G7 में PM Modi की दो टूक, कहा - भारत अपनी उर्जा सुरक्षा के श्रेष्ठ हितों के लिए काम करता रहेगा

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के मद्देनज़र पश्चिमी देश भारत पर रूस (Russia) से तेल आयात बंद करने का दबाव बना रहे थे, ऐसा लगता है कि इस दबाव के जवाब में भारत (India) ने G7 सम्मेलन में यह बयान दिया है.  

G7 में PM Modi की दो टूक, कहा - भारत अपनी उर्जा सुरक्षा के श्रेष्ठ हितों के लिए काम करता रहेगा

प्रधानमंत्री मोदी ने G7 में रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट किया

एलमौ (जर्मनी):

जर्मनी (Germany) में G7 शिखर सम्मेलन में शामिल हुए भारत (India) के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine War) के मद्देनजर ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) एक बहुत चुनौतीपूर्ण मुद्दा बन गया है और जब वैश्विक तेल व्यापार (Global Oil Trade) की बात आती है तो भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के हित में श्रेष्ठ कदम उठाता रहेगा. पश्चिमी देश भारत पर रूस (Russia) से तेल खरीद बंद करने का दबाव बना रहे थे, ऐसा लगता है कि इस दबाव के जवाब में भारत ने यह बयान दिया है.  भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जी7 के दोनों सत्रों में रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट किया.

क्वात्रा के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने शत्रुता को जल्द से जल्द समाप्त करने का आह्वान किया और विवाद को सुलझाने के लिए कूटनीति एवं वार्ता का मार्ग अपनाने की वकालत की.

क्वात्रा से जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान रूस-यूक्रेन एजेंडे को लेकर सवाल किया था. उनसे पूछा गया था कि क्या रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनजर भारत पर किसी प्रकार का दबाव है? इसके जवाब में क्वात्रा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पूर्ण सत्र के दौरान रूस और यूक्रेन के बीच की स्थिति स्वाभाविक रूप से चर्चा का एक महत्वपूर्ण बिंदु थी.''

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने जलवायु एवं ऊर्जा पर और फिर खाद्य सुरक्षा एवं लैंगिक समानता पर आयोजित सत्रों में रूस-यूक्रेन स्थिति पर भारत का रुख पूरी तरह से स्पष्ट किया. भारत शत्रुता को तत्काल समाप्त करने का आह्वान कर रहा है तथा स्थिति को सुलझाने के लिए कूटनीति और वार्ता का मार्ग अपनाने की वकालत कर रहा है.''

क्वात्रा ने सोमवार देर रात आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री ने यह पूरी तरह से स्पष्ट किया कि भारत कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में योगदान देने की दिशा में अग्रणी रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने इस बात का भी उल्लेख किया कि ऊर्जा सुरक्षा रूस-यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा बन गया है, लेकिन जब वैश्विक तेल व्यापार की बात आती है तो भारत वह करना जारी रखेगा, जिसे वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा के हित में श्रेष्ठ समझता है.''

क्वात्रा ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि जी-7 शिखर सम्‍मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने हमारी जो स्‍थिति बयां की, उसे अच्छी तरह से समझ लिया गया. मैं यह भी कहूंगा कि अन्य देशों के उनके समकक्ष नेताओं ने इसकी सराहना की.''

भारत ने जी7 शिखर सम्मेलन से पहले भी कहा था कि कच्चे तेल का उसका आयात पूरी तरह से राष्ट्रीय हितों से प्रेरित है और इस मुद्दे पर उसकी स्थिति को विभिन्न देशों ने ‘‘बहुत अच्छी तरह से समझा'' है.

मोदी ने सोमवार को जी7 सत्र में यूक्रेन संकट का स्पष्ट जिक्र करते हुए कहा कि इस शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित देश वैश्विक तनाव के माहौल में मुलाकात कर रहे हैं. उन्होंने जोर दिया कि भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है.

मोदी ने खाद्य सुरक्षा और लैंगिक समानता पर जी7 शिखर सम्मेलन के सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मौजूदा हालात में भी हमने बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने का लगातार आग्रह किया है. इस भू-राजनीतिक तनाव का प्रभाव केवल यूरोप तक ही सीमित नहीं है. ऊर्जा और खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों का असर सभी देशों पर पड़ रहा है.''

उन्होंने कहा कि विकासशील देशों की ऊर्जा एवं खाद्य सुरक्षा विशेष रूप से खतरे में है और इस चुनौतीपूर्ण समय में भारत ने कई जरूरतमंद देशों को खाद्यान्न की आपूर्ति की है.

क्वात्रा ने कहा कि यह तीसरा जी7 शिखर सम्मेलन था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने हिस्सा लिया है उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जी7 जैसे महत्वपूर्ण सम्मेलनों में भारत की उपस्थिति और योगदान को सभी वैश्विक भागीदार महत्व देते हैं.''

क्वात्रा ने कहा, ‘‘भारत को समाधान मुहैया कराने वाले देश और दुनिया की वर्तमान चुनौतियों को हल करने के हर निरंतर प्रयास के हिस्से के रूप में देखा जाता है.''

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जी7 शिखर सम्मेलन के मेजबान जर्मनी ने भारत के अलावा अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। सात देशों के इस समूह में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।