
लाहौर:
पाकिस्तान में 1990 में कई बम धमाकों में कथित रूप से अपनी संलिप्तता को लेकर मौत की सजा पाए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को भेजे जाने के लिए एक नई दया याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं।
सरबजीत के वकील ओवैस शेख ने उससे शुक्रवार को कोट लखपत जेल में मुलाकात की और उससे नईई दया याचिका पर हस्ताक्षर करवाए। सरबजीत ने कहा, भारत सरकार द्वारा मानवीय आधार पर परवेज खलील चिश्ती (पाक कैदी) को रिहा किए जाने के बाद , भारतीय लोगों, विशेषकर मेरे परिवार ने भी उसी आधार पर मेरी रिहाई की उम्मीदें लगा ली हैं।
सरबजीत ने कहा, मैं पिछले 22 सालों से जेल में हूं। मैं आपसे इस सजा को समाप्त किए जाने और बाकी की मेरी जिंदगी मेरे परिवार के साथ गुजारने की अनुमति दिए जाने की मांग करता हूं। उसने कहा कि माफी जैसे काम को इस्लाम में पसंद किया जाता है और खुदा राष्ट्रपति को इस काम के लिए सबाब देगा।
शेख ने बताया कि उन्होंने अपनी हाल की भारत यात्रा के संबंध में सरबजीत को अवगत कराया और उसके परिवारवालों की ओर से दिए गए संदेश भी उस तक पहुंचाए। उन्होंने बताया, खाने-पीने की कुछ सामग्री, रोजमर्रा के इस्तेमाल की कुछ चीजें तथा आठ हजार पाकिस्तानी रुपये भी उसे दे दिए गए हैं। वकील ने बताया कि उन्हें सरबजीत के हस्ताक्षर वाला एक और पत्र भी मिला है, जो भारत की जनता और वहां की सरकार को संबोधित है।
सरबजीत के वकील ओवैस शेख ने उससे शुक्रवार को कोट लखपत जेल में मुलाकात की और उससे नईई दया याचिका पर हस्ताक्षर करवाए। सरबजीत ने कहा, भारत सरकार द्वारा मानवीय आधार पर परवेज खलील चिश्ती (पाक कैदी) को रिहा किए जाने के बाद , भारतीय लोगों, विशेषकर मेरे परिवार ने भी उसी आधार पर मेरी रिहाई की उम्मीदें लगा ली हैं।
सरबजीत ने कहा, मैं पिछले 22 सालों से जेल में हूं। मैं आपसे इस सजा को समाप्त किए जाने और बाकी की मेरी जिंदगी मेरे परिवार के साथ गुजारने की अनुमति दिए जाने की मांग करता हूं। उसने कहा कि माफी जैसे काम को इस्लाम में पसंद किया जाता है और खुदा राष्ट्रपति को इस काम के लिए सबाब देगा।
शेख ने बताया कि उन्होंने अपनी हाल की भारत यात्रा के संबंध में सरबजीत को अवगत कराया और उसके परिवारवालों की ओर से दिए गए संदेश भी उस तक पहुंचाए। उन्होंने बताया, खाने-पीने की कुछ सामग्री, रोजमर्रा के इस्तेमाल की कुछ चीजें तथा आठ हजार पाकिस्तानी रुपये भी उसे दे दिए गए हैं। वकील ने बताया कि उन्हें सरबजीत के हस्ताक्षर वाला एक और पत्र भी मिला है, जो भारत की जनता और वहां की सरकार को संबोधित है।
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