भारत में रूस से तेल की आपूर्ति उच्च स्तर पर, भुगतान की भी कोई समस्या नहीं

इस साल फरवरी में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन के साथ सैन्य संघर्ष के बीच मास्को पर प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल खरीदने पर भारत के रुख की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि भारत और रूस ने हमेशा "स्थिर और मैत्रीपूर्ण संबंध" साझा किए हैं और मॉस्को ने कभी भी नई दिल्ली के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया है.

भारत में रूस से तेल की आपूर्ति उच्च स्तर पर, भुगतान की भी कोई समस्या नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

मॉस्को:

रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत में रूस से तेल की डिलीवरी लगातार अधिक हो रही है, भुगतान संबंधी कोई समस्या नहीं आई है. इस बारे में सरकारी समाचार एजेंसी टीएएसएस ने जानकारी दी. रूसी विदेश मंत्रालय की आधिकारिक प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने एक ब्रीफिंग में कहा, "भारत को रूस से तेल की आपूर्ति लगातार उच्च स्तर पर बनी हुई है; रूस द्वारा निर्यात किए जाने वाले तेल के लिए भुगतान के साधन निर्धारित करने में कोई समस्या नहीं आती है." उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भुगतान में प्राथमिकता "राष्ट्रीय मुद्राओं को दी गई है." 

इस साल फरवरी में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन के साथ सैन्य संघर्ष के बीच मास्को पर प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल खरीदने पर भारत के रुख की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि भारत और रूस ने हमेशा "स्थिर और मैत्रीपूर्ण संबंध" साझा किए हैं और मॉस्को ने कभी भी नई दिल्ली के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया है. म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के लिए जर्मनी की अपनी यात्रा के दौरान जर्मन आर्थिक दैनिक हैंडेल्सब्लैट के साथ एक इंटरव्यू में, जयशंकर ने कहा कि यूरोप को यह समझना चाहिए कि भारत रूस के बारे में यूरोपीय दृष्टिकोण के समान नहीं हो सकता है.

भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के बारे में पूछे जाने पर, जयशंकर ने कहा, "हर कोई अपने पिछले अनुभवों के आधार पर संबंध रखता है. अगर मैं आजादी के बाद भारत के इतिहास को देखूं, तो रूस ने कभी भी हमारे हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया है." उन्होंने कहा कि भारत और यूरोप ने अपने रुख पर बात की है और अपने मतभेदों पर जोर नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद यूरोप ने अपनी ऊर्जा खरीद का एक बड़ा हिस्सा मध्य पूर्व में स्थानांतरित कर दिया, जो तब तक भारत और अन्य देशों के लिए ऊर्जा का मुख्य आपूर्तिकर्ता था.

उन्होंने कहा, "हमें क्या करना चाहिए था? कई मामलों में, हमारे मध्य पूर्व आपूर्तिकर्ताओं ने यूरोप को प्राथमिकता दी क्योंकि यूरोप ने अधिक कीमतें चुकाईं. या तो हमारे पास कोई ऊर्जा नहीं होती क्योंकि सब कुछ उनके पास चला जाता या हमें बहुत अधिक भुगतान करना पड़ता क्योंकि आप अधिक भुगतान कर रहे थे. और एक निश्चित तरीके से, हमने ऊर्जा बाजार को इस तरह से स्थिर किया,"

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