नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
नेपाल ने भारत से कहा कि पेट्रोलियम और दूसरी जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा डालकर उसे इस तरह से मजबूर ना करे कि उसे तमाम दिक्कतों के बावजूद चीन की तरफ जाने को मजबूर होना पड़े।
भारत द्वारा नेपाल के नेतृत्व को दिए गए इस आश्वासन पर कि जल्द से जल्द हालात का समाधान होगा, नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा, 'उन्हें (भारत) एक समय अवधि देना चाहिए। मतलब ये कि कितने घंटे, हफ्ते या महीना?' पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'अगर आप हमें मजबूर करेंगे या जैसा कि आप कहते हैं मरता क्या ना करता तो हम दूसरे देशों से संपर्क करने को विवश हो जाएंगे।' साथ ही कहा, 'हालांकि, सामान भेजने संबंधी दिक्कतें है लेकिन अगर कोई विकल्प नहीं बचता तो नेपाल चीन सहित अन्य देशों से संपर्क करेगा।'
उपाध्याय ने कहा कि नेपाल जरूरी सामान की आपूर्ति में आ रही बाधा पर भारत को अपनी चिंताओं से अवगत करा चुका है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि नई दिल्ली मामले को जल्द सुलझा लेगा खासकर यह देखते हुए कि हिमालयी देश में दशहरा और दिवाली जैसा त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। हाल में हुए भारत विरोधी प्रदर्शनों पर उन्होंने साफ तौर पर कहा, 'भारत ने जब भूंकप संकट के समय नेपाल की मदद की थी, तब नेपाल में हर किसी ने उनकी तारीफ की और उनका शुक्रिया अदा किया, लेकिन जब आपूर्ति में बाधा आएगी तो लोग प्रतिक्रिया देंगे और प्रदर्शन करेंगे। यह स्वाभाविक है।'
नेपाली राजदूत ने इस बात पर भी रोष प्रकट किया कि इंडियन ऑयल के साथ रक्सौल के आईओसी डिपो से नेपाल के लिए पेट्रोल, डीजल, घरेलू एलपीजी और विमान ईंधन (एटीएफ) भेजे जाने को लेकर समझौते के बावजूद वह उसकी आपूर्ति नहीं कर रही है। आईओसी ने 275 करोड़ रुपये में तेल पाइपलाइन बिछाने के लिए इस साल नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन (एनओसी) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
तेल और गैसोलीन आपूर्ति कम होने से नेपाल ने यातायात आवाजाही पर पाबंदी लगा दी है और विमानों को देश के बाहर ईंधन भरने के बाद ही उतरने को कहा है। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार मुद्दे और देश के संविधान संबंधी अपने लोगों की चिंताओं के समाधान के लिए सभी कदम उठा रही है। उपाध्याय ने कहा, 'अपने नए संविधान के सभी प्रावधानों को स्पष्ट करने के लिए हम जल्द ही एक परिचर्चा करेंगे।'
भारत द्वारा नेपाल के नेतृत्व को दिए गए इस आश्वासन पर कि जल्द से जल्द हालात का समाधान होगा, नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा, 'उन्हें (भारत) एक समय अवधि देना चाहिए। मतलब ये कि कितने घंटे, हफ्ते या महीना?' पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'अगर आप हमें मजबूर करेंगे या जैसा कि आप कहते हैं मरता क्या ना करता तो हम दूसरे देशों से संपर्क करने को विवश हो जाएंगे।' साथ ही कहा, 'हालांकि, सामान भेजने संबंधी दिक्कतें है लेकिन अगर कोई विकल्प नहीं बचता तो नेपाल चीन सहित अन्य देशों से संपर्क करेगा।'
उपाध्याय ने कहा कि नेपाल जरूरी सामान की आपूर्ति में आ रही बाधा पर भारत को अपनी चिंताओं से अवगत करा चुका है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि नई दिल्ली मामले को जल्द सुलझा लेगा खासकर यह देखते हुए कि हिमालयी देश में दशहरा और दिवाली जैसा त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। हाल में हुए भारत विरोधी प्रदर्शनों पर उन्होंने साफ तौर पर कहा, 'भारत ने जब भूंकप संकट के समय नेपाल की मदद की थी, तब नेपाल में हर किसी ने उनकी तारीफ की और उनका शुक्रिया अदा किया, लेकिन जब आपूर्ति में बाधा आएगी तो लोग प्रतिक्रिया देंगे और प्रदर्शन करेंगे। यह स्वाभाविक है।'
नेपाली राजदूत ने इस बात पर भी रोष प्रकट किया कि इंडियन ऑयल के साथ रक्सौल के आईओसी डिपो से नेपाल के लिए पेट्रोल, डीजल, घरेलू एलपीजी और विमान ईंधन (एटीएफ) भेजे जाने को लेकर समझौते के बावजूद वह उसकी आपूर्ति नहीं कर रही है। आईओसी ने 275 करोड़ रुपये में तेल पाइपलाइन बिछाने के लिए इस साल नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन (एनओसी) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
तेल और गैसोलीन आपूर्ति कम होने से नेपाल ने यातायात आवाजाही पर पाबंदी लगा दी है और विमानों को देश के बाहर ईंधन भरने के बाद ही उतरने को कहा है। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार मुद्दे और देश के संविधान संबंधी अपने लोगों की चिंताओं के समाधान के लिए सभी कदम उठा रही है। उपाध्याय ने कहा, 'अपने नए संविधान के सभी प्रावधानों को स्पष्ट करने के लिए हम जल्द ही एक परिचर्चा करेंगे।'
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