फाइल फोटो
कराची:
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के प्रमुख एक नए अभियान की अगुआई कर रहे हैं, जो देश के तटीय शहर कराची को एक मजबूत राजनीतिक दल के प्रभाव से हटाने पर केंद्रित है। सेना की इस कार्रवाई को देश में हालिया वर्षों में की गई सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है।
खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख रिज़वान अख्तर के करीबी सरकारी अधिकारी ने बताया कि धीरे-धीरे कराची को मिलिटरी टेकओवर करने जा रही है, जो परंपरागत रूप से आर्मी पावर का विस्तार होगा।
नाम न बताने की शर्त पर इस अधिकारी ने साथ ही कहा, 'कराची बहुत बड़ा शहर है जहां ज्यादा जमीन, ज्यादा व्यापार और संसाधन हैं। किसी भी एक दल को शहर का शासन चलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।'
बीते काफी दिनों से हिंसा की चपेट में रहा कराची पाकिस्तान का सबसे समृद्ध शहर है। यहां देश का आधा राजस्व ही नहीं, बल्कि स्टॉक एक्सचेंज, सेंट्रल बैंक और बड़ा पोर्ट भी है।
कराची में, सेना की कार्रवाई 2013 में शुरू हुई थी, जब यहां हत्या के मामले बहुत बढ़ गए थे और लाशों का गिरना आम सा हो गया था।
बीते महीने शुरू हुए इस अभियान का मुख्य लक्ष्य बदमाशों और आतंकियों को बताया जा रहा हैं, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि निशाने पर मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) ही रहने वाली है। वहीं सेना प्रवक्ता से जब इस बारे में पूछा गया तो उनसे किसी तरह का जवाब नहीं मिला।
एमक्यूएम की पकड़ कमजोर करने और नेता अल्ताफ हुसैन का निर्वासन, शहर में दूसरे पार्टियों के लिए भी अवसर लेकर आएगा। सेना के लिए यह सहानुभूति भी पैदा कर सकता है, जैसा कि इमरान खान के नेतृत्व में बनी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से हुआ।
यह कदम सेना के लिए इकनॉमिक हब में फायदा भी लेकर आएगा। सैन्य अदालत के जरिये राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और जुडिशरी पर पकड़ मजबूत करने में भी सेना को आसानी होगी।
सेना के बढ़ते प्रभाव के बीच निश्चित है कि नवाज शरीफ के लिए इससे मुसीबत खड़ी होगी, जिन्होंने 2013 के चुनावों में भारत के साथ रिश्तों को बहेतर बनाने का वादा किया था।
खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख रिज़वान अख्तर के करीबी सरकारी अधिकारी ने बताया कि धीरे-धीरे कराची को मिलिटरी टेकओवर करने जा रही है, जो परंपरागत रूप से आर्मी पावर का विस्तार होगा।
नाम न बताने की शर्त पर इस अधिकारी ने साथ ही कहा, 'कराची बहुत बड़ा शहर है जहां ज्यादा जमीन, ज्यादा व्यापार और संसाधन हैं। किसी भी एक दल को शहर का शासन चलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।'
बीते काफी दिनों से हिंसा की चपेट में रहा कराची पाकिस्तान का सबसे समृद्ध शहर है। यहां देश का आधा राजस्व ही नहीं, बल्कि स्टॉक एक्सचेंज, सेंट्रल बैंक और बड़ा पोर्ट भी है।
कराची में, सेना की कार्रवाई 2013 में शुरू हुई थी, जब यहां हत्या के मामले बहुत बढ़ गए थे और लाशों का गिरना आम सा हो गया था।
बीते महीने शुरू हुए इस अभियान का मुख्य लक्ष्य बदमाशों और आतंकियों को बताया जा रहा हैं, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि निशाने पर मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) ही रहने वाली है। वहीं सेना प्रवक्ता से जब इस बारे में पूछा गया तो उनसे किसी तरह का जवाब नहीं मिला।
एमक्यूएम की पकड़ कमजोर करने और नेता अल्ताफ हुसैन का निर्वासन, शहर में दूसरे पार्टियों के लिए भी अवसर लेकर आएगा। सेना के लिए यह सहानुभूति भी पैदा कर सकता है, जैसा कि इमरान खान के नेतृत्व में बनी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से हुआ।
यह कदम सेना के लिए इकनॉमिक हब में फायदा भी लेकर आएगा। सैन्य अदालत के जरिये राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और जुडिशरी पर पकड़ मजबूत करने में भी सेना को आसानी होगी।
सेना के बढ़ते प्रभाव के बीच निश्चित है कि नवाज शरीफ के लिए इससे मुसीबत खड़ी होगी, जिन्होंने 2013 के चुनावों में भारत के साथ रिश्तों को बहेतर बनाने का वादा किया था।
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