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This Article is From Apr 21, 2013

स्वामी क्रियानंद नहीं रहे

नई दिल्ली: महान योगी परमहंस योगानंद द्वारा शिक्षा पाने वाले आखिरी शिष्य स्वामी क्रियानंद का रविवार को इटली में निधन हो गया। स्वामी क्रियानंद 86 वर्ष के थे। उनके संगठन आनंद संघ ने यह घोषणा की है।

1952 में योगी परमहंस योगानंद के निधन से पहले चार वर्ष तक स्वामी क्रियानंद ने उनके साथ बिताए और शिक्षा ग्रहण की।

आनंद संघ के प्रवक्ता ने बताया कि भारत और इसकी आध्यात्मिक विरासत में अन्यतम श्रद्धा रखने वाले क्रियानंद ने इटली के असीसी स्थित अपने घर पर भारतीय समयानुसार रविवार दोपहर 12 बजे अंतिम सांस ली।

एक संक्षिप्त वक्तव्य में कहा गया है, "वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्होंने शांतिपूर्वक अंतिम सांस ली।"

अध्यात्म को समर्पित अपने 60 वर्ष की अवधि के दौरान क्रियानंद ने 140 पुस्तकें और 400 कविताएं लिखीं, जिसकी सम्मिलित रूप से 90 देशों में 30 लाख से भी अधिक प्रतियां बिकीं।

इस अवधि में उन्होंने सनातन धर्म, क्रिया योग और ध्यान पर उपदेश दिए और भारत सहित अनेक देशों में बड़ी संख्या में लोग उनके अनुयायी बने। उन्होंने अपना अंतिम जनउपदेश इसी वर्ष 20 जनवरी को चेन्नई में 2000 श्रद्धालुओं से खचाखच भरे संगीत अकादमी सभागार में दिया था।

रुमानिया में जन्मे जे. डोनाल्ड वॉल्टर्स, योगानंद की आत्मकथा, 'आटोबायोग्राफी ऑफ अ योगी', पढ़ने के बाद 22 वर्ष की आयु में पहली बार योगानंद से मिले और उनसे शिक्षा प्राप्त कर क्रियानंद हो गए।

क्रियानंद 1958 में पहली बार भारत आए और इसके बाद उन्होंने भारत की अनेकों बार यात्रा की। उन्होंने 1969 में आनंद संघ की स्थापना की।

क्रियानंद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से भी मिलते रहते थे। वह बांग्ला और हिंदी सहित नौ भाषाओं के ज्ञाता थे।

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