फाइल फोटो
लाहौर:
पाकिस्तान ने भारत से कहा है कि वह यहां मुंबई हमले की सुनवाई कर रही आतंकवाद विरोधी अदालत के समक्ष बयान दर्ज कराने के लिए सभी 24 भारतीय गवाहों को भेजे। अभियोजन पक्ष के प्रमुख चौधरी अजहर ने बताया, विदेश मंत्रालय ने सभी 24 भारतीय गवाहों को मुंबई हमले के मामले में अदालत के समक्ष बयान रिकॉर्ड करने के मकसद से बुलाने के लिए भारत सरकार को लिखा है।
उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद स्थित आतंकवाद रोधी अदालत पहले ही इस मामले में सभी पाकिस्तानी गवाहों के बयान रिकॉर्ड कर चुकी है। पाकिस्तान में इस मामले की सुनवाई छह साल से अधिक समय से चल रही है।
अजहर ने कहा, अब गेंद भारत के पाले में है। भारत सरकार को मुंबई मामले के सभी भारतीय गवाहों को बयान दर्ज कराने के लिए पाकिस्तान भेजना चाहिए ताकि सुनवाई आगे बढ़ सके। पिछले महीने अदालत ने एफआईए को आदेश दिया था कि वह सभी 24 भारतीय गवाहों को बयान रिकॉर्ड कराने के लिए अदालत में पेश करे। उसने उन नौकाओं को पाकिस्तान लाने के लिए कहा था जिनका इस्तेमाल अजमल कसाब और दूसरे आतंकवादियों ने किया था।
पाकिस्तान के आठ-सदस्यीय न्यायिक आयोग ने आतंकवाद रोधी अदालत की तरफ से भारत का दौरा किया था। उधर, मामले के मुख्य अभयुक्त जकीउर रहमान लखवी के वकील ने आयोग की कार्यवाही को चुनौती दी थी, क्योंकि मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसएस शिंदे ने आयोग के सदस्यों को गवाहों के साथ जिरह नहीं करने दिया। इस आधार पर अदालत ने आयोग की कार्यवाही को अवैध घोषित कर दिया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद स्थित आतंकवाद रोधी अदालत पहले ही इस मामले में सभी पाकिस्तानी गवाहों के बयान रिकॉर्ड कर चुकी है। पाकिस्तान में इस मामले की सुनवाई छह साल से अधिक समय से चल रही है।
अजहर ने कहा, अब गेंद भारत के पाले में है। भारत सरकार को मुंबई मामले के सभी भारतीय गवाहों को बयान दर्ज कराने के लिए पाकिस्तान भेजना चाहिए ताकि सुनवाई आगे बढ़ सके। पिछले महीने अदालत ने एफआईए को आदेश दिया था कि वह सभी 24 भारतीय गवाहों को बयान रिकॉर्ड कराने के लिए अदालत में पेश करे। उसने उन नौकाओं को पाकिस्तान लाने के लिए कहा था जिनका इस्तेमाल अजमल कसाब और दूसरे आतंकवादियों ने किया था।
पाकिस्तान के आठ-सदस्यीय न्यायिक आयोग ने आतंकवाद रोधी अदालत की तरफ से भारत का दौरा किया था। उधर, मामले के मुख्य अभयुक्त जकीउर रहमान लखवी के वकील ने आयोग की कार्यवाही को चुनौती दी थी, क्योंकि मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसएस शिंदे ने आयोग के सदस्यों को गवाहों के साथ जिरह नहीं करने दिया। इस आधार पर अदालत ने आयोग की कार्यवाही को अवैध घोषित कर दिया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं