वाशिंगटन:
अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो सैनिकों को आपूर्ति मार्ग फिर से बहाल करने से सम्बंधित वार्ता में प्रगति नहीं होने से नाराज अमेरिका ने अपने वार्ताकारों को इस्लामाबाद से वापस बुला लिया है।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉर्ज लिट्ल ने कहा कि अमेरिकी वार्ता दल के कई सदस्य इस्लामाबाद छोड़ चुके हैं। बचे हुए सदस्य भी कुछ दिनों में प्रस्थान कर जाएंगे।
वार्ता दल पिछले छह सप्ताह से इस्लामाबाद में एक समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहा था। आपूर्ति मार्ग पिछले साल नवम्बर से चूक से हुए एक अमेरिकी हवाई हमले के बाद से अमेरिकी और नाटो सैनिकों के लिए बंद कर दिया गया था।
लिट्ल ने कहा कि वार्ता दल की वापसी का फैसला अमेरिका का फैसला था। उन्होंने कहा कि आपूर्ति मार्ग को खोलना पेंटागन और व्हाइट हाउस के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास में तैनात सैन्य अधिकारी अपने समकक्ष पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ इस उद्देश्य से अनौपचारिक वार्ता को आगे बढ़ाते रहेंगे।
पेंटागन के प्रवक्ता ने भविष्य में वार्तादल के पाकिस्तान वापस आने की सम्भावना को खारिज नहीं किया।
पिछले सप्ताह ही नाटो ने मध्य एशिया के मार्ग से अफगानिस्तान में अपने सैनिकों को सहायता शुरू करने की योजना की घोषणा की थी।
मई में नाटो के सलाना जलसे से पहले कथित तौर पर अमेरिका और पाकिस्तान एक समझौते तक पहुंच गए थे, लेकिन अंतिम समय में पाकिस्तान से अफगानिस्तान में की जाने वाली आपूर्ति के लिए प्रति ट्रक अधिक कीमत की मांग करने पर वार्ता रुक गई थी।
पिछले गुरुवार को रक्षा सचिव लियोन पनेटा ने भी तनाव भड़का दिया, उन्होंने यह कहकर पाकिस्तान को लताड़ा कि पाकिस्तान अल कायदा और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी समूहों को शरण देता है। उन्होंने काबुल में अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री अब्दुल रहीम के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा था, "हमारी धीरज की यहां पराकाष्ठा हो गई है।"
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉर्ज लिट्ल ने कहा कि अमेरिकी वार्ता दल के कई सदस्य इस्लामाबाद छोड़ चुके हैं। बचे हुए सदस्य भी कुछ दिनों में प्रस्थान कर जाएंगे।
वार्ता दल पिछले छह सप्ताह से इस्लामाबाद में एक समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहा था। आपूर्ति मार्ग पिछले साल नवम्बर से चूक से हुए एक अमेरिकी हवाई हमले के बाद से अमेरिकी और नाटो सैनिकों के लिए बंद कर दिया गया था।
लिट्ल ने कहा कि वार्ता दल की वापसी का फैसला अमेरिका का फैसला था। उन्होंने कहा कि आपूर्ति मार्ग को खोलना पेंटागन और व्हाइट हाउस के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास में तैनात सैन्य अधिकारी अपने समकक्ष पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ इस उद्देश्य से अनौपचारिक वार्ता को आगे बढ़ाते रहेंगे।
पेंटागन के प्रवक्ता ने भविष्य में वार्तादल के पाकिस्तान वापस आने की सम्भावना को खारिज नहीं किया।
पिछले सप्ताह ही नाटो ने मध्य एशिया के मार्ग से अफगानिस्तान में अपने सैनिकों को सहायता शुरू करने की योजना की घोषणा की थी।
मई में नाटो के सलाना जलसे से पहले कथित तौर पर अमेरिका और पाकिस्तान एक समझौते तक पहुंच गए थे, लेकिन अंतिम समय में पाकिस्तान से अफगानिस्तान में की जाने वाली आपूर्ति के लिए प्रति ट्रक अधिक कीमत की मांग करने पर वार्ता रुक गई थी।
पिछले गुरुवार को रक्षा सचिव लियोन पनेटा ने भी तनाव भड़का दिया, उन्होंने यह कहकर पाकिस्तान को लताड़ा कि पाकिस्तान अल कायदा और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी समूहों को शरण देता है। उन्होंने काबुल में अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री अब्दुल रहीम के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा था, "हमारी धीरज की यहां पराकाष्ठा हो गई है।"