शफ़ाकत हुसैन की फाइल तस्वीर
कराची, पाकिस्तान:
पाकिस्तान में मंगलवार सुबह हत्या के एक अपराधी को फांसी की सज़ा दी गई, लेकिन इस अभियुक्त के समर्थकों का आरोप है कि ये फांसी की सज़ा गलत है क्योंकि उनके अनुसार जिस समय इस युवक ने ये अपराध किया था उस समय वो नाबालिग था।
शफ़ाकत हुसैन नाम के इस अपराधी को दी गई सज़ा का विरोध संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन समेत कई अन्य समाजसेवी संगठनों ने भी किया था।
शफ़ाकत के भाई और जेल अधिकारी के अनुसार साल 2004 में एक सात साल के बच्चे की हत्या का आरोप था, उन्हें मंगलवार सुबह सूरज उगने से पहले जेल परिसर में फांसी दी गई।
शफ़ाकत के केस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा था, क्योंकि उनके वकील और परिवार के अनुसार अपराध के दौरान उसकी उम्र महज़ 15 साल की थी और जेल में उसे टॉर्चर कर उससे गुनाह कबूल करवाया गया था।
अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के विपरीत
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, 'ये केस अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को पूरा नहीं करता था, इसलिए पाकिस्तान सरकार को उन आरोपों की जांच करनी चाहिए थी जिसमें ये कहा गया था कि शफ़ाकत पर दबाव डालकर उससे ये गुनाह़ कबूल करवाया गया था।'
शफ़ाकत हुसैन के गृहनगर कश्मीर इलाके की सरकार ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून हुसैन से इस सज़ा को कुछ समय के लिए रोकने की गुज़ारिश की थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
शफ़ाकत हुसैन को मंगलवार सुबह सूरज उगने से 10-12 मिनट पहले फांसी पर चढ़ाया गया। हुसैन के भाई गुल ज़मान ने इसकी पुष्टि की।
फांसी की सज़ा का विरोधी रहा यूरोपियन यूनियन भी लगातार शफ़ाकत को फांसी दिए जाने के ख़िलाफ़ रहा है।
शफ़ाकत हुसैन नाम के इस अपराधी को दी गई सज़ा का विरोध संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन समेत कई अन्य समाजसेवी संगठनों ने भी किया था।
शफ़ाकत के भाई और जेल अधिकारी के अनुसार साल 2004 में एक सात साल के बच्चे की हत्या का आरोप था, उन्हें मंगलवार सुबह सूरज उगने से पहले जेल परिसर में फांसी दी गई।
शफ़ाकत के केस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा था, क्योंकि उनके वकील और परिवार के अनुसार अपराध के दौरान उसकी उम्र महज़ 15 साल की थी और जेल में उसे टॉर्चर कर उससे गुनाह कबूल करवाया गया था।
अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के विपरीत
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, 'ये केस अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को पूरा नहीं करता था, इसलिए पाकिस्तान सरकार को उन आरोपों की जांच करनी चाहिए थी जिसमें ये कहा गया था कि शफ़ाकत पर दबाव डालकर उससे ये गुनाह़ कबूल करवाया गया था।'
शफ़ाकत हुसैन के गृहनगर कश्मीर इलाके की सरकार ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून हुसैन से इस सज़ा को कुछ समय के लिए रोकने की गुज़ारिश की थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
शफ़ाकत हुसैन को मंगलवार सुबह सूरज उगने से 10-12 मिनट पहले फांसी पर चढ़ाया गया। हुसैन के भाई गुल ज़मान ने इसकी पुष्टि की।
फांसी की सज़ा का विरोधी रहा यूरोपियन यूनियन भी लगातार शफ़ाकत को फांसी दिए जाने के ख़िलाफ़ रहा है।
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