मास्को/जिनेवा:
सीरिया के रासायनिक हथियारों को अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में लाने के प्रयास गुरुवार को जिनेवा में शुरू हुए जहां अमेरिका तथा रूस के शीर्ष नेताओं ने किसी तरह के सैन्य हस्तक्षेप को टालने के लिए मास्को के चार चरणों की योजना पर बातचीत की।
वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ताजा संकट पर अमेरिकियों से निजी तौर पर अपील की।
जिनेवा में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और रूस के विदेश मंत्री सरजेइ लावरोव के बीच चार चरणों की योजना पर वार्ता कल भी होगी और यह शनिवार तक जारी रह सकती है। रूस की योजना में सीरिया का रासायनिक हथियार रोकथाम संगठन में शामिल होना भी शामिल है।
इस वार्ता में योजना का मसौदा तैयार होना है कि सीरिया कब और कैसे रासायनिक हथियारों के जखीरों को सौंपेगा।
इस वार्ता से पूर्व राष्ट्रपति बशर अल असद ने आज कहा कि सीरिया रूस के प्रस्ताव के कारण अपने रासायनिक हथियारों का आत्मसमर्पण करने पर सहमत हुआ है, अमेरिकी धमकी के कारण नहीं।
असद ने रूस के सरकारी चैनल ‘रशिया 24’ से कहा कि सीरिया रूस के कारण अपने रासायनिक हथियारों को अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में सौंप रहा है, अमेरिकी धमकी का रासायनिक हथियार सौंपने के फैसले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मास्को द्वारा इस सप्ताह की शुरूआत में पेश की गई योजना का उद्देश्य सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के शासन के खिलाफ अमेरिका नीत सैन्य हमले को रोकना है। अमेरिका असद को 21 अगस्त को दमिश्क के बाहर रासायनिक हथियार से करीब 1000 नागरिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार मानता है।
रूस के कोम्मरसेंट डेली अखबार ने आज पहली बार सीरियाई प्रशासन के रासायनिक हथियारों की सुपुर्दगी के लिए अमेरिका को रूस द्वारा दी गई चार चरणीय योजना की जानकारी सार्वजनिक की। उधर, असद शासन के खिलाफ अमेरिकी सैन्य हमले के खिलाफ आवाज उठाते हुए पुतिन ने ‘न्यूयार्क टाइम्स’ में एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने सीरिया के मुद्दे पर ‘सीधे अमेरिकी जनता और उनके नेताओं’ से बात की है।
पुतिन ने लेख ‘ए प्ली फार काशन फ्राम रशिया’ के जरिये चेताया है कि अगर प्रभावीशाली देश सुरक्षा परिषद की मंजूरी के बगैर सैन्य कार्रवाई करते हैं तो संयुक्त राष्ट्र का हश्र भी ‘लीग फार नेशन्स’ जैसा हो जाएगा।
उन्होंने लिखा, ‘‘कई देशों, प्रमुख राजनीतिक दलों और पोप समेत विभिन्न धार्मिक नेताओं के कड़े विरोध के बावजूद सीरिया पर अमेरिका के हमले से बड़ी संख्या में निर्दोष लोग शिकार होंगे, संघर्ष बढ़ेगा और यह सीरियाई सीमाओं के बाहर तक फैल जाएगा।’’
पुतिन ने रूस के इस नजरिए को दोहराया कि 21 अगस्त का हमला संभवत: विपक्षी बलों द्वारा अपने शक्तिशाली संरक्षकों के हस्तक्षेप को उकसाने के लिए किया गया।
कोम्मरसेंट ने एक रूसी कूटनीतिक सूत्र के हवाले से कहा कि पहले चरण में दमिश्क रासायनिक हथियार निषेध संगठन का सदस्य बनेगा।
इसके बाद सीरिया को रासायनिक हथियारों के शस्त्रागार और उनके निर्माण स्थल की घोषणा करनी होगी।
तीसरे चरण के तहत ओपीसीडब्ल्यू के निरीक्षकों को सीरिया में आकर जांच करने की अनुमति मिलेगी। अंतिम चरण काफी निर्णायक होगा, जिसमें निरीक्षकों के सहयोग से यह तय किया जाएगा कि इन हथियारों को नष्ट कैसे किया जाए।
इस बीच, सीरिया के विद्रोही संगठन ‘फ्री सीरियन आर्मी’ ने रूस की योजना को खारिज कर दिया और कहा कि यह योजना बहुत आगे नहीं बढ़ेगी।
इस संगठन के जनरल सलीम इदरिस ने कहा कि हम अनुरोध करते हैं कि रासायनिक हथियारों को अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में रखने के साथ अपराध के मुख्य साजिशकर्ता को अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के सामने पेश किया जाए।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कल सीरिया के खिलाफ सैन्य हमले को टाल दिया था लेकिन कहा था कि अगर रूस की योजना नाकाम रही तो हमला किया जाएगा।
ओबामा को सीरिया पर हमले के प्रस्ताव को लेकर अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिकी जनता से विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ताजा संकट पर अमेरिकियों से निजी तौर पर अपील की।
जिनेवा में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और रूस के विदेश मंत्री सरजेइ लावरोव के बीच चार चरणों की योजना पर वार्ता कल भी होगी और यह शनिवार तक जारी रह सकती है। रूस की योजना में सीरिया का रासायनिक हथियार रोकथाम संगठन में शामिल होना भी शामिल है।
इस वार्ता में योजना का मसौदा तैयार होना है कि सीरिया कब और कैसे रासायनिक हथियारों के जखीरों को सौंपेगा।
इस वार्ता से पूर्व राष्ट्रपति बशर अल असद ने आज कहा कि सीरिया रूस के प्रस्ताव के कारण अपने रासायनिक हथियारों का आत्मसमर्पण करने पर सहमत हुआ है, अमेरिकी धमकी के कारण नहीं।
असद ने रूस के सरकारी चैनल ‘रशिया 24’ से कहा कि सीरिया रूस के कारण अपने रासायनिक हथियारों को अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में सौंप रहा है, अमेरिकी धमकी का रासायनिक हथियार सौंपने के फैसले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मास्को द्वारा इस सप्ताह की शुरूआत में पेश की गई योजना का उद्देश्य सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के शासन के खिलाफ अमेरिका नीत सैन्य हमले को रोकना है। अमेरिका असद को 21 अगस्त को दमिश्क के बाहर रासायनिक हथियार से करीब 1000 नागरिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार मानता है।
रूस के कोम्मरसेंट डेली अखबार ने आज पहली बार सीरियाई प्रशासन के रासायनिक हथियारों की सुपुर्दगी के लिए अमेरिका को रूस द्वारा दी गई चार चरणीय योजना की जानकारी सार्वजनिक की। उधर, असद शासन के खिलाफ अमेरिकी सैन्य हमले के खिलाफ आवाज उठाते हुए पुतिन ने ‘न्यूयार्क टाइम्स’ में एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने सीरिया के मुद्दे पर ‘सीधे अमेरिकी जनता और उनके नेताओं’ से बात की है।
पुतिन ने लेख ‘ए प्ली फार काशन फ्राम रशिया’ के जरिये चेताया है कि अगर प्रभावीशाली देश सुरक्षा परिषद की मंजूरी के बगैर सैन्य कार्रवाई करते हैं तो संयुक्त राष्ट्र का हश्र भी ‘लीग फार नेशन्स’ जैसा हो जाएगा।
उन्होंने लिखा, ‘‘कई देशों, प्रमुख राजनीतिक दलों और पोप समेत विभिन्न धार्मिक नेताओं के कड़े विरोध के बावजूद सीरिया पर अमेरिका के हमले से बड़ी संख्या में निर्दोष लोग शिकार होंगे, संघर्ष बढ़ेगा और यह सीरियाई सीमाओं के बाहर तक फैल जाएगा।’’
पुतिन ने रूस के इस नजरिए को दोहराया कि 21 अगस्त का हमला संभवत: विपक्षी बलों द्वारा अपने शक्तिशाली संरक्षकों के हस्तक्षेप को उकसाने के लिए किया गया।
कोम्मरसेंट ने एक रूसी कूटनीतिक सूत्र के हवाले से कहा कि पहले चरण में दमिश्क रासायनिक हथियार निषेध संगठन का सदस्य बनेगा।
इसके बाद सीरिया को रासायनिक हथियारों के शस्त्रागार और उनके निर्माण स्थल की घोषणा करनी होगी।
तीसरे चरण के तहत ओपीसीडब्ल्यू के निरीक्षकों को सीरिया में आकर जांच करने की अनुमति मिलेगी। अंतिम चरण काफी निर्णायक होगा, जिसमें निरीक्षकों के सहयोग से यह तय किया जाएगा कि इन हथियारों को नष्ट कैसे किया जाए।
इस बीच, सीरिया के विद्रोही संगठन ‘फ्री सीरियन आर्मी’ ने रूस की योजना को खारिज कर दिया और कहा कि यह योजना बहुत आगे नहीं बढ़ेगी।
इस संगठन के जनरल सलीम इदरिस ने कहा कि हम अनुरोध करते हैं कि रासायनिक हथियारों को अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में रखने के साथ अपराध के मुख्य साजिशकर्ता को अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के सामने पेश किया जाए।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कल सीरिया के खिलाफ सैन्य हमले को टाल दिया था लेकिन कहा था कि अगर रूस की योजना नाकाम रही तो हमला किया जाएगा।
ओबामा को सीरिया पर हमले के प्रस्ताव को लेकर अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिकी जनता से विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
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