
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ पर वैश्विक शांति और बहुपक्षीय सहयोग पर अपना सशक्त रुख प्रस्तुत किया.
- UN में भारतीय राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने शीत युद्ध के बाद बढ़े गैर-राज्य आतंकी संगठनों की भूमिका पर भी बात रखी.
- भारत ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस नीति और संयुक्त राष्ट्र में शांति मिशनों में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ पर भारत ने वैश्विक शांति, बहुपक्षीय सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख पर पूरी मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा और पाकिस्तान को एक बार फिर आतंक पर खरीखोटी सुनाई. यूएन में भारत के राजदूत पर्वतनेनी हरीश (PR) ने अपनी स्पीच में बताया कि कैसे शीत युद्ध के बाद संघर्षों का स्वरूप बदला और गैर-राज्य आतंकी संगठनों की भूमिका बढ़ी.
भारत ने हालिया पहलगाम आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत का जिक्र करते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकी अड्डों पर सटीक कार्रवाई की जानकारी दी. पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए भारत ने कहा, 'पाकिस्तान कट्टरता और आतंकवाद में डूबा हुआ है.'
भारत ने खुद को लोकतांत्रिक और समावेशी राष्ट्र बताया, साथ ही आतंकवाद के प्रति 'जीरो टोलरेंस' की नीति को दोहराया.
#IndiaAtUN
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) July 22, 2025
PR @AmbHarishP delivered 🇮🇳's statement at the @UN Security Council High Level Open Debate on Promoting International Peace and Security through Multilateralism and Peaceful Settlement of Disputes. @MEAIndia @IndianDiplomacy pic.twitter.com/A3jp6ojkJy
भारत ने यूएन में किस मुद्दे पर क्या कहा?
भारत ने यूएन में अपने शांति मिशनों और वैश्विक सहयोग की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया. भारत ने कहा कि विवादों का समाधान संबंधित देशों की सहमति और प्रयास से ही संभव है. UNSC में सुधार की मांग दोहराते हुए भारत ने G20 में अफ्रीकी यूनियन की भागीदारी को उपलब्धि बताया. भारत की ओर से राजदूत पर्वतनेनी ने वैश्विक सहयोग, शांति, आतंकवाद और अन्य मुद्दों पर बात रखी.
- संयुक्त राष्ट्र के 80 साल: स्पीच में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र के 80 साल पूरे होने पर यह सोचने का समय है कि बहुपक्षीय सहयोग और शांतिपूर्ण तरीके से विवाद सुलझाने के मकसद कितने पूरे हुए हैं.
- संघर्षों का बदला रूप: शीत युद्ध के बाद दुनिया में नए तरह के संघर्ष शुरू हुए, जिनमें गैर-राज्य आतंकी समूहों की भूमिका बढ़ी, जिन्हें कई बार देशों से मदद मिलती रही.
- शांति सेना से शांति निर्माण तक: संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना का काम अब पहले से बदल चुका है. अब शांति निर्माण (peacebuilding) और क्षेत्रीय संगठनों, जैसे अफ्रीकी यूनियन की भूमिका भी अहम हो गई है.
- विवाद सुलझाने में राष्ट्रीय भागीदारी जरूरी: UN चार्टर के मुताबिक, विवाद में शामिल देशों को पहले खुद ही शांतिपूर्ण समाधान की कोशिश करनी चाहिए. बाहरी दखल तभी कारगर होता है जब संबंधित देशों की सहमति हो.
- पहलगाम आतंकी हमला और भारत की कार्रवाई: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए. इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' चलाया, जो सीमित और शांतिपूर्ण तरीके से आतंकियों के अड्डों को निशाना बनाने के लिए किया गया.
- आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत: भारत ने जोर देकर कहा कि जो देश आतंक को बढ़ावा देते हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी चाहिए. UN सुरक्षा परिषद ने भी आतंकियों और उनके समर्थकों को सजा देने की बात कही.
- संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका: भारत संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य है और शांति मिशनों में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला देश है. भारत ने महिलाओं की शांति सेना में हिस्सेदारी को भी बढ़ावा दिया है.
- वैश्विक सहयोग में विश्वास: भारत जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, आपदा राहत और स्वास्थ्य जैसे वैश्विक मुद्दों पर बहुपक्षीय सहयोग में विश्वास करता है और अपनी जिम्मेदारी निभाता है.
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग: भारत ने कहा कि आज की दुनिया में UNSC की प्रतिनिधित्व व्यवस्था पुरानी हो चुकी है और उसमें तुरंत बदलाव जरूरी है. भारत ने G20 में अफ्रीकी यूनियन को शामिल कराने में भी अहम भूमिका निभाई.
- पाकिस्तान को करारा जवाब: अंत में पाकिस्तान काे जवाब देते हुए भारत ने कहा कि एक तरफ भारत है- लोकतांत्रिक, समावेशी और उभरती अर्थव्यवस्था, और दूसरी तरफ पाकिस्तान है- जो आतंकवाद और कट्टरपंथ में डूबा हुआ है, जो IMF से कर्ज लेता रहता है. भारत ने साफ कहा- आतंकवाद के लिए कोई सहनशीलता नहीं होनी चाहिए.
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