श्रीलंका (Sri Lanka) इन दिनों अपने सबसे खराब वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. यहां ईंधन खत्म (out of fuel) हो गया, जिसके बाद श्रीलंका की सरकार ने सरकार ने शुक्रवार को सार्वजनिक कार्यालयों और स्कूलों में वाहनों की आवाजाही को कम करने के लिए अवकाश (Holiday) घोषित कर दिया. इसके बाद शुक्रवार को राजधानी कोलंबो और उसके आसपास की कई सड़कें सुनसान दिखीं. इस बीच फिलिंग स्टेशनों पर हजारों वाहनों की एक किलोमीटर से अधिक लंबी कतार देखतने को मिली कि शायद उनको ईंधन मिल जाए.
ब्लूमबर्ग की खबर के अनुसार श्रीलंका के बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकेरा ने गुरुवार को कहा कि राज्य द्वारा संचालित सीलोन पेट्रोलियम कॉर्प को ईंधन के नए स्टॉक के लिए निविदाएं नहीं मिलीं क्योंकि आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान से रोक दिया गया था. उन्होंने कहा कि ईंधन आपूर्ति के लिए वो दक्षिण एशियाई राष्ट्र रूस सहित कई कंपनियों और देशों से मदद मांग रहे हैं. वहीं श्रीलंका ईंधन आयात के लिए भारत से 50 करोड़ डॉलर की नई क्रेडिट लाइन की मंजूरी चाहता है. आज श्रीलंका अपने इतिहास में सबसे ज्यादा आर्थिक मंदी से जूझ रहा है.
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संकट को लेकर देश की जनता सरकार से नाराज है और पिछले कुछ महानों से यहां राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके परिवार के सदस्यों को सरकार से हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने काह कि अगले छह महीनों में देश को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और भारत और चीन सहित देशों से लगभग 6 बिलियन डॉलर की सहायता की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि इस दिशा में स्थानीय अधिकारी फंडिंग के अन्य नए स्रोत प्राप्त करने के लिए आईएमएफ के साथ बेलआउट वार्ता में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं.
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