वैज्ञानिकों ने कहा कि इंडोनेशिया में सुनामी की एकमात्र वजह भूकंप नहीं था.
पेरिस:
इंडोनेशियाई शहर पालू में तबाही लाने वाली सुनामी की एकमात्र वजह भूकंप नहीं था, बल्कि इस आपदा के पीछे और भी कई कारण थे. वैज्ञानिकों ने कहा कि भूकंप के अलावा लंबी, संकरी खाड़ी समेत कई अन्य कारकों के चलते यह भयावह लहरें उठी. इस आपदा में कम से कम 844 लोगों के मारे जाने की अब तक पुष्टि हो चुकी है और अधिकारियों का कहना है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है, शायद हजारों में पहुंच सकती है. शुक्रवार की शाम आए 7.5 तीव्रता के इस भूकंप में पूरे पालू एवं उसके आस-पास के इलाकों की सभी इमारतों को जमींदोज हो गईं.
इंडोनेशिया में भूकंप और सुनामी का कहर, अब तक कम से कम 400 लोगों की मौत
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की कर्टिन यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग की शोधार्थी जेन क्यूनिन का कहना है कि सैकड़ों लोगों की जान लेने एवं ढांचों को बर्बाद करने वाली सुनामी आने के पीछे के कारणों में केवल भूभौतिकी परिस्थितियों का होना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, “लहरें कम से कम दो से तीन मीटर ऊंची थी और संभवत: उससे दो गुणा ज्यादा थीं.” हिंद महासागर की सुनामी चेतावनी प्रणाली को संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है. हालांकि भूकंप की तीव्रता के हिसाब से देखें तो इतनी भयावह सुनामी नहीं आनी चाहिए थी.
इंडोनशिया में तेज भूकंप के बाद सुनामी, भारी तबाही के आसार
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के धरती विज्ञान विभाग में टेक्टोनिक्स के विशेषज्ञ बाप्टिस्ट गोम्बर्ट ने कहा कि अक्सर सुनामी तथाकथित ‘थ्रस्ट’ भूकंप की वजह से आती है, लेकिन पालू में आई सुनामी इसके उलट थी जो ‘स्ट्राइक स्लिप फॉल्ट’ की वजह से आई. क्यूनिन के मुताबिक ‘स्ट्राइक स्लिप फॉल्ट’ की वजह से सुनामी की आशंका बहुत ही कम होती है क्योंकि उसके कारण समुद्र की सतह ऊपर की ओर ज्यादा नहीं उठती. विशेषज्ञों के मुताबिक तीन कारकों की वजह से यह घातक सुनामी आई थी. पहला महासागरीय जल के लंबे चैनल का निचला क्षेत्र पालू पर खत्म होना. दूसरा खाड़ी का आकार और तीसरा कारण भूकंप की जगह एवं पैमाना था.
इंडोनेशिया में भूकंप के तेज झटके, रिकटर स्केल पर तीव्रता 5.0 मापी गई
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की कर्टिन यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग की शोधार्थी जेन क्यूनिन का कहना है कि सैकड़ों लोगों की जान लेने एवं ढांचों को बर्बाद करने वाली सुनामी आने के पीछे के कारणों में केवल भूभौतिकी परिस्थितियों का होना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, “लहरें कम से कम दो से तीन मीटर ऊंची थी और संभवत: उससे दो गुणा ज्यादा थीं.” हिंद महासागर की सुनामी चेतावनी प्रणाली को संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है. हालांकि भूकंप की तीव्रता के हिसाब से देखें तो इतनी भयावह सुनामी नहीं आनी चाहिए थी.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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