विज्ञापन

क्या चीन के इशारे पर तालिबान के पीछे पड़ा पाकिस्तान?

पाकिस्तान-अफगानिस्तान के रिश्ते पिछले काफी समय से खराब चल रहे हैं. हाल के दिनों में दोनों देशों के रिश्ते में और अधिक तनाव है. दोनों देशों ने सीमा पर अपनी सेना को तैनात कर दिया है.

क्या चीन के इशारे पर तालिबान के पीछे पड़ा पाकिस्तान?
नई दिल्ली:

अफगानिस्तान और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच लंबे समय से सीमा विवाद रहा है. हालांकि हाल के दिनों में यह विवाद और अधिक बढ़ गया है. पाकिस्तान ने हाल ही में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के भीतर आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिनमें कई तालिबान लड़ाके मारे गए. इस घटना के बाद अब अफगानिस्तान की तरफ से भी जवाबी कार्रवाई हुई है. तालिबान ने लगभग 15,000 लड़ाकों को पाकिस्तान की सीमा की ओर भेजा है, जबकि पाकिस्तान ने भी अपनी सेना को पेशावर और क्वेटा के इलाके में तैनात कर दिया है. 

दोनों देश एक दूसरे पर लगाते रहे हैं आरोप
अफगानिस्तान और पाकिस्तान एक-दूसरे पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रहे हैं. पाकिस्तान पर आरोप है कि उसने अफगानिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दिया, जबकि  पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) और बलूचिस्तान में अलगाववादियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था. अफगानिस्तान में कई नेताओं का मानना है कि पाकिस्तान ने पश्तूनों के अधिकारों का दमन किया है.पाकिस्तान को डर है कि अगर अफगानिस्तान मजबूत हुआ, तो वह पाकिस्तान के पश्तून क्षेत्रों को अपने साथ मिलाने की मांग कर सकता है.

Latest and Breaking News on NDTV

2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद भी दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हैं. तालिबान ने डुरंड रेखा को मान्यता देने से इंकार कर दिया था. तालिबान से पाकिस्तान जैसी उम्मीदे रखता था परिणाम ठीक उसके उलट देखने को मिले जिसके बाद दोनों देशों तनाव और अधिक बढ़ गए हैं. 

पूरे मामले में क्या चीन कर रहा है खेल? 
चीन की दिलचस्पी अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आर्थिक और रणनीतिक कारणों से हमेशा से रही है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) चीन की एक बहुत बड़ी योजना है.चीन चाहता है कि अफगानिस्तान इस परियोजना का हिस्सा बने ताकि वह अपने व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति को मध्य एशिया तक बढ़ा सके. अफगानिस्तान के हिस्से में कई खनिज संपदा भी है जिसपर भी चीन की नजर रही है. हालांकि तालिबान की तरफ से चीन के प्रति बहुत अधिक सकारात्मक रुख नहीं अपनाया गया है. 

चीन ने तालिबान शासन को खुली मान्यता नहीं दी है, लेकिन उनके साथ रणनीतिक बातचीत बनाए रखी है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि चीन दोनों देशों के बीच तनाव का फायदा उठा रहा है. 

Latest and Breaking News on NDTV

चीन चल रहा है चाल?
चीन सार्वजनिक रूप से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में शांति और स्थिरता की वकालत करता है। वह तालिबान शासन को CPEC से जोड़ने और दोनों देशों में विकास को बढ़ावा देने की बात करता रहा है. हालांकि अफगानिस्तान की तरफ से कभी भी इसे लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी गयी है. 

चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा क्या है? 
चीन और पाकिस्तान के बीच एक महत्वाकांक्षी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, जिसे "बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)" का प्रमुख हिस्से के तौर पर जाना जाता है. यह गलियारा चीन के शिनजियांग प्रांत से शुरू होकर पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक जाता है. इसका उद्देश्य क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाना, व्यापार को आसान बनाना और दोनों देशों की आर्थिक वृद्धि में तेजी लाना है. इसकी शुरुआत 2013 में हुई थी और इसे लगभग $62 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से विकसित किया जा रहा है. यह गलियारा लगभग 3000 किलोमीटर लंबा है.

Latest and Breaking News on NDTV

सीपीईसी का कौन कर रहा है विरोध
बलूचिस्तान के लोग ग्वादर परियोजना और CPEC में अपनी भागीदारी की कमी को लेकर नाराज हैं. CPEC का कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है। भारत ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताते हुए विरोध जताया है. परियोजनाओं के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर भी कई संगठन सवाल उठा रहे हैं. 

सीपीईसी क्यों अफगानिस्तान के हित में नहीं है

  • सीपीईसी के तहत चीन और पाकिस्तान के बढ़ते रिश्ते अफगानिस्तान की भौगोलिक और राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि अफगानिस्तान को अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है. 
  • अफगानिस्तान को सीपीईसी के विकास से जुड़े आर्थिक अवसरों का लाभ अधिक नहीं होगा. बल्कि उसके संसाधनों का दोहन होगा. 
  • सीपीईसी के कारण अफ़गानिस्तान में भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, जिससे देश में अस्थिरता और संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है. 
  • अफ़गानिस्तान को सीपीईसी परियोजनाओं के लिए चीन से भारी कर्ज लेना होगा जिससे उसकी अर्थव्यवस्था खराब हो सकती है. 

पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने क्या कहा? 
पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने कहा कि हम मुसलमान हैं और कुर्बानी देना, जान देना हमारे लिए गर्व की बात है. हम अपने ईमान, अपने वतन और अपनी आज़ादी पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे. कोई भी राजनीतिक शख्सियत यह दावा करे कि उसे पूरी जानकारी है, तो ऐसे रवैयों की कीमत पूरी कौम अपने खून से चुकाती है और हम इस समय यही कीमत चुका रहे हैं. यह जो पॉलिसी थी, जिसमें बातचीत और समझौते की बात की गई थी, उसका खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ा. 2021 में भी किसकी जिद थी कि अफगानिस्तान से बातचीत कर समझौता किया जाए और उसी जिद की कीमत पाकिस्तान और पख्तूनख्वा को अदा करनी पड़ रही है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com