नेताजी सुभाष चंद्र बोस (फाइल फोटो)
लंदन:
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंतिम दिनों की जानकारी के संबंध में बनाई गई ब्रिटेन की एक वेबसाइट ने रविवार को दावा किया कि उनका सोने का पानी चढ़ा दांत टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में उनकी अस्थियों के कलश में होने की संभावना है।
बोस के विश्वासपात्र कर्नल हबीबुर रहमान ने अपने बेटे से कहा था कि जब वह अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां लेने गए थे, तो उन्होंने नेताजी की अस्थियों वाले कलश में दांत डाल दिया था। रहमान उसी हवाई दुर्घटना से जुड़े रहे हैं जिसमें माना जाता है कि 18 अगस्त 1945 को ताईवान में बोस की मौत हो गई थी।
‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट बोसफाइल्स डॉट इंफो’ ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि अंतिम संस्कार से पहले दांत निकाल लिया गया था और एक अधिकारी ने यह रहमान को दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 23 जनवरी को सार्वजनिक किए गए नेताजी से जुड़े दस्तावेजों से पुष्टि हुई कि वेबसाइट के निर्माता आशीष राय ने वर्ष 1995 में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु सहित अन्य भारतीय नेताओं का ध्यान इस मामले पर आकर्षित किया था।
कर्नल रहमान का वर्ष 1978 में निधन हो गया था और वह जानकारियां अपने बेटे नईमुर के पास छोड़ गए थे। रहमान जूनियर ने हादसे की राय द्वारा जांच के सिलसिले में 1990 के दशक में इस्लामाबाद में उनसे मुलाकात की थी और उन्हें वे बातें बताईं जो उनके पिता ने उन्हें बताई थीं। इसके बाद राय ने इस खुलासे के बारे में राव, वाजपेयी, ज्योति बसु, जनता दल के प्रमुख एसआर बोम्मई तथा फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव चित्त बसु को जानकारी दी थी।
बोस के विश्वासपात्र कर्नल हबीबुर रहमान ने अपने बेटे से कहा था कि जब वह अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां लेने गए थे, तो उन्होंने नेताजी की अस्थियों वाले कलश में दांत डाल दिया था। रहमान उसी हवाई दुर्घटना से जुड़े रहे हैं जिसमें माना जाता है कि 18 अगस्त 1945 को ताईवान में बोस की मौत हो गई थी।
‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट बोसफाइल्स डॉट इंफो’ ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि अंतिम संस्कार से पहले दांत निकाल लिया गया था और एक अधिकारी ने यह रहमान को दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 23 जनवरी को सार्वजनिक किए गए नेताजी से जुड़े दस्तावेजों से पुष्टि हुई कि वेबसाइट के निर्माता आशीष राय ने वर्ष 1995 में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु सहित अन्य भारतीय नेताओं का ध्यान इस मामले पर आकर्षित किया था।
कर्नल रहमान का वर्ष 1978 में निधन हो गया था और वह जानकारियां अपने बेटे नईमुर के पास छोड़ गए थे। रहमान जूनियर ने हादसे की राय द्वारा जांच के सिलसिले में 1990 के दशक में इस्लामाबाद में उनसे मुलाकात की थी और उन्हें वे बातें बताईं जो उनके पिता ने उन्हें बताई थीं। इसके बाद राय ने इस खुलासे के बारे में राव, वाजपेयी, ज्योति बसु, जनता दल के प्रमुख एसआर बोम्मई तथा फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव चित्त बसु को जानकारी दी थी।
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