लेटफ़ॉर्म अधिकारियों के साथ लगभग पूरी तरह से असहयोगी रूख अपनाता है और इसमें यह आरोप भी शामिल है कि उन्होंने एजेंसियों को संदिग्धों पर कानूनी वायरटैप चलाने में मदद करने से इनकार कर दिया. साथ ही उन पर गिरोहों और संगठित आपराधिक नेटवर्क को ऐप पर अवैध लेनदेन करने में सक्षम बनाने का भी आरोप लगाया गया है.
कौन हैं पावेल ड्यूरोव? कैसे बने रूस के जकरबर्ग
1984 में रूस में जन्मे पावेल ड्यूरोव के पास फ्रांसीसी नागरिकता भी है. पावेल ने रूस में एक फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म की शुरुआत की थी, जिनका नाम Vkontakte था. जिससे उन्हें इतनी प्रसिद्धि मिली कि उन्हें रूस का मार्क जकरबर्ग भी कहा जाने लगा था. यह समझा सकता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अपने ऐप की भूमिका और चरमपंथी समूहों और अपराधियों द्वारा इसके व्यापक उपयोग के बावजूद वह यह यात्रा आसानी से कैसे कर पाए. ड्यूरोव ने 2006 में सोशल मीडिया साइट, वीकांटैक्ट शुरू की थी, जो रूस में बहुत लोकप्रिय है. हालांकि, साइट के नए मालिक इसे कैसे चला रहे थे, इस पर विवाद के कारण उन्हें 2014 में कंपनी छोड़नी पड़ी. इससे कुछ समय पहले ही ड्यूरोव ने टेलीग्राम बनाया था.
पावेल का यह मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म एन्क्रिप्शन की सुरक्षा भी प्रदान करता है जिससे अपराधों को ट्रैक करना और निपटना पहले से कहीं अधिक कठिन हो जाता है. लेकिन वही सुरक्षा लोगों को सत्तावादी सरकारों का विरोध करने में भी सक्षम बनाती है जो असहमति या विरोध को रोकना चाहती हैं. ड्यूरोव के टेक सेक्टर से जुड़ी नामचीन हस्तियों एलन मस्क और मार्क जुकरबर्ग के साथ भी संबंध हैं, और उन्हें मुखर रूप से उदारवादी तकनीकी समुदाय में बड़ा सपोर्ट मिलता है. लेकिन उनका मंच कानूनी चुनौतियों से अछूता नहीं है - यहां तक कि उनके जन्मस्थान देश में भी.
पावेल को इन शर्तों के साथ मिली जमानत
शनिवार को गिरफ्तार किए गए रूसी मूल के ड्यूरोव को इस शर्त पर जमानत दी गई है कि उन्हें फ्रांस नहीं छोड़ना होगा और सप्ताह में दो बार पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना होगा. उन्हें 5.6 मिलियन डॉलर की जमानत भी देने का आदेश दिया गया है. रविवार को टेलीग्राम पर जारी एक बयान में, दुबई स्थित कंपनी ने दावा किया कि ड्यूरोव के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है और यह ऐप यूरोपीय कानूनों का पूरी तरह पालन करता है. ऐसे में यह दावा करना बेतुका है कि कोई प्लेटफ़ॉर्म या उसका मालिक उस प्लेटफ़ॉर्म के दुरुपयोग के लिए ज़िम्मेदार है. हम इस मामले के शीघ्र समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
फिर उठा स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का सवाल
इस मामले ने इस बात पर बहस को हवा दी है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहां समाप्त होती है और कानून का प्रवर्तन कहां से शुरू होता है. ताजा मामला सरकारों और टेलीग्राम के बीच असहज संबंधों को भी दर्शाता है, टेलीग्राम के करीब 1 बिलियन उपयोगकर्ता हैं, जबकि यह उन तकनीकी दिग्गजों के लिए चेतावनी है जो अपने प्लेटफ़ॉर्म पर कथित अवैधता के लिए अधिकारियों का पालन करने से इनकार करते हैं.
पावेल के समर्थन में एलन मस्क और स्नोडेन
दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक एलन मस्क और एडवर्ड स्नोडेन ने भी पावेल का समर्थन किया है. मस्क ने X पर एक पोस्ट किया और उसें #FreePavel का इस्तेमाल किया. टेलीग्राम ने अपने एक स्टेटमेंट में कहा कि वह यूरोपीय यूनियन के कानून का पालन करते हैं. कंपनी ने कहा कि यह दावा गलत है कि उनका प्लेटफॉर्म और प्लेटफॉर्म मालिक उसके दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार हैं. टेलीग्रीम दुनियाभर में एक पॉपुलर मैसेजिंग ऐप है, जिसका इस्तेमाल भारत, रूस, यूक्रेन, ईरान और कई देश में किया जाता है.
व्हाट्सएप और टेलीग्राम में क्या अंतर
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 100 मिलियन से ज़्यादा ऐप डाउनलोड के साथ, भारत टेलीग्राम का सबसे बड़ा बाज़ार है. रूस, अमेरिका और ब्राज़ील में भी इसका काफ़ी इस्तेमाल होता है. लगभग सभी भारतीय राज्यों की पुलिस को साइबर अपराध से चुनौती मिल रही है, जिसके लिए भी कथित तौर पर ऐप का काफ़ी इस्तेमाल किया जा रहा है. क्या यह व्हाट्सएप से अलग है? दोनों ही इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप हैं, लेकिन टेलीग्राम पूरी तरह से क्लाउड-आधारित है, जिसमें लॉग इन करने के लिए सिर्फ़ एक आईडी की ज़रूरत होती है, जबकि व्हाट्सएप डिवाइस बेस्ड है और इसके लिए एक फ़ोन नंबर (एक प्राइमरी फ़ोन और कनेक्टेड डिवाइस के साथ) की ज़रूरत होती है.
टेलीग्राम ने ईमेल और एसएमएस के फ़ायदों और अपनी सीक्रेट चैट सुविधा के लिए एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के कारण पहचान बनाई है. यूजर्स को टेलीग्राम किसी भी प्रकार की फोटो, वीडियो और फाइल (डॉक, ज़िप, एमपी3, आदि) भेजने की अनुमति देता है. टेलीग्राम अकाउंट को बिना फ़ोन नंबर के संचालित किया जा सकता है, इसलिए लोग एक-दूसरे को केवल उनके यूजर नामों से ही ढूंढ सकते हैं, जो गुमनामी बनाए रखने में मदद करता है.
पावेल ड्यूरोव हैं 100 बच्चों के 'पिता'
पावेल ने दावा किया था कि वह शुक्राणु दाता के रूप में 100 से अधिक बच्चों को जन्म दे चुके हैं. अपनी एक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि मुझे अभी बताया गया कि मेरे 100 से अधिक बच्चे हैं. पावेल ने बताया कि उन्होंने 15 साल पहले शुक्राणु दान के लिए साइनअप किया था, जब एक दोस्त ने उनसे अनुरोध किया था. उनके दोस्त ने कहा था कि वह और उनकी पत्नी बच्चे पैदा नहीं कर सके और उन्होंने मुझसे बच्चा पैदा करने के लिए एक क्लिनिक में शुक्राणु दान करने के लिए कहा था.
(भाषा इनपुट्स के साथ)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं