एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा है कि पाकिस्तान का परमाणु हथियार कार्यक्रम विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाला है और वर्ष 2020 तक उसके पास 200 से अधिक परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री होगी।
'काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस' ने कहा, 'कई देश अपनी कुल सामग्री में कटौती कर रहे हैं, एशिया में इसमें बढोत्तरी हो रही है। पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाला है। 2020 तक इसके पास इतनी परमाणु सामग्री होगी कि अगर इनसे हथियार बनाने जाएं तो 200 परमाणु हथियार बन सकते हैं।'
जॉर्ज मैसन विश्वविद्यालय के ग्रेगरी कोब्लेनज द्वारा तैयार रिपोर्ट 'स्ट्रेटजिक स्टेबिलिटी इन द सेकेंड न्यूक्लियर एज' में दक्षिण एशिया को 'अनसुलझे क्षेत्रीय विवादों, सीमापार आतंकवाद और बढ़े परमाणु हथियारों के विस्फोटक मिश्रण के कारण रणनीतिक स्थिरता में कमी के खतरे वाला' क्षेत्र माना गया।
रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान ने लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक मिसाइलों तथा क्रूज मिसाइलों सहित अपने परमाणु हथियारों के लिए 11 डिलीवरी प्रणालियां या तो विकसित की हैं या विकसित कर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया, 'पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से उस स्थिति की घोषणा नहीं की हैं, जिसके तहत वह परमाणु हथियारों का प्रयोग करने की बात सोचता है लेकिन संकेत दिए कि वह मुख्य रूप से उसकी क्षेत्रीय अखंडता या उसके क्षेत्र को बचाने की उसकी सेना की क्षमता के लिए खतरा पैदा करने से भारत को रोकने के प्रयास के तहत ऐसा कर रहा है।'
सीएफआर ने कहा कि पाकिस्तान का ध्यान पूरी तरह से भारत द्वारा पैदा खतरे पर है, कहा जा रहा है कि वह पाकिस्तानी परमाणु हथियार जब्त करने के लिए सैन्य अभियान चलाने की अमेरिका की क्षमता से भी चिंतित है।
सीएफआर ने कहा, 'यह चिंता पाकिस्तानी परमाणु हथियारों को आतंकवादियों के हाथों में जाने से रोकने के लिए अमेरिकी सेना की कथित संभावित योजना पर आधारित है।'
सीएफआर ने कहा कि भारत के पास एक अनुमान के अनुसार 90 से 100 के बीच परमाणु हथियारों के लिए पर्याप्त विखंडनीय सामग्री है और वह अपनी विखंडनीय पदार्थ सामग्री उत्पादन क्षमता को बढ़ा रहा है।
इसमें कहा गया कि एक अनुमान के अनुसार चीन के पास मध्यम, इंटरमीडिएट और अंतरमहाद्वीपीय दूरी की बालिस्टिक मिसाइलों द्वारा डिलीवरी के लिए 250 परमाणु हथियार हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि परमाणु हथियारों में दुनिया के अन्य भागों में कटौती की जा रही है, लेकिन एशिया में इसमें वृद्धि हो रही है। सुरक्षा परिषद के अन्य स्थायी देशों के विपरीत चीन अपने परमाणु आयुध क्षमता में विस्तार कर रहा है।
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