तिब्बत:
श्रद्धालुओं के लिए चीन और भारत सीमा से बस के जरिये कैलाश मानसरोवर की यात्रा को सुगम बनाने के लिए सिक्किम की नाथूला सीमा बिंदु आज से खुल गई है। इससे पहाड़ी रास्तों पर चलकर और घोड़े पर बैठकर सफर करने की मुश्किलों से बचा जा सकेगा।
44 श्रद्धालुओं और सहायता कर्मियों का पहला जत्था इस बिंदु से चीन में प्रवेश करेगा। यह जगह यहां से करीब 31 किलोमीटर दूर है।
श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए एक बड़े समारोह की योजना बनाई गई है, जिसमें भारत में चीन के राजदूत ली यूचेंग और बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के राजनयिक हिस्सा लेंगे।
पिछले साल चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान दूसरे रास्ते को खोलने से जुड़ा समझौता किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व में शी से श्रद्धालुओं की मुश्किलें कम करने के लिए इस रास्ते को खोलने का अनुरोध किया था।
मोदी उत्तराखंड और नेपाल के पारंपरिक दुर्गम रास्तों को ध्यान में रखते हुए कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दूसरा रास्ता चाहते थे।
विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित की जाने वाली यात्रा पूर्व में हिमालय के लिपू र्दे से होते हुए पूरी होती थी। लिपू दर्रा उत्तराखंड के कुमाउं से तिब्बत के तकलाकोट शहर को जोड़ता है।
विदेश मंत्रालय 22 दिनों की यात्रा के लिए 18 जत्थों में 1,000 से अधिक लोगों को यात्रा की मंजूरी देता है।
नाथूला के रास्ते से श्रद्धालु बस के सहारे कैलाश की 1,500 किलोमीटर लंबी यात्रा पूरी करेंगे।
44 श्रद्धालुओं और सहायता कर्मियों का पहला जत्था इस बिंदु से चीन में प्रवेश करेगा। यह जगह यहां से करीब 31 किलोमीटर दूर है।
श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए एक बड़े समारोह की योजना बनाई गई है, जिसमें भारत में चीन के राजदूत ली यूचेंग और बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के राजनयिक हिस्सा लेंगे।
पिछले साल चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान दूसरे रास्ते को खोलने से जुड़ा समझौता किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व में शी से श्रद्धालुओं की मुश्किलें कम करने के लिए इस रास्ते को खोलने का अनुरोध किया था।
मोदी उत्तराखंड और नेपाल के पारंपरिक दुर्गम रास्तों को ध्यान में रखते हुए कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दूसरा रास्ता चाहते थे।
विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित की जाने वाली यात्रा पूर्व में हिमालय के लिपू र्दे से होते हुए पूरी होती थी। लिपू दर्रा उत्तराखंड के कुमाउं से तिब्बत के तकलाकोट शहर को जोड़ता है।
विदेश मंत्रालय 22 दिनों की यात्रा के लिए 18 जत्थों में 1,000 से अधिक लोगों को यात्रा की मंजूरी देता है।
नाथूला के रास्ते से श्रद्धालु बस के सहारे कैलाश की 1,500 किलोमीटर लंबी यात्रा पूरी करेंगे।
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