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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संकेत दिया है कि पेशावर के चर्च पर घातक हमले के बाद तालिबान के साथ बातचीत की सर्वदलीय बैठक समर्थित योजना पर आगे बढ़ना मुश्किल है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें सत्र में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क जाने के दौरान शरीफ ने लंदन में संवाददाताओं से कहा, इस तरह की घटनाएं वार्ता के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार शरीफ ने कहा, दुर्भाग्यपूर्ण रूप से इसकी वजह से सरकार तय योजना पर आगे बढ़ने में अक्षम है जैसा वह करना चाहती थी। शरीफ ने साथ ही संबंधित अधिकारियों को देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रार्थनास्थलों के लिए नई सुरक्षा नीति बनाने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा, हमने नेक इरादे और सभी राजनीति दलों की सहमति से तालिबान के साथ शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया था। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से इसकी (हमले) वजह से सरकार तय योजना पर आगे बढ़ने में अक्षम है जैसा वह करना चाहती थी। शरीफ ने कहा कि नेक इरादों से सर्वदलीय (एपीसी) बैठक बुलायी गई और वहां सभी फैसले ईमानदारी से लिए गए और इन फैसलों में पूरे देश का प्रतिनिधित्व था। खबर में कहा गया कि शरीफ ने आतंकवादियों के साथ बातचीत के एपीसी के फैसले का बचाव किया, लेकिन वह आतंकवादियों द्वारा उनके प्रस्ताव पर दिखाई गई उपेक्षा से हताश दिखे।
शरीफ ने कहा कि निर्दोष ईसाइयों की हत्या से पूरे देश में शोक का माहौल है। उन्होंने कहा, यह एक राष्ट्रीय त्रासदी है। कोई भी इंसान इस तरह की बर्बरता को नजरअंदाज नहीं कर सकता। यह देश के दुश्मनों का काम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नृशंस हमले को अंजाम देने वाले लोगों ने इस्लाम के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा, आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। निर्दोष लोगों को निशाना बनाना इस्लाम और सभी धर्मों की शिक्षाओं के खिलाफ है। शरीफ ने कहा, इस तरह के क्रूर आतंकी हमले आतंकियों की बर्बरता एवं अमानवीय मानसिकता को दिखाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इस मामले में सभी पक्षों से सलाह के बाद देश के चरमपंथी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
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