काबुल:
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफगानिस्तान के साथ एक कूटनीतिक साझेदारी समझौते पर दस्तखत किए। यह समझौता 2014 में नाटो बलों की विदाई के बाद दोनो देशों के बीच संबंधों की मजबूती को लेकर है।
दस पन्ने के इस करार में 2014 में नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान के लिए अमेरिकी समर्थन की बात कही गई है।
बिना पूर्व सूचना के मंगलवार मध्यरात्रि अचानक काबुल पहुंचे ओबामा ने इस समझौते को दोनो देशों के लिए ऐतिहासिक पल बताया।
ओबामा ने कहा, ‘‘मैं यहां दोनों देशों के बीच रिश्ते को मजबूती देने के लिए और अमेरिकी व अफगानी लोगों को धन्यवाद कहने आया हूं, जिन्होंने पिछले दस सालों में बहुत कुछ त्यागा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘न ही अमेरिकी और न ही अफगान लोगों ने इस युद्ध को चाहा था पर फिर भी दस साल तक हम साथ खड़े रहे। आज इस कूटनीतिक समझौते के बाद हम एक शांतिपूर्ण भविष्य की ओर देख सकते हैं। आज हम दोनों देश एक लम्बे समय के लिए साथी बन रहे हैं।’’ ओबामा का कहना था कि इस समझौते से अफगानिस्तान और पूरे विश्व को मालूम होना चाहिए कि अमेरिका भी अफगानिस्तान का सहयोगी है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि जैसे हम आगे बढ़ेंगे अफगानिस्तान की सेना भी और मजबूत होगी, साथ ही यहां के लोगों का अपने भविष्य पर नियंत्रण होगा।’’ इस समझौते में अफगानिस्तान के सामाजिक, आर्थिक प्रगति, सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता की बात कही गई है। साथ ही अफगानिस्तान द्वारा जवाबदेही, पारदर्शिता और अफगान लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा को शामिल किया गया है। यह समझौता दोनो देशों द्वारा कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है।
इस समझौते के तहत लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा, सुरक्षा को आधुनिक बनाना, क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाना ओैर सामाजिक- आर्थिक विकास के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता शामिल है। समझौते में कहा गया है कि अमेरिका अफगानिस्तान में अपने स्थायी सैन्य शिविर नहीं बनाने वाला है। हालांकि इस समझौते के तहत 2014 के बाद अफगान सेना को प्रशिक्षण देने और अलकायदा के बचे हुए ठिकानों के खात्मे के लिए अमेरिकी सेना की मौजूदगी की संभावना है। व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि इस समझौते के तहत किसी भी तरह का कोष या बल को प्रदान करने की बात अभी नहीं कही गई है। यह निर्णय अमेरिकी कांग्रेस के साथ सलाह के बाद ही किए जाएंगे।
हालांकि अमेरिका, समझौते के तहत अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा सेना को प्रशिक्षण व सलाह और समाजिक आर्थिक सहयोग के लिए वार्षिक रूप से धन मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
दस पन्ने के इस करार में 2014 में नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान के लिए अमेरिकी समर्थन की बात कही गई है।
बिना पूर्व सूचना के मंगलवार मध्यरात्रि अचानक काबुल पहुंचे ओबामा ने इस समझौते को दोनो देशों के लिए ऐतिहासिक पल बताया।
ओबामा ने कहा, ‘‘मैं यहां दोनों देशों के बीच रिश्ते को मजबूती देने के लिए और अमेरिकी व अफगानी लोगों को धन्यवाद कहने आया हूं, जिन्होंने पिछले दस सालों में बहुत कुछ त्यागा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘न ही अमेरिकी और न ही अफगान लोगों ने इस युद्ध को चाहा था पर फिर भी दस साल तक हम साथ खड़े रहे। आज इस कूटनीतिक समझौते के बाद हम एक शांतिपूर्ण भविष्य की ओर देख सकते हैं। आज हम दोनों देश एक लम्बे समय के लिए साथी बन रहे हैं।’’ ओबामा का कहना था कि इस समझौते से अफगानिस्तान और पूरे विश्व को मालूम होना चाहिए कि अमेरिका भी अफगानिस्तान का सहयोगी है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि जैसे हम आगे बढ़ेंगे अफगानिस्तान की सेना भी और मजबूत होगी, साथ ही यहां के लोगों का अपने भविष्य पर नियंत्रण होगा।’’ इस समझौते में अफगानिस्तान के सामाजिक, आर्थिक प्रगति, सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता की बात कही गई है। साथ ही अफगानिस्तान द्वारा जवाबदेही, पारदर्शिता और अफगान लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा को शामिल किया गया है। यह समझौता दोनो देशों द्वारा कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है।
इस समझौते के तहत लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा, सुरक्षा को आधुनिक बनाना, क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाना ओैर सामाजिक- आर्थिक विकास के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता शामिल है। समझौते में कहा गया है कि अमेरिका अफगानिस्तान में अपने स्थायी सैन्य शिविर नहीं बनाने वाला है। हालांकि इस समझौते के तहत 2014 के बाद अफगान सेना को प्रशिक्षण देने और अलकायदा के बचे हुए ठिकानों के खात्मे के लिए अमेरिकी सेना की मौजूदगी की संभावना है। व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि इस समझौते के तहत किसी भी तरह का कोष या बल को प्रदान करने की बात अभी नहीं कही गई है। यह निर्णय अमेरिकी कांग्रेस के साथ सलाह के बाद ही किए जाएंगे।
हालांकि अमेरिका, समझौते के तहत अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा सेना को प्रशिक्षण व सलाह और समाजिक आर्थिक सहयोग के लिए वार्षिक रूप से धन मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
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