
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर नेशनल पार्क में हुए घोटाले के मामले में चार तत्कालीन वन अधिकारियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत देहरादून की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की है. ईडी ने उत्तराखंड वन विभाग के चार पूर्व अधिकारियों—कालागढ़ टाइगर रिजर्व के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद, पाखरो के तत्कालीन फॉरेस्ट रेंजर बृज बिहारी शर्मा, तत्कालीन डीएफओ अखिलेश तिवारी और तत्कालीन रेंजर मथुरा सिंह मावड़ी—के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.
चार्जशीट में कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और राज्य को वित्तीय हानि के आरोप लगाए गए हैं. ईडी ने इस मामले में आरोपियों की लगभग 1.75 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त की है.
दरअसल, विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट टाइगर नेशनल रिजर्व की पाखरो रेंज में 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी बनाने की योजना थी. लेकिन 2019 में बिना वित्तीय स्वीकृति के टाइगर सफारी का निर्माण शुरू कर दिया गया. इस दौरान 163 पेड़ काटने की अनुमति के बजाय 6,000 से अधिक पेड़ों का अवैध कटान किया गया. अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई की शिकायत पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने स्थलीय जांच की, जिसमें कई अनियमितताएं सामने आईं.
इसके बाद विजिलेंस ने जांच शुरू की और 2022 में पूर्व डीएफओ किशन चंद और रेंजर बृज बिहारी शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. आरोप था कि पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के नाम पर 215 करोड़ रुपये का दुरुपयोग किया गया. हाईकोर्ट के आदेश पर यह मामला सीबीआई को हस्तांतरित किया गया. सीबीआई ने 11 अक्टूबर 2023 को मुकदमा दर्ज किया और उसी वर्ष आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.
सीबीआई की जांच के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की. जांच में पाया गया कि इन अधिकारियों ने आपसी सांठगांठ से अवैध निर्माण कर प्राप्त धन का मनी लॉन्ड्रिंग में उपयोग किया.
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