- पाकिस्तान की संसद की स्थायी समिति ने दहेज पर बैन लगाने वाले बिल को अव्यावहारिक मानते हुए खारिज कर दिया
- शर्मिला फारुकी द्वारा पेश बिल में दहेज को अपराध घोषित करने और उल्लंघन पर सजा का प्रावधान था
- समिति के सदस्यों ने सर्वसम्मति से दहेज प्रथा को रोकने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया
पाकिस्तान में दहेज प्रथा के खिलाफ कानून बनने नहीं जा रहा है. खुद वहां के नेशनल असेंबली यानी संसद ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं. जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार नेशनल असेंबली की एक स्थायी समिति ने मंगलवार, 23 दिसंबर को दहेज पर प्रतिबंध लगाने वाले एक बिल को "अव्यावहारिक" बताते हुए खारिज कर दिया. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सांसद शर्मिला फारुकी ने आंतरिक मामलों पर स्थायी समिति की बैठक के दौरान यह बिल पेश किया था.
रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित कानून में दहेज प्रथाओं को अपराध घोषित करने और उल्लंघन करने पर सजा की रूपरेखा तैयार करने की मांग की गई है. हालांकि, इसमें यह भी एक बात शामिल थी कि अगर माता-पिता अपनी इच्छा से शादी में गिफ्ट देते हैं तो उसकी इजाजत रहेगी. लेकिन यह बिल पास होने में विफल रहा क्योंकि समिति के सदस्यों ने "सर्वसम्मति से" इसे "अव्यावहारिक" घोषित कर दिया.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सांसद शर्मिला फारुकी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि बैठक के दौरान हुई चर्चा "दहेज पर रोक के बजाय प्रोत्साहन को दर्शाती है". उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, "दहेज कोई संस्कृति नहीं है. यह जबरदस्ती है. सरकार को महिलाओं के साथ खड़ा होना चाहिए, न कि ऐसी प्रथा को सामान्य बनाना चाहिए जो उन्हें गुलाम बनाती है. जो समाज दहेज की रक्षा करता है, वह सम्मान के बजाय पितृसत्ता को चुनता है."
पिछले साल, पाकिस्तान में काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) ने दहेज और दुल्हन उपहार अधिनियम में बदलाव का सुझाव दिया था, जिसमें कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए छह महीने से बढ़ाकर एक साल की कैद तक की सजा का प्रस्ताव किया गया था. पिछले साल अक्टूबर में अपनी 239वीं बैठक के दौरान, सीआईआई ने दहेज की राशि की अधिकतम सीमा 5,000 रुपये से बढ़ाकर दो तोला सोना करने की सिफारिश की थी, साथ ही शादी के खर्च को 2,500 रुपये से बढ़ाकर इतनी ही राशि के बराबर करने की भी सिफारिश की थी.