इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी देश में मेमोगेट मामले को लेकर असैन्य सरकार और शक्तिशाली सेना के बीच चल रहे गतिरोध के बीच, एक दिन की निजी यात्रा पर दुबई के लिए रवाना हो गए। जरदारी के दुबई रवाना होने की खबरें गुरुवार दोपहर टीवी चैनलों पर आईं। राष्ट्रपति आवास से इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
सूत्रों ने बताया कि समझा जाता है कि जरदारी दुबई में एक विवाह समारोह में भाग लेंगे। दुबई में उनका निजी आवास है। इस विवाह में कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के भाग लेने की भी उम्मीद है। मेमोगेट मामले में सरकार और सेना के बीच टकराव होने के बाद से जरदारी की यह दूसरी दुबई यात्रा है। इससे पहले वह छह दिसंबर को दुबई गए थे और हृदय संबंधी समस्या के इलाज के लिए करीब एक पखवाड़े तक वहां रहे थे। इस दौरे को लेकर यह अटकलें तेज हो गई थीं कि जरदारी पर पद छोड़ने के लिए सेना का गहरा दबाव है। तब से अब तक जरदारी स्पष्ट करते रहे कि राष्ट्रपति पद छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है।
देश में वर्तमान राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ जब पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी उद्योगपति मंसूर इजाज ने एक कथित मेमो को सार्वजनिक कर दिया जिसमें पिछले साल मई में पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन को मारे जाने के बाद सैन्य विद्रोह रोकने के लिए अमेरिकी मदद मांगी गई थी।
सरकार ने इस मेमो को ‘‘केवल कागज का टुकड़ा’’ बता कर खारिज कर दिया और कहा कि इसे तैयार करने और पूर्व अमेरिकी सेना प्रमुख एडमिरल माइक मुलेन के पास इसे भेजने में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की कोई भूमिका नहीं थी। सेना और आईएसआई प्रमुखों ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की जांच का आदेश देने का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मेमोगेट मामले की जांच के लिए तीन जजों का एक आयोग गठित किया। आयोग चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगा।
सूत्रों ने बताया कि समझा जाता है कि जरदारी दुबई में एक विवाह समारोह में भाग लेंगे। दुबई में उनका निजी आवास है। इस विवाह में कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के भाग लेने की भी उम्मीद है। मेमोगेट मामले में सरकार और सेना के बीच टकराव होने के बाद से जरदारी की यह दूसरी दुबई यात्रा है। इससे पहले वह छह दिसंबर को दुबई गए थे और हृदय संबंधी समस्या के इलाज के लिए करीब एक पखवाड़े तक वहां रहे थे। इस दौरे को लेकर यह अटकलें तेज हो गई थीं कि जरदारी पर पद छोड़ने के लिए सेना का गहरा दबाव है। तब से अब तक जरदारी स्पष्ट करते रहे कि राष्ट्रपति पद छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है।
देश में वर्तमान राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ जब पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी उद्योगपति मंसूर इजाज ने एक कथित मेमो को सार्वजनिक कर दिया जिसमें पिछले साल मई में पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन को मारे जाने के बाद सैन्य विद्रोह रोकने के लिए अमेरिकी मदद मांगी गई थी।
सरकार ने इस मेमो को ‘‘केवल कागज का टुकड़ा’’ बता कर खारिज कर दिया और कहा कि इसे तैयार करने और पूर्व अमेरिकी सेना प्रमुख एडमिरल माइक मुलेन के पास इसे भेजने में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की कोई भूमिका नहीं थी। सेना और आईएसआई प्रमुखों ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की जांच का आदेश देने का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मेमोगेट मामले की जांच के लिए तीन जजों का एक आयोग गठित किया। आयोग चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगा।
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