(प्रतीकात्मक तस्वीर)
वाशिंगटन:
एक ताजा जारी बयान में अमेरिका के एक शीर्ष पूर्व सीनेटर ने पाकिस्तान पर निशाना साधा है. बयान मे आशंका जताई गई है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अमेरिका के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है. अमेरिकी पूर्व सीनेटर ने पाकिस्तान और उत्तर कोरिया दोनों को दुष्ट राष्ट्र बताते हुए चेतावनी दी कि पाकिस्तान उत्तर कोरिया से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उसके परमाणु हथियारों पर कोई केंद्रीकृत नियंत्रण नहीं है जिससे वे चोरी एवं बिक्री के लिहाज से संवेदनशील हैं. अमेरिकी सीनेट की शस्त्र नियंत्रण उपसमिति के प्रमुख रहे लैरी प्रेसलर ने आशंका जताई कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का अमेरिका के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है और आगाह किया कि इन हथियारों को (पाकिस्तानी) जनरल या कर्नल से खरीदा जा सकता है.
उपसमिति के प्रमुख के तौर पर प्रेसलर ने 1990 में लागू किए गए उस संशोधन की वकालत की थी जिसे अब प्रेसलर अमेंडमेंट (संशोधन) के तौर पर जाना जाता है.
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इसके तहत पाकिस्तान को सहायता एवं सैन्य बिक्री रोक दी गई जिसने पाकिस्तान और भारत के साथ अमेरिका के संबंधों की प्रवृत्ति हमेशा के लिए बदल दी. इन सैन्य बिक्रियों में लड़ाकू विमानों की एक खेप शामिल है. उन्होंने कहा, ‘उनके (परमाणु) हथियार आसानी से अमेरिका लाए जा सकते हैं. उसी तरह जैसे 9/11 20 या 30 लोगों द्वारा संचालित अभियान था.’ प्रेसलर ने शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ‘द हडसन इंस्टीट्यूट’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘पाकिस्तानी परमाणु हथियार नियंत्रित नहीं हैं. उनकी बिक्री या चोरी हो सकती है और उन्हें पाकिस्तान से दुनिया में कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता था.’
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उन्होंने अपनी नयी किताब ‘नेबर्स इन आर्म्स: ऐन अमेरिकन सीनेटर्स क्वेस्ट फोर डिसार्ममेंट’ की चर्चा करते हुए कहा, ‘मैं पाकिस्तान को इस लिहाज से उत्तर कोरिया से कहीं ज्यादा खतरनाक मानता हूं कि पाकिस्तान में परमाणु हथियारों का केंद्रीकृत नियंत्रण नहीं है.’ हालांकि पूर्व सीनेटर ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने साथ ही कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित कर देना चाहिए. प्रेसलर ने कहा, ‘हमें पाकिस्तान को एक आतंकी देश घोषित कर देना चाहिए. हमें पाकिस्तान पर कुछ प्रतिबंध लगाने चाहिए.’ पूर्व सीनेटर ने साथ ही कहा कि उन्होंने भारत को और ऊंचे स्तर पर देखने के लिए अपनी किताब में कुछ सुधारों की सिफारिश की है.
उपसमिति के प्रमुख के तौर पर प्रेसलर ने 1990 में लागू किए गए उस संशोधन की वकालत की थी जिसे अब प्रेसलर अमेंडमेंट (संशोधन) के तौर पर जाना जाता है.
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इसके तहत पाकिस्तान को सहायता एवं सैन्य बिक्री रोक दी गई जिसने पाकिस्तान और भारत के साथ अमेरिका के संबंधों की प्रवृत्ति हमेशा के लिए बदल दी. इन सैन्य बिक्रियों में लड़ाकू विमानों की एक खेप शामिल है. उन्होंने कहा, ‘उनके (परमाणु) हथियार आसानी से अमेरिका लाए जा सकते हैं. उसी तरह जैसे 9/11 20 या 30 लोगों द्वारा संचालित अभियान था.’ प्रेसलर ने शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ‘द हडसन इंस्टीट्यूट’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘पाकिस्तानी परमाणु हथियार नियंत्रित नहीं हैं. उनकी बिक्री या चोरी हो सकती है और उन्हें पाकिस्तान से दुनिया में कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता था.’
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उन्होंने अपनी नयी किताब ‘नेबर्स इन आर्म्स: ऐन अमेरिकन सीनेटर्स क्वेस्ट फोर डिसार्ममेंट’ की चर्चा करते हुए कहा, ‘मैं पाकिस्तान को इस लिहाज से उत्तर कोरिया से कहीं ज्यादा खतरनाक मानता हूं कि पाकिस्तान में परमाणु हथियारों का केंद्रीकृत नियंत्रण नहीं है.’ हालांकि पूर्व सीनेटर ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने साथ ही कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित कर देना चाहिए. प्रेसलर ने कहा, ‘हमें पाकिस्तान को एक आतंकी देश घोषित कर देना चाहिए. हमें पाकिस्तान पर कुछ प्रतिबंध लगाने चाहिए.’ पूर्व सीनेटर ने साथ ही कहा कि उन्होंने भारत को और ऊंचे स्तर पर देखने के लिए अपनी किताब में कुछ सुधारों की सिफारिश की है.
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