इस्लामाबाद:
पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच टकराव ने बुधवार को और बड़ा रूप ले लिया जब शक्तिशाली सेना प्रमुख ने चेतावनी दी कि मेमोगेट प्रकरण पर प्रधानमंत्री द्वारा उनके और आईएसआई प्रमुख के खिलाफ की गई गंभीर टिप्पणी के देश के लिए बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वहीं, सरकार ने सेना प्रमुख के करीबी समझे जाने वाले रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल खालिद नईम लोधी को बर्खास्त कर दिया।
मेमोगेट प्रकरण में सेना प्रमुख जनरल अश्फाक परवेज कयानी और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा के अवैध तरीके से काम करने की प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सेना ने एक संक्षिप्त वक्तव्य में कहा कि इस बयान के बेहद गंभीर निहितार्थ हो सकते हैं जिसके संभावित नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
सेना के वक्तव्य में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने सीओएएस (सेना प्रमुख) और डीजी आईएसआई (आईएसआई प्रमुख) के खिलाफ जो आरोप लगाए इससे ज्यादा गंभीर आरोप और कुछ नहीं हो सकते। दुर्भाग्य से अधिकारियों पर देश के संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।’ वक्तव्य में कहा, ‘इसके बेहद गहरे निहितार्थ हैं जिसके संभावित नतीजे देश के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं।’
सेना की ओर से कठोर शब्दों में चेतावनी दिए जाने के कुछ ही समय बाद गिलानी ने सेना प्रमुख के करीबी समझे जाने वाले रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल खालिद नईम लोधी को बख्रास्त कर दिया। इससे असैनिक सरकार और सेना के बीच विवाद और बढ़ गया है। तेजी से चल रहा घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब सरकार न्यायपालिका के साथ भी टकराव की मुद्रा में है। उच्चतम न्यायालय ने कल चेतावनी दी थी कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को दोबारा खोलने के अदालत के आदेश पर कार्रवाई करने में विफल रहने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इससे पहले जरदारी ने साफ कर दिया कि उनकी पद से इस्तीफा देने की कोई मंशा नहीं है। उधर, इस स्थिति पर विचार करने के लिए संसद का अत्यावश्यक सत्र बुलाया गया है।
जरदारी ने अपने प्रवक्ता के जरिए उन खबरों का खंडन किया कि उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी :पीपीपी: और उसके सहयोगी दलों की कल देर रात हुई बैठक में इस्तीफा देने की पेशकश की थी।
सेना और आईएसआई प्रमुख के सरकार से अनुमति हासिल किए बिना मेमोगेट प्रकरण पर शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने की बात गिलानी द्वारा कहे जाने के दो दिन बाद शक्तिशाली सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो आरोप लगाए उससे ज्यादा गंभीर और कोई आरोप नहीं हो सकता। गिलानी ने चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘पीपुल्स डेली’ के ऑनलाइन संस्करण को सोमवार को दिए गए साक्षात्कार में यह टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख कयानी और आईएसआई प्रमुख पाशा ने सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के बिना कथित मेमो को लेकर उच्चतम न्यायालय में जवाब दाखिल किया।
उन्होंने कहा कि इन दोनों जवाबों के लिए सक्षम प्राधिकार से मंजूरी के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं भेजा गया था।
गिलानी ने कहा था कि रक्षा मंत्री से जवाबों के लिए कोई मंजूरी हासिल नहीं की गई थी और सरकारी पदाधिकारी द्वारा सरकार की पूर्व मंजूरी के बगैर की गई कोई भी आधिकारिक कार्रवाई ‘असंवैधानिक और अवैध’ है।
सूत्रों ने कहा कि सैन्य नेतृत्व ने साक्षात्कार के दौरान गिलानी द्वारा की गई टिप्पणी के बारे में विस्तृत विवरण जुटा लिए थे। सूत्रों ने बताया कि इसके बाद कयानी और शीर्ष सैन्य कमांडरों ने कल मूल्यांकन किया ताकि औपचारिक जवाब जारी किया जा सके।
सेना और आईएसआई प्रमुख के सरकार से अनुमति हासिल किए बिना मेमोगेट प्रकरण पर शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने की बात गिलानी द्वारा कहे जाने के दो दिन बाद शक्तिशाली सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो आरोप लगाए उससे ज्यादा गंभीर और कोई आरोप नहीं हो सकता। गिलानी ने चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘पीपुल्स डेली’ के ऑनलाइन संस्करण को सोमवार को दिए गए साक्षात्कार में यह टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख कयानी और आईएसआई प्रमुख पाशा ने सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के बिना कथित मेमो को लेकर उच्चतम न्यायालय में जवाब दाखिल किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों जवाबों के लिए सक्षम प्राधिकार से मंजूरी के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं भेजा गया था।
गिलानी ने कहा था कि रक्षा मंत्री से जवाबों के लिए कोई मंजूरी हासिल नहीं की गई थी और सरकारी पदाधिकारी द्वारा सरकार की पूर्व मंजूरी के बगैर की गई कोई भी आधिकारिक कार्रवाई ‘असंवैधानिक और अवैध’ है। सूत्रों ने कहा कि सैन्य नेतृत्व ने साक्षात्कार के दौरान गिलानी द्वारा की गई टिप्पणी के बारे में विस्तृत विवरण जुटा लिए थे। सूत्रों ने बताया कि इसके बाद कयानी और शीर्ष सैन्य कमांडरों ने कल मूल्यांकन किया ताकि औपचारिक जवाब जारी किया जा सके।
सेना के वक्तव्य में दावा किया गया कि गिलानी की टिप्पणी में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर गौर नहीं किया गया है। उसने साथ ही दावा किया कि सेना और आईएसआई प्रमुख उच्चतम न्यायालय को भेजे गए जवाब के लिए मंजूरी हासिल करने के लिए जिम्मेदार नहीं थे।
वक्तव्य में कहा गया है कि कथित मेमो के संबंध में शीर्ष अदालत में दायर याचिका में सेना और आईएसआई प्रमुख को प्रतिवादी के तौर पर शामिल किया गया था और अदालत ने प्रतिवादियों को सीधे नोटिस दिया था।
वक्तव्य में कहा गया कि इसपर अटॉर्नी जनरल ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। सेना प्रमुख और आईएसआई प्रमुख का जवाब अटार्नी जनरल के जरिए शीर्ष अदालत को सौंपने के लिए रक्षा मंत्रालय के पास भेजा गया था।
अटॉर्नी जनरल और शीर्ष अदालत को एक पत्र भेजा गया था जिसमें उन्हें सूचित किया गया था कि सेना और आईएसआई प्रमुख के जवाब रक्षा मंत्रालय को सौंप दिए गए हैं। सेना के वक्तव्य में कहा गया, ‘इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि प्रतिवादियों के वक्तव्य की प्रतियां सीधे शीर्ष अदालत को नहीं भेजी जा रही हैं।’ वक्तव्य में कहा गया, ‘जल्दी से आगे बढ़ने और सक्षम प्राधिकार की मंजूरी लेने की जिम्मेदारी उसके बाद प्रतिवादियों पर नहीं बल्कि संबद्ध मंत्रालयों पर है।’
सेना ने इस बात को रेखांकित किया कि प्रधनमंत्री और सेना प्रमुख के बीच गत 16 दिसंबर को हुई बैठक के बाद गिलानी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि नोटिस के संबंध में शीर्ष अदालत को सौंपा गया जवाब उचित माध्यम से और कामकाज के नियमों के अनुरूप था। वक्तव्य में कहा गया, ‘माननीय उच्चतम न्यायालय के मामले पर तीन हफ्ते से अधिक समय से सुनवाई किए जाने के दौरान किसी भी समय जवाब की वैधता और उसकी संवैधानिक स्थिति के बारे में उससे पहले या बाद में कोई आपत्ति नहीं जताई गई।’ सेना ने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय को दिए गए अपने जवाबों में सेना और आईएसआई प्रमुख पर जिम्मेदारी थी कि वे मेमो प्रकरण पर उन्हें जो भी तथ्य पता है उसे बताएं।
उसमें कहा गया कि अधिकार क्षेत्र और याचिकाओं की विचारणीयता के मुद्दे में शीर्ष अदालत और सरकार शामिल है। वक्तव्य में कहा गया, ‘ऐसी कोई भी अपेक्षा कि (सेना प्रमुख) तथ्य नहीं बताएंगे यह न तो संवैधानिक है और न ही कानून सम्मत है। राज्य और संविधान के प्रति निष्ठा (सेना प्रमुख) के लिए हमेशा सर्वोच्च तौर पर महत्वपूर्ण रही है और रहेगी, जिन्होंने इस मामले में संविधान का पालन किया है।’ सेना और सरकार ने मेमो प्रकरण पर शीर्ष अदालत में एक-दूसरे से भिन्न रुख अपनाया था। गौरतलब है कि उस कथित मेमो में गत मई में अमेरिकी कार्रवाई में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद संभावित सैन्य तख्ता पलट को रोकने के लिए अमेरिका से मदद मांगी गई थी।
पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच टकराव ने बुधवार को और बड़ा रूप ले लिया जब शक्तिशाली सेना प्रमुख ने चेतावनी दी कि मेमोगेट प्रकरण पर प्रधानमंत्री द्वारा उनके और आईएसआई प्रमुख के खिलाफ की गई गंभीर टिप्पणी के देश के लिए बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वहीं, सरकार ने सेना प्रमुख के करीबी समझे जाने वाले रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल खालिद नईम लोधी को बर्खास्त कर दिया।
मेमोगेट प्रकरण में सेना प्रमुख जनरल अश्फाक परवेज कयानी और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा के अवैध तरीके से काम करने की प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सेना ने एक संक्षिप्त वक्तव्य में कहा कि इस बयान के बेहद गंभीर निहितार्थ हो सकते हैं जिसके संभावित नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
सेना के वक्तव्य में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने सीओएएस (सेना प्रमुख) और डीजी आईएसआई (आईएसआई प्रमुख) के खिलाफ जो आरोप लगाए इससे ज्यादा गंभीर आरोप और कुछ नहीं हो सकते। दुर्भाग्य से अधिकारियों पर देश के संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।’ वक्तव्य में कहा, ‘इसके बेहद गहरे निहितार्थ हैं जिसके संभावित नतीजे देश के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं।’
सेना की ओर से कठोर शब्दों में चेतावनी दिए जाने के कुछ ही समय बाद गिलानी ने सेना प्रमुख के करीबी समझे जाने वाले रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल खालिद नईम लोधी को बख्रास्त कर दिया। इससे असैनिक सरकार और सेना के बीच विवाद और बढ़ गया है। तेजी से चल रहा घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब सरकार न्यायपालिका के साथ भी टकराव की मुद्रा में है। उच्चतम न्यायालय ने कल चेतावनी दी थी कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को दोबारा खोलने के अदालत के आदेश पर कार्रवाई करने में विफल रहने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इससे पहले जरदारी ने साफ कर दिया कि उनकी पद से इस्तीफा देने की कोई मंशा नहीं है। उधर, इस स्थिति पर विचार करने के लिए संसद का अत्यावश्यक सत्र बुलाया गया है।
जरदारी ने अपने प्रवक्ता के जरिए उन खबरों का खंडन किया कि उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी :पीपीपी: और उसके सहयोगी दलों की कल देर रात हुई बैठक में इस्तीफा देने की पेशकश की थी।
सेना और आईएसआई प्रमुख के सरकार से अनुमति हासिल किए बिना मेमोगेट प्रकरण पर शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने की बात गिलानी द्वारा कहे जाने के दो दिन बाद शक्तिशाली सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो आरोप लगाए उससे ज्यादा गंभीर और कोई आरोप नहीं हो सकता। गिलानी ने चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘पीपुल्स डेली’ के ऑनलाइन संस्करण को सोमवार को दिए गए साक्षात्कार में यह टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख कयानी और आईएसआई प्रमुख पाशा ने सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के बिना कथित मेमो को लेकर उच्चतम न्यायालय में जवाब दाखिल किया।
उन्होंने कहा कि इन दोनों जवाबों के लिए सक्षम प्राधिकार से मंजूरी के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं भेजा गया था।
गिलानी ने कहा था कि रक्षा मंत्री से जवाबों के लिए कोई मंजूरी हासिल नहीं की गई थी और सरकारी पदाधिकारी द्वारा सरकार की पूर्व मंजूरी के बगैर की गई कोई भी आधिकारिक कार्रवाई ‘असंवैधानिक और अवैध’ है।
सूत्रों ने कहा कि सैन्य नेतृत्व ने साक्षात्कार के दौरान गिलानी द्वारा की गई टिप्पणी के बारे में विस्तृत विवरण जुटा लिए थे।
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद कयानी और शीर्ष सैन्य कमांडरों ने कल मूल्यांकन किया ताकि औपचारिक जवाब जारी किया जा सके।
मेमोगेट प्रकरण में सेना प्रमुख जनरल अश्फाक परवेज कयानी और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा के अवैध तरीके से काम करने की प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सेना ने एक संक्षिप्त वक्तव्य में कहा कि इस बयान के बेहद गंभीर निहितार्थ हो सकते हैं जिसके संभावित नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
सेना के वक्तव्य में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने सीओएएस (सेना प्रमुख) और डीजी आईएसआई (आईएसआई प्रमुख) के खिलाफ जो आरोप लगाए इससे ज्यादा गंभीर आरोप और कुछ नहीं हो सकते। दुर्भाग्य से अधिकारियों पर देश के संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।’ वक्तव्य में कहा, ‘इसके बेहद गहरे निहितार्थ हैं जिसके संभावित नतीजे देश के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं।’
सेना की ओर से कठोर शब्दों में चेतावनी दिए जाने के कुछ ही समय बाद गिलानी ने सेना प्रमुख के करीबी समझे जाने वाले रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल खालिद नईम लोधी को बख्रास्त कर दिया। इससे असैनिक सरकार और सेना के बीच विवाद और बढ़ गया है। तेजी से चल रहा घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब सरकार न्यायपालिका के साथ भी टकराव की मुद्रा में है। उच्चतम न्यायालय ने कल चेतावनी दी थी कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को दोबारा खोलने के अदालत के आदेश पर कार्रवाई करने में विफल रहने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इससे पहले जरदारी ने साफ कर दिया कि उनकी पद से इस्तीफा देने की कोई मंशा नहीं है। उधर, इस स्थिति पर विचार करने के लिए संसद का अत्यावश्यक सत्र बुलाया गया है।
जरदारी ने अपने प्रवक्ता के जरिए उन खबरों का खंडन किया कि उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी :पीपीपी: और उसके सहयोगी दलों की कल देर रात हुई बैठक में इस्तीफा देने की पेशकश की थी।
सेना और आईएसआई प्रमुख के सरकार से अनुमति हासिल किए बिना मेमोगेट प्रकरण पर शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने की बात गिलानी द्वारा कहे जाने के दो दिन बाद शक्तिशाली सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो आरोप लगाए उससे ज्यादा गंभीर और कोई आरोप नहीं हो सकता। गिलानी ने चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘पीपुल्स डेली’ के ऑनलाइन संस्करण को सोमवार को दिए गए साक्षात्कार में यह टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख कयानी और आईएसआई प्रमुख पाशा ने सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के बिना कथित मेमो को लेकर उच्चतम न्यायालय में जवाब दाखिल किया।
उन्होंने कहा कि इन दोनों जवाबों के लिए सक्षम प्राधिकार से मंजूरी के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं भेजा गया था।
गिलानी ने कहा था कि रक्षा मंत्री से जवाबों के लिए कोई मंजूरी हासिल नहीं की गई थी और सरकारी पदाधिकारी द्वारा सरकार की पूर्व मंजूरी के बगैर की गई कोई भी आधिकारिक कार्रवाई ‘असंवैधानिक और अवैध’ है।
सूत्रों ने कहा कि सैन्य नेतृत्व ने साक्षात्कार के दौरान गिलानी द्वारा की गई टिप्पणी के बारे में विस्तृत विवरण जुटा लिए थे। सूत्रों ने बताया कि इसके बाद कयानी और शीर्ष सैन्य कमांडरों ने कल मूल्यांकन किया ताकि औपचारिक जवाब जारी किया जा सके।
सेना और आईएसआई प्रमुख के सरकार से अनुमति हासिल किए बिना मेमोगेट प्रकरण पर शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने की बात गिलानी द्वारा कहे जाने के दो दिन बाद शक्तिशाली सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो आरोप लगाए उससे ज्यादा गंभीर और कोई आरोप नहीं हो सकता। गिलानी ने चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘पीपुल्स डेली’ के ऑनलाइन संस्करण को सोमवार को दिए गए साक्षात्कार में यह टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख कयानी और आईएसआई प्रमुख पाशा ने सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के बिना कथित मेमो को लेकर उच्चतम न्यायालय में जवाब दाखिल किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों जवाबों के लिए सक्षम प्राधिकार से मंजूरी के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं भेजा गया था।
गिलानी ने कहा था कि रक्षा मंत्री से जवाबों के लिए कोई मंजूरी हासिल नहीं की गई थी और सरकारी पदाधिकारी द्वारा सरकार की पूर्व मंजूरी के बगैर की गई कोई भी आधिकारिक कार्रवाई ‘असंवैधानिक और अवैध’ है। सूत्रों ने कहा कि सैन्य नेतृत्व ने साक्षात्कार के दौरान गिलानी द्वारा की गई टिप्पणी के बारे में विस्तृत विवरण जुटा लिए थे। सूत्रों ने बताया कि इसके बाद कयानी और शीर्ष सैन्य कमांडरों ने कल मूल्यांकन किया ताकि औपचारिक जवाब जारी किया जा सके।
सेना के वक्तव्य में दावा किया गया कि गिलानी की टिप्पणी में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर गौर नहीं किया गया है। उसने साथ ही दावा किया कि सेना और आईएसआई प्रमुख उच्चतम न्यायालय को भेजे गए जवाब के लिए मंजूरी हासिल करने के लिए जिम्मेदार नहीं थे।
वक्तव्य में कहा गया है कि कथित मेमो के संबंध में शीर्ष अदालत में दायर याचिका में सेना और आईएसआई प्रमुख को प्रतिवादी के तौर पर शामिल किया गया था और अदालत ने प्रतिवादियों को सीधे नोटिस दिया था।
वक्तव्य में कहा गया कि इसपर अटॉर्नी जनरल ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। सेना प्रमुख और आईएसआई प्रमुख का जवाब अटार्नी जनरल के जरिए शीर्ष अदालत को सौंपने के लिए रक्षा मंत्रालय के पास भेजा गया था।
अटॉर्नी जनरल और शीर्ष अदालत को एक पत्र भेजा गया था जिसमें उन्हें सूचित किया गया था कि सेना और आईएसआई प्रमुख के जवाब रक्षा मंत्रालय को सौंप दिए गए हैं। सेना के वक्तव्य में कहा गया, ‘इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि प्रतिवादियों के वक्तव्य की प्रतियां सीधे शीर्ष अदालत को नहीं भेजी जा रही हैं।’ वक्तव्य में कहा गया, ‘जल्दी से आगे बढ़ने और सक्षम प्राधिकार की मंजूरी लेने की जिम्मेदारी उसके बाद प्रतिवादियों पर नहीं बल्कि संबद्ध मंत्रालयों पर है।’
सेना ने इस बात को रेखांकित किया कि प्रधनमंत्री और सेना प्रमुख के बीच गत 16 दिसंबर को हुई बैठक के बाद गिलानी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि नोटिस के संबंध में शीर्ष अदालत को सौंपा गया जवाब उचित माध्यम से और कामकाज के नियमों के अनुरूप था। वक्तव्य में कहा गया, ‘माननीय उच्चतम न्यायालय के मामले पर तीन हफ्ते से अधिक समय से सुनवाई किए जाने के दौरान किसी भी समय जवाब की वैधता और उसकी संवैधानिक स्थिति के बारे में उससे पहले या बाद में कोई आपत्ति नहीं जताई गई।’ सेना ने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय को दिए गए अपने जवाबों में सेना और आईएसआई प्रमुख पर जिम्मेदारी थी कि वे मेमो प्रकरण पर उन्हें जो भी तथ्य पता है उसे बताएं।
उसमें कहा गया कि अधिकार क्षेत्र और याचिकाओं की विचारणीयता के मुद्दे में शीर्ष अदालत और सरकार शामिल है। वक्तव्य में कहा गया, ‘ऐसी कोई भी अपेक्षा कि (सेना प्रमुख) तथ्य नहीं बताएंगे यह न तो संवैधानिक है और न ही कानून सम्मत है। राज्य और संविधान के प्रति निष्ठा (सेना प्रमुख) के लिए हमेशा सर्वोच्च तौर पर महत्वपूर्ण रही है और रहेगी, जिन्होंने इस मामले में संविधान का पालन किया है।’ सेना और सरकार ने मेमो प्रकरण पर शीर्ष अदालत में एक-दूसरे से भिन्न रुख अपनाया था। गौरतलब है कि उस कथित मेमो में गत मई में अमेरिकी कार्रवाई में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद संभावित सैन्य तख्ता पलट को रोकने के लिए अमेरिका से मदद मांगी गई थी।
पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच टकराव ने बुधवार को और बड़ा रूप ले लिया जब शक्तिशाली सेना प्रमुख ने चेतावनी दी कि मेमोगेट प्रकरण पर प्रधानमंत्री द्वारा उनके और आईएसआई प्रमुख के खिलाफ की गई गंभीर टिप्पणी के देश के लिए बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वहीं, सरकार ने सेना प्रमुख के करीबी समझे जाने वाले रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल खालिद नईम लोधी को बर्खास्त कर दिया।
मेमोगेट प्रकरण में सेना प्रमुख जनरल अश्फाक परवेज कयानी और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा के अवैध तरीके से काम करने की प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सेना ने एक संक्षिप्त वक्तव्य में कहा कि इस बयान के बेहद गंभीर निहितार्थ हो सकते हैं जिसके संभावित नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
सेना के वक्तव्य में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री ने सीओएएस (सेना प्रमुख) और डीजी आईएसआई (आईएसआई प्रमुख) के खिलाफ जो आरोप लगाए इससे ज्यादा गंभीर आरोप और कुछ नहीं हो सकते। दुर्भाग्य से अधिकारियों पर देश के संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।’ वक्तव्य में कहा, ‘इसके बेहद गहरे निहितार्थ हैं जिसके संभावित नतीजे देश के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं।’
सेना की ओर से कठोर शब्दों में चेतावनी दिए जाने के कुछ ही समय बाद गिलानी ने सेना प्रमुख के करीबी समझे जाने वाले रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल खालिद नईम लोधी को बख्रास्त कर दिया। इससे असैनिक सरकार और सेना के बीच विवाद और बढ़ गया है। तेजी से चल रहा घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब सरकार न्यायपालिका के साथ भी टकराव की मुद्रा में है। उच्चतम न्यायालय ने कल चेतावनी दी थी कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को दोबारा खोलने के अदालत के आदेश पर कार्रवाई करने में विफल रहने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इससे पहले जरदारी ने साफ कर दिया कि उनकी पद से इस्तीफा देने की कोई मंशा नहीं है। उधर, इस स्थिति पर विचार करने के लिए संसद का अत्यावश्यक सत्र बुलाया गया है।
जरदारी ने अपने प्रवक्ता के जरिए उन खबरों का खंडन किया कि उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी :पीपीपी: और उसके सहयोगी दलों की कल देर रात हुई बैठक में इस्तीफा देने की पेशकश की थी।
सेना और आईएसआई प्रमुख के सरकार से अनुमति हासिल किए बिना मेमोगेट प्रकरण पर शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने की बात गिलानी द्वारा कहे जाने के दो दिन बाद शक्तिशाली सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो आरोप लगाए उससे ज्यादा गंभीर और कोई आरोप नहीं हो सकता। गिलानी ने चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘पीपुल्स डेली’ के ऑनलाइन संस्करण को सोमवार को दिए गए साक्षात्कार में यह टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख कयानी और आईएसआई प्रमुख पाशा ने सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के बिना कथित मेमो को लेकर उच्चतम न्यायालय में जवाब दाखिल किया।
उन्होंने कहा कि इन दोनों जवाबों के लिए सक्षम प्राधिकार से मंजूरी के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं भेजा गया था।
गिलानी ने कहा था कि रक्षा मंत्री से जवाबों के लिए कोई मंजूरी हासिल नहीं की गई थी और सरकारी पदाधिकारी द्वारा सरकार की पूर्व मंजूरी के बगैर की गई कोई भी आधिकारिक कार्रवाई ‘असंवैधानिक और अवैध’ है।
सूत्रों ने कहा कि सैन्य नेतृत्व ने साक्षात्कार के दौरान गिलानी द्वारा की गई टिप्पणी के बारे में विस्तृत विवरण जुटा लिए थे।
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद कयानी और शीर्ष सैन्य कमांडरों ने कल मूल्यांकन किया ताकि औपचारिक जवाब जारी किया जा सके।
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