प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Biden) की वर्चुअल मीटिंग (Virtual Meeting) और 2+2 मीटिंग ने दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों (Bilateral relations) के लिए बूस्टर (Booster) का काम किया है जिनमें रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के मुद्दे पर खटास आ रही थी. NDTV ने अमेरिका (US) के वॉशिंटगटन डीसी (Washington DC) में मौजूद भारत और एशिया एक्सपर्ट (India-US relations & Asia Expert) आत्मन त्रिवेदी (Atman Trivedi) से बात की जो वैश्विक रणनीतिक और व्यवसायिक सलाहकार कंपनी अल्ब्राइट स्टोनब्रिज ग्रुप (Albright Stonebridge Group) के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और को-लीड हैं. आत्मन को विदेश मामलों में करीब 20 साल का अनुभव है.
प्र.1 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच सोमवार को वर्चुअल मीडियम पर रूस के युद्ध और यूक्रेन जैसे मुद्दों पर विचारों का खुला आदान-प्रदान हुआ. इसके बाद अमेरिका की तरफ से कहा गया कि भारत इस संकट के बारे में खुद फैसला करेगा, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अगर भारत को रूस और चीन के बीच करीबी दिखेगी तो यह भारत के नज़रिए पर प्रभाव डालेगा, आप इसे कैसे देखते हैं?
उत्तर . मुझे लगता है कि यह वर्चुअल मुलाकात अच्छी रही और कई मु्द्दों पर बात हुई. यूक्रेन का मुद्दा इन दिनों भारत-अमेरिका रिश्तों में बेहद अहम है. भारत के लिए यूक्रेन युद्ध के मामले में रूस से पुरानी दोस्ती को ध्यान में रखना अहम हो जाता है. लेकिन हाल ही में हुई मुलाकात के बाद अमेरिका ने सम्मानपूर्वक यह माना कि भारत को अपने लिए खुद निर्णय लेना है. अमेरिका ने भारत से कोई सख़्त मांग नहीं की.
भारत और अमेरिका दोनों के लिए चीन (China) का मुद्दा अहम हो जाता है. अमेरिका के लिए यह महत्वपूर्ण है कि मौजूदा हालात में लोकतांत्रिक देश (Democratic Countries) एक साथ खड़ी हों. भारत के लिए भी पड़ोस की चुनौतियां हैं. यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) के दौरान चीन (China) और रूस (Russia) के बीच के तालमेल को अमेरिका और भारत दोनों देख रहे हैं और यह दोनों देशों के लिए चिंता की बात है. अमेरिका में इस बात को लेकर भारत की प्रशंसा भी की जा रही है भारत रूस को थामने में भूमिका निभा रहा है ताकि वो चीन के और नज़दीक ना हो जाए. अमेरिका में मौजूदा हालात में भारत को लेकर सहानुभूति है. वहीं यूक्रेन पर रूस का आक्रमण अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है.
प्र. 2. विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन (Antony Blinken) के साथ उनकी कई मुद्दों पर बात हुई जिसमें मौजूदा यूक्रेन युद्ध (Ukraine War), हिंद-प्रशांत (Indo Pacific) और अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर बात हुई. हम लोग भी इन मुद्दों पर एक-एक कर बात करते हैं. सबसे पहले बात करते हैं यूक्रेन की जहां अब युद्ध के एक महीने बाद रासायनिक हथियारों (Chemical Weapons) की चर्चा होने लगी है.
उत्तर. यूक्रेन में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. अब युद्ध उत्तर से पूर्व में बढ़ रहा है. डोनबास क्षेत्र (Donbass Region) में युद्ध तेज हो रहा है. भारत ने भी नागरिक मौतों (Civilian Deaths) की निंदा की. मुझे लगता है कि हर कोई युद्ध के सबसे भयावह हिस्से के लिए तैयार हो रहा है. लेकिन लगता नहीं कि जल्द ही यूक्रेन में हालात सुधरने वाले हैं.
प्र. 3 हाल ही में रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) को लेकर अपनी नीति बदली है और यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र (Donbass Region) में अपनी ताकत को केंद्रित करने का फैसला किया है. यूक्रेन की तुलना में रूस बहुत शक्तिशाली है. ऐसे में क्या आपको लगता है कि अमेरिका (US) और ईयू (EU) की तरफ से बिना सीधी सैन्य मदद के यूक्रेन लंबे रूस के सामने टिक पाएगा?
उत्तर. यूक्रेन सैन्य मदद मांग रहा है. मानवीय मदद मांग रहा है. वह सभी लोकतांत्रिक देशों से मदद मांग रहा है. अमेरिका इस मदद को देने में अगुवाई कर रहा है. अगर एक देश दूसरे देश की सीमा का उल्लंघन करता है तो यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के नियमों का उल्लंघन है. अगर यूक्रेन को वो सैन्य मदद मिल जाती है जो उसे चाहिए, जिसमें भारी हथियार, टैंक शामिल हैं तो यूक्रेन के लिए रूस की सेना से युद्ध के अगले चरण में लड़ना आसान होगा.
प्र. 4 यूक्रेन को बचाव के हथियार मिले हैं लेकिन यूक्रेन लंबे समय से आक्रमण के लिए हथियार मांग रहा है. रूस ने पहले ही यूक्रेन के कई शहर पहले ही तबाह कर दिए हैं. आपने युद्ध के अगले चरण की बात की. यूक्रेन अपने सीमित संसाधनों के साथ कैसे युद्ध के भयावह होने वाले अगले चरण में रूस का सामना करेगा?
उत्तर. यह मुश्किल है लेकिन यूक्रेनी सेना ने अपनी क्षमता दिखाई है. रूस यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करना चाहता था, वो यूक्रेन के नेता की हत्या कर, अपनी पसंद के नेता को वहां सत्ता देना चाहता था, लेकिन यूक्रेनी सेना ने यह नहीं होने दिया. रूस अपने प्रयासों में असफल रहा. लेकिन रूस पर अब प्रतिबंधों का दबाव है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी आलोचना हो रही है. मुझे नहीं लगता कि पुतिन ने इसकी कल्पना की होगी. मुझे लगता है कि जब तक पश्चिमी देश और बड़े लोकतांत्रिक देश एक साथ हैं, जिसमें भारत एक बड़ा लोकतंत्र है, मैं नहीं मानता कि यूक्रेन ढ़ीला पड़ेगा.
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