
भारत के पास पाकिस्तान की तुलना में अधिक परमाणु हथियार हैं, जबकि चीन के पास भारत की तुलना में तीन गुना अधिक हथियार हैं. सोमवार, 16 जून को जारी स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की लेटेस्ट ईयरबुक में यह कहा गया है.
SIPRI इयरबुक 2025 के अनुसार, जनवरी 2025 तक भारत के पास 180 परमाणु भंडारित हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास अनुमानित 170 हैं. चीन के पास जनवरी 2025 तक 600 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 24 तैनात हथियार हैं या मिसाइलों पर रखे गए हैं या उसकी सेना के साथ ठिकानों पर स्थित हैं.

किस देश के पास कितने परमाणु हथियार
SIPRI के डायरेक्टर डैन स्मिथ ने परमाणु हथियार नियंत्रण के सामने आने वाली चुनौतियों और एक नई परमाणु हथियार दौड़ की संभावनाओं के बारे में चेतावनी दी. स्मिथ ने कहा, "चीन अपनी परमाणु शक्ति लगातार बढ़ा रहा है." उन्होंने कहा कि चीन सात या आठ वर्षों में 1,000 हथियार तक पहुंच सकता है.
देशों ने कहां रखे हैं अपने परमाणु हथियार?
जनवरी 2025 में अनुमानित 12 241 हथियारों की कुल वैश्विक सूची में से लगभग 9614 संभावित उपयोग के लिए सैन्य भंडार में थे. अनुमानतः उनमें से 3912 हथियार मिसाइलों और विमानों के साथ तैनात किए गए थे और बाकी केंद्रीय भंडारण में थे.
तैनात किए गए लगभग 2100 वॉरहेड को बैलिस्टिक मिसाइलों पर उच्च परिचालन चेतावनी की स्थिति में रखा गया था. SIPRI की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से लगभग सभी हथियार रूस या अमेरिका के थे, लेकिन चीन अब शांतिकाल के दौरान भी मिसाइलों पर कुछ हथियार रख सकता है.

रूस-अमेरिका में क्या हालात?
शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से, रूस और अमेरिका द्वारा पुराने हथियारों को धीरे-धीरे नष्ट करने की प्रक्रिया आम तौर पर नए हथियारों की तैनाती से अधिक हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप परमाणु हथियारों की वैश्विक सूची में साल-दर-साल कमी आई है. आने वाले वर्षों में यह प्रवृत्ति उलट होने की संभावना है, क्योंकि पुराने हथियारों को खत्म करने की गति धीमी हो रही है, जबकि नए परमाणु हथियारों की तैनाती में तेजी आ रही है.
SIPRI की रिपोर्ट में कहा गया है कि माना जाता है कि भारत ने 2024 में एक बार फिर अपने परमाणु शस्त्रागार में थोड़ा विस्तार किया है और नए प्रकार की परमाणु वितरण प्रणाली विकसित करना जारी रखा है.

हमारा परमाणु भंडार न्यूनतम स्तर पर बना हुआ है- चीन
चीन ने अपने तेज़ी से बढ़ते परमाणु हथियार भंडार को लेकर सफाई दी है कि यह अब भी उसकी न्यूनतम आवश्यकताओं के अनुरूप ही है. चीन ने हालांकि अमेरिका और रूस की बराबरी करने के लिए परमाणु होड़ में शामिल होने की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि वह परमाणु हथियारों की किसी दौड़ में शामिल नहीं है, बल्कि उसकी नीति न्यूनतम प्रतिरोध की है. विश्लेषकों का कहना है कि चीन अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ा रहा है जिसका कारण विश्व स्तरीय सैन्य शक्ति बनना है.
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