
- भारत के शुभांशु शुक्ला ने एक्सिम मिशन 4 के तहत अंतरिक्ष यात्रा की.
- मिशन ने आईएसएस पर गुरुवार को शाम करीब बजे 4 सफल डॉकिंग की.
- एक्सिम स्पेस ने एक महीने की देरी के बाद फ्लोरिडा से लॉन्च किया.
- इस मिशन में पोलैंड, अमेरिका और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं.
भारत के शुभांशु शुक्ला और पोलैंड, अमेरिका और हंगरी के तीन और प्राइवेट अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर एक्सिम मिशन 4 (एक्स-4) गुरुवार को शाम करीब 4 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर डॉक किया. ह्यूस्टन स्थित एक्सिम स्पेस ने करीब एक महीने की देरी और कई बार स्थगित होने के बाद बुधवार को दोपहर 12.01 बजे फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से आईएसएस के लिए अपना चौथा क्रू मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया.
24 घंटे तक की परिक्रमा
शुभांशु शुक्ला के साथ इस मिशन पर पोलैंड के मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोज उज्नास्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू के साथ अमेरिका की कमांडर पैगी व्हिटसन भी सवार हैं. व्हिसटसन नासा की अंतरिक्ष यात्री रह चुकी हैं और अब एक्सिओम स्पेस कंपनी के लिए काम करती हैं. 24 घंटे से ज्यादा समय तक परिक्रमा करने के बाद, फाल्कन 9 रॉकेट पर सवार स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल में सवार क्रू गुरुवार को अंतरिक्ष स्टेशन के साथ डॉक करने वाला है.
क्या होती है डॉकिंग
अंतरिक्ष में स्थित इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) अंतरिक्ष यात्रियों के घर का जैसा है. अमेरिका की तरफ से मनुष्यों को अंतरिक्ष में ले जाने वाले कई अंतरिक्षयान लॉन्च किए गए हैं. साथ ही उसने ISS पर माइक्रोग्रैविटी में महीनों तक मिशन चलाए हैं. जबकि उनका अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष स्टेशन पर 'डॉक' रहा. 'डॉकिंग' तब होती है जब कोई अंतरिक्ष यान अपने आप अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ता है और मैन्युवर करता है.
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन डॉकिंग को 'मेटिंग ऑपरेशंस' के तौर पर बताता है जहां एक एक्टिव व्हीकल अपनी ताकत के साथ मेटिंग इंटरफेस में उड़ता है. वहीं इसरो के अनुसार अंतरिक्ष में डॉकिंग टेक्नोलॉजी का प्रयोग तब होता है जब सामान्य मिशन मकसदों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट अंतरिक्ष में लॉन्च किए जाते हैं.
ISS पर क्या- क्या करेंगे शुभांशु
शुभांशु शुक्ला और पूरा क्रू 14 दिनों तक आईएसएस पर रहेगा. इस दौरान ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला नासा की मदद से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी (डीबीटी) के बीच सहयोग के तहत विकसित स्पेशल फूड एंड न्यूट्रिशियस संबंधी एक्सपेरीमेंट से जुड़े एक्सपेरीमेंट्स करेंगे. इसरो ने शुक्ला के लिए सात प्रयोगों का एक सेट तैयार किया है. यह नासा की तरफ से अपने ह्यूमन रिसर्च प्रोग्राम के लिए तय पांच ज्वॉइन्ट स्टडीज में भी हिस्सा लेंगे. नासा ने आईएसएस पर एक्सपेरीमेंट्स के लिए भारतीय भोजन पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बनाई है. इसमें माइक्रोग्रैविटी स्थितियों में मेथी और मूंग यानी हरा चना को अंकुरित करना शामिल है.
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