
जून 2017 में, कई देशों ने सऊदी अरब के नेतृत्व में कतर से अपने राजनयिक संबंध समाप्त कर दिए थे.
दोहा:
खाड़ी देशों में आए राजनयिक संकट का हल अभी दिखाई नहीं दे रहा है. कतर का अडीयल रूख बरकार है. इसी क्रम में कतर ने खाड़ी संकट के समाधान के लिए विदेश नीति को किसी और के हवाले करने के सऊदी अरब के अगुवाई वाले देशों की मांग के सामने झुकने से इनकार कर दिया है.
शेख सैफ बिन अहमद अल-थानी ने संकट के समय दोहा के विरोधियों सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मिश्र पर कतर के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया है. थानी को मंत्री का दर्जा प्राप्त है. उन्होंने कहा कि इस संकट के पीछे निश्चित तौर पर कतर की संप्रभुता और स्वतंत्रता है. यह कतर की विदेश नीति को किसी और के हवाले करने जैसा है ताकि कतर में निर्णय नहीं किए जाएं और यह कभी स्वीकार्य नहीं होगा.
बता दें कि आतंकवाद को पनाह देने के आरोप में कतर खाड़ी सहयोग परिषद के विरोध का सामना कर रहा है. कतर से खाड़ी के कई देशों ने अपने संबंध भी समाप्त कर दिए हैं. जून 2017 में, कई देशों ने सऊदी अरब के नेतृत्व में कतर से अपने राजनयिक संबंध समाप्त कर दिए थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
शेख सैफ बिन अहमद अल-थानी ने संकट के समय दोहा के विरोधियों सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मिश्र पर कतर के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया है. थानी को मंत्री का दर्जा प्राप्त है. उन्होंने कहा कि इस संकट के पीछे निश्चित तौर पर कतर की संप्रभुता और स्वतंत्रता है. यह कतर की विदेश नीति को किसी और के हवाले करने जैसा है ताकि कतर में निर्णय नहीं किए जाएं और यह कभी स्वीकार्य नहीं होगा.
बता दें कि आतंकवाद को पनाह देने के आरोप में कतर खाड़ी सहयोग परिषद के विरोध का सामना कर रहा है. कतर से खाड़ी के कई देशों ने अपने संबंध भी समाप्त कर दिए हैं. जून 2017 में, कई देशों ने सऊदी अरब के नेतृत्व में कतर से अपने राजनयिक संबंध समाप्त कर दिए थे.
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