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जब अमेरिका में निर्मला सीतारमण ने डिजिटल INDIA का किया जिक्र, तब तालियों से गूंजा स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी का हॉल

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आप डिजिटल इंडिया को भारत आकर देख सकते हैं. मैं यह नहीं कह रही हूं कि हमने गरीबी को पूरी तरह से मिटा दिया है, लेकिन आप भारत आकर यहां के बदलाव को देख सकते हैं.

जब अमेरिका में निर्मला सीतारमण ने डिजिटल INDIA का किया जिक्र, तब तालियों से गूंजा स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी का हॉल
नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 20-25 अप्रैल के बीच अमेरिका दौरे पर हैं, जहां स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शिरकत के दौरान वित्त मंत्री ने कहा भारत के बारे में बहुत सी बातें, छवि, दृष्टिकोण, जेहन बदलने में बहुत समय लगता है. लेकिन नीतियां बहुत जल्दी बदल जाती है. नीतियां बदलती हैं और हम इंतज़ार करते हैं, आप जानते हैं, लोग उन पर अमल करें. भारत अब उस पुरानी छवि से बहुत आगे निकल चुका है, जहां उसे सांप-सपेरों, रस्सी के जादू या गरीबी से जोड़ा जाता था. आज का भारत डिजिटल नवाचार और समावेशी विकास का प्रतीक है, जिसकी गूंज विश्व मंचों पर सुनाई दे रही है.

भारत आकर देखिए, क्या बदलाव आया

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत आकर इसे देखा जा सकता है. मैं यह नहीं कह रही हूं कि हमने गरीबी को पूरी तरह से मिटा दिया है, लेकिन कृपया आज भारत आए. बिना किसी अहंकार के, मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहती हूं और ये किसी की निंदा करने के लिए नहीं. भारत में कुछ क्षेत्रों में किए गए कुछ काम अद्भुत है. मुझे इससे अधिक कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, बस मैं भारत द्वारा निर्मित डिजिटल सार्वजनिक ढांचे का जिक्र करना चाहती हूं. 

जी-20, विश्व बैंक और आईएमएफ जैसे मंचों पर भारत की डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) की जमकर तारीफ हो रही है, जिसने एक अरब से अधिक लोगों को डिजिटल पहचान प्रदान की है. यह डिजिटल पहचान सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी बदलाव का आधार है. आंखों की पुतली (आईरिस), चेहरे की छवि या अंगूठे के निशान के जरिए दी गई यह पहचान कोविड-19 महामारी के दौरान लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हुई.

डिजिटल भारत में आ रहे क्या बदलाव

वित्त मंत्री ने कहा कि इस पहचान के जरिए एक अरब बैंक खाते खोले गए, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला. जब दुनिया के कई देश कोविड राहत के लिए चेक भेज रहे थे, जो गलत पतों पर पहुंचकर लौट आते थे, भारत में एक बटन दबाते ही जरूरतमंदों के खातों में सीधे पैसे पहुंच गए. यह डिजिटल ढांचा सिर्फ वित्तीय मदद तक सीमित नहीं रहा. कोविड वैक्सीनेशन के दौरान भी इसने अहम भूमिका निभाई, जिससे टीकाकरण अभियान को व्यवस्थित और तेजी से लागू किया जा सका.

सब्जी बेचने वाला भी डिजिटल पेमेंट से लेस

पासपोर्ट से लेकर अन्य सरकारी सेवाओं तक, यह डिजिटल पहचान हर क्षेत्र में उपयोगी साबित हो रही है. आज भारत में डिजिटल लेन-देन कोई एलीट क्लास की अवधारणा नहीं है. गांव का सब्जी विक्रेता भी क्यूआर कोड के जरिए भुगतान स्वीकार करता है. फोन पर आने वाले संदेश स्थानीय भाषाओं में होते हैं, जिससे तकनीक हर नागरिक के लिए सुलभ हो. एआई के सिद्धांतों का उपयोग कर यह तकनीक आम लोगों के जीवन को और आसान बना रही है.

भारत ने साबित कर दिया है कि नीतियां बदलने से ज्यादा जरूरी है उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करना. डिजिटल भारत की यह कहानी अब विश्व के लिए एक मिसाल बन चुकी है. जैसा कि एक अधिकारी ने कहा, "भारत में गरीबी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, लेकिन आज का भारत देखने के लिए आएं, हमारी उपलब्धियां खुद बोलती हैं."

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