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Henley passport index में कितने पायदान चढ़ा भारत का पासपोर्ट? जानें

बीस साल पहले हेनली पासपोर्ट इंडेक्स के विचार को शुरू करने वाले डॉ. क्रिश्चियन एच कायलिन के मुताबिक इंडेक्स के टॉप पर कुछ देशों का लगातार टिके रहना ये बताता है कि ऐसी पहुंच कोशिशों से हासिल की जाती है और उसे सक्रिय और सामरिक कूटनीति से बनाए रखा जाना चाहिए.

Henley passport index में कितने पायदान चढ़ा भारत का पासपोर्ट? जानें
  • हेनली पासपोर्ट इंडेक्स 2025 में भारत की रैंक 85 से सुधार कर 77 हो गई है, जिसमें आठ अंकों की वृद्धि हुई है
  • भारतीय पासपोर्ट धारक अब 59 देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर है
  • सिंगापुर का पासपोर्ट सबसे ताकतवर माना गया है, जिसके जरिए 193 देशों में बिना वीजा यात्रा संभव है
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नई दिल्ली:

दुनिया में देशों की ताकत, प्रभुत्व या दबदबे को मापने के कई पैमाने हैं. इसे आर्थिक आधार पर मापा जा सकता है, सैनिक ताकत के आधार पर मापा जा सकता है, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स से मापा जा सकता है. एक पैमाना और भी है वो है हेनली पासपोर्ट इंडेक्स. जिसमें मापने का आधार है किसी देश का पासपोर्ट. इसके लिए ये देखा जाता है कि किसी देश के पासपोर्ट पर दुनिया के कितने देशों में बिना वीज़ा के जाया जा सकता है.

हेनली पासपोर्ट इंडेक्स 2025 की रैंकिंग आ गई है और भारत की रैंक में इस बार आठ अंकों का सुधार हुआ है जबकि 2024 में भारत की रैंकिंग चार अंक गिर गई थी. पिछले साल भारत की रैंक 85 थी जो अब 77 हो गई है. भारतीय पासपोर्ट धारक दुनिया के 59 देशों में वीज़ा फ्री जा सकते हैं. इसी रैंकिंग में भारत के साथ दो और देश हैं फिलिपीन्स और श्रीलंका.

  • पासपोर्ट किसी भी देश की सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक ऐसा दस्तावेज है जिसके जरिए उस देश का नागरिक दूसरे देशों में जा सकता है. ये उस नागरिक की नागरिकता की भी पहचान होता है.
  • पासपोर्ट्स की इस पॉपुलर रैंकिंग के आधार पर सिंगापुर का पासपोर्ट दुनिया में सबसे ताकतवर बना हुआ है. सिंगापुर के पासपोर्ट के सहारे दुनिया में 227 में से 193 जगहों पर बिना वीजा के जाया जा सकता है.
  • हेनली पासपोर्ट रैंकिंग के टॉप में एशियाई देश ही हैं. जापान और दक्षिण कोरिया एक साथ दूसरे स्थान पर हैं. इन देशों के पासपोर्ट धारक 190 देशों में बिना पूर्व वीज़ा के जा सकते हैं.
  • तीसरे स्थान पर यूरोपियन यूनियन में शामिल सात देशों के पासपोर्ट हैं. ये हैं डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली और स्पेन. इनके सहारे 189 देशों में बिना वीज़ा के जाया जा सकता है.
  • ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, लग्ज़मबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, पुर्तगाल और स्वीडन साझा तौर पर चौथे स्थान पर हैं. इन देशों के पासपोर्ट होल्डर 188 देशों में वीज़ा फ्री जा सकते हैं.
  • न्यूज़ीलैंड, स्विट्ज़रलैंड और ग्रीस साझा रूप से पांचवें स्थान पर हैं. और उनके नागरिक 187 देशों की वीज़ा फ्री यात्रा कर सकते हैं.
  • अमेरिका और इंग्लैंड के पारंपरिक तौर पर ताक़वतर माने जाने वाले पासपोर्ट्स की रैंकिंग में गिरावट आई है. इंग्लैंड का पासपोर्ट पांचवें से छठे स्थान पर खिसक गया है. इंग्लैंड के पासपोर्ट पर दुनिया के 186 देशों में बिना वीज़ा जा सकते हैं.
  • अमेरिका का पासपोर्ट नौवें स्थान से दसवें स्थान पर खिसक गया है. अमेरिका के पासपोर्ट की मदद से दुनिया के 182 देशों में बिना वीज़ा जाया जा सकता है. दसवें स्थान पर अमेरिका के साथ आइसलैंड और लिथुआनिया भी शामिल हैं.
  • पड़ोसी देश चीन ने भी ऊंची छलांग लगाई है. पासपोर्ट इंडेक्स में चीन का पासपोर्ट 60वें स्थान पर है.
  • एक और पड़ोसी देश पाकिस्तान 96वें स्थान पर है. उसके पासपोर्ट पर 32 देशों ही वीज़ा फ्री जाया जा सकता है.
  • हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में सबसे निचले पायदान पर है अफ़ग़ानिस्तान. उसके देश सिर्फ़ 25 देशों में ही वीज़ा फ्री यात्रा कर सकते हैं.

हेनली इंडेक्स इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के आंकड़ों के आधार देशों के पासपोर्ट्स की रैंकिंग करता है. बीस साल पहले हेनली पासपोर्ट इंडेक्स के विचार को शुरू करने वाले डॉ. क्रिश्चियन एच कायलिन के मुताबिक इंडेक्स के टॉप पर कुछ देशों का लगातार टिके रहना ये बताता है कि ऐसी पहुंच कोशिशों से हासिल की जाती है और उसे सक्रिय और सामरिक कूटनीति से बनाए रखा जाना चाहिए.

हेनली एंड पार्टनर्स के सीईओ Dr Juerg Steffen के मुताबिक पासपोर्ट सिर्फ़ एक यात्रा दस्तावेज नहीं रह गया है. ये आपके देश के कूटनीतिक प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का आइना है.

इसी बहाने आपको कुछ दिलचस्प जानकारी भी दे दें.

  • आधुनिक पासपोर्ट्स जैसे किसी दस्तावेज़ के सबसे पहले इस्तेमाल का ज़िक्र 450 ईसा पूर्व प्राचीन पर्शिया का मिलता है. बाइबल के ओल्ड टेस्टामेंट के मुताबिक तब जेरूसलम को नए सिरे से बनाने का ज़िम्मा लेने वाले नेहेमिया को किंग आर्तज़र्क्सीज़ ने सुरक्षित यात्रा के लिए काग़ज़ात दिए थे.
  • 206 ईसा पूर्व चीन के हान वंश के शासन में भी एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया जाता था जिनमें व्यक्ति की पहचान के लिए उसकी उम्र, कद और अन्य शारीरिक पहचानों का ज़िक्र होता था.
  • 13वीं सदी में घुमक्कड़ यात्री मार्को पोलो के पिता पहले यूरोपियन बने जिन्हें कुबलई ख़ान ने पूरे मंगोल साम्राज्य में सुरक्षित आने जाने के लिए ख़ास इजाज़त दी.
  • आधुनिक इतिहास की बात करें तो 1414 में ब्रिटेन की संसद ने पहली बार पासपोर्ट का लिखित ज़िक्र किया. लेकिन पासपोर्ट शब्द को लेकर एक विवाद ये है कि कुछ लोग मानते हैं कि इस शब्द की उत्पत्ति ब्रिटिश है और कुछ मानते हैं कि उत्पत्ति फ्रेंच है. फ्रांस में पोर्ट को सिटी गेट कहा जाता है. 1420 में फ्रांस के किंग लुई इलेवन ने व्यापारियों के मुफ्त आने जाने के लिए सर्टिफिकेट जारी करने शुरू किए.
  • भारत की बात करें तो लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड् के मुताबिक सबसे पहला ब्रिटिश इंडियन पासपोर्ट 21 नवंबर, 1931 को तब के मैसुरू के बैंगलोर में शामपुर रामचंद्रैया नाम के एक व्यक्ति को जारी किया गया था. पेशे से अध्यापक और कपड़ा व्यापारी रामचंद्रैया को दुनिया घूमने का शौक था.

तो ये है पासपोर्ट की कहानी जो आज दुनिया में देशों की ताक़त का भी प्रतीक बन गया है...

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