
प्रतीकात्मक तस्वीर
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रिपोर्ट के मुताबिक मौलवी हैबतुल्ला अखुन्दजादा की तालिबान पर कमजोर पकड़
पूर्ववर्ती मुल्ला मंसूर की तरह करिश्माई शख्सियत नहीं
कई तालिबान धड़े अखुन्दजादा को अपना नेता मानने को तैयार नहीं
'न्यूयॉर्क टाइम्स' में छपी रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया, ''एक कम महत्वपूर्ण धर्मगुरू और तालिबान के नए नेता के तौर पर शुरुआती कार्यकाल में अखुन्दजादा को एक क्षमतावान और संगठन को एकजुट करने वाले नेता के तौर पर देखा गया, लेकिन उसके पूर्ववर्ती नेता ने जो नाटकीयता दिखाई थी उसे दोहराने में वह उल्लेखनीय रूप से अक्षम रहा।''
रिपोर्ट में विशेषज्ञों और तालिबान कमांडरों के हवाले से कहा गया, ''दो महीने के कार्यकाल में अखुन्दजादा की भूमिका तालिबानी कतार के लिए अब भी किसी रहस्य के समान बनी हुई है।'' इसके अनुसार, अखुन्दाजादा का किसी बड़ी आतंकवादी घटना को लेकर प्रभाव छोड़ना बाकी है, जिसे लेकर आतंरिक हलकों में चिंता है और ''इनमें से कई उसे अपने पूर्व नेता मंसूर की तुलना में संगठन पर कमजोर पकड़ और कम प्रभाव वाले नेता के तौर पर देखते हैं।'' मई में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने से पहले मंसूर ने संगठन को एकजुट करने का काम किया था।
तालिबान कमांडरों और अधिकारियों के साक्षात्कार के मुताबिक, कुछ कमांडरों ने तो अखुन्दजादा के प्रति वफादारी दिखाने से भी इनकार किया है। कंधार प्रांत स्थित नए नेता के जन्मस्थान रिगी गांव के हाजी सैफीदाद अका नामक व्यक्ति ने कहा, ''अखुन्दजादा शांत और समझदार हैं, जो कि उनकी विनम्रता का प्रतीक है। उन्होंने हमेशा एक सादगीपूर्ण जीवनशैली जी है।''
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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