पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (फाइल फोटो)
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान के बारे में बात कर ‘लक्ष्मण रेखा’ पार कर ली है और वह अगले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में कश्मीर मुद्दे को जबर्दस्त ढंग से उठाएगा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा, ‘‘पिछले साल प्रधानमंत्री ने महासभा सत्र के दौरान कश्मीर का मामला मजबूत तरीके से रखा था और हम फिर इस मुद्दे को जबर्दस्त ढंग से उठाएंगे.’’ जकारिया ने बलूचिस्तान पर मोदी की टिप्पणी पर भी कड़ा एतराज जताया.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में बलूचिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में लोगों पर पाकिस्तानी अत्याचार का मुद्दा उठाया था. जकारिया ने कहा, ‘‘यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है... उन्होंने बलूचिस्तान के बारे में बात कर लक्ष्मण रेखा पार कर ली है.’’
उन्होंने आरोप लगाया कि भारत बलूचिस्तान और कराची में विध्वसंक गतिविधियों में शामिल है. भारत कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों को ढकने के लिए बलूचिस्तान का जिक्र कर रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शरीफ महासभा सत्र में जाने वाले आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे. संयुक्त राष्ट्र महासचिव और ज्यादातर संरा अधिकारियों को कश्मीर की कथित ‘संकटपूर्ण स्थिति’ से पहले ही अवगत करा दिया गया है.
जकारिया ने एक बार फिर अपना राग अलापा कि संयुक्त राष्ट्र एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत को याद दिलाना चाहिए कि वह सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक जम्मू कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार प्रदान करने का अपना वादा पूरा करे. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा छह दशक से भी अधिक समय से सुरक्षा परिषद के एजेंडे में लंबित है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘पाकिस्तान भारत द्वारा निरंतर बल प्रयोग और मानवाधिकार उल्लंघनों की निंदा करता है. बल के नृशंस इस्तेमाल से कम से कम 80 लोगों की जान चली गयी और पैलेट गन से कम से कम 100 लोगों की आंखों की रौशनी चली गयी.’’ जब उनसे एमनेस्टी इंटरनेशनल के खिलाफ भारत द्वारा कार्रवाई के बारे में पूछा गया कि जकारिया ने कहा कि यह दर्शाता है कि कैसे भारत कश्मीर में मानवाधिकार के कथित मुद्दे को ले रहा है.
जकारिया ने कहा कि पाकिस्तान ने कश्मीर पर वार्ता करने के लिए भारत को प्रस्ताव दिया था. हालांकि उन्होंने इस बात की पुष्टि नहीं की कि भारत ने इस प्रस्ताव पर जवाब दिया है या नहीं. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या भारत ने वार्ता शुरू करने की कोई शर्त तो नहीं लगायी है, तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने प्रस्ताव रखा है कि कश्मीर वार्ता का मुख्य बिंदु होना चाहिए. जकारिया ने कहा कि पाकिस्तान ने अगले हफ्ते की बैठक के लिए दक्षेस देशों के वित्त मंत्रियों को न्योता दिया है लेकिन उसे अबतक अरुण जेटली के आने के बारे में पुष्टि का इंतजार है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा, ‘‘पिछले साल प्रधानमंत्री ने महासभा सत्र के दौरान कश्मीर का मामला मजबूत तरीके से रखा था और हम फिर इस मुद्दे को जबर्दस्त ढंग से उठाएंगे.’’ जकारिया ने बलूचिस्तान पर मोदी की टिप्पणी पर भी कड़ा एतराज जताया.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में बलूचिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में लोगों पर पाकिस्तानी अत्याचार का मुद्दा उठाया था. जकारिया ने कहा, ‘‘यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है... उन्होंने बलूचिस्तान के बारे में बात कर लक्ष्मण रेखा पार कर ली है.’’
उन्होंने आरोप लगाया कि भारत बलूचिस्तान और कराची में विध्वसंक गतिविधियों में शामिल है. भारत कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों को ढकने के लिए बलूचिस्तान का जिक्र कर रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शरीफ महासभा सत्र में जाने वाले आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे. संयुक्त राष्ट्र महासचिव और ज्यादातर संरा अधिकारियों को कश्मीर की कथित ‘संकटपूर्ण स्थिति’ से पहले ही अवगत करा दिया गया है.
जकारिया ने एक बार फिर अपना राग अलापा कि संयुक्त राष्ट्र एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत को याद दिलाना चाहिए कि वह सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक जम्मू कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार प्रदान करने का अपना वादा पूरा करे. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा छह दशक से भी अधिक समय से सुरक्षा परिषद के एजेंडे में लंबित है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘पाकिस्तान भारत द्वारा निरंतर बल प्रयोग और मानवाधिकार उल्लंघनों की निंदा करता है. बल के नृशंस इस्तेमाल से कम से कम 80 लोगों की जान चली गयी और पैलेट गन से कम से कम 100 लोगों की आंखों की रौशनी चली गयी.’’ जब उनसे एमनेस्टी इंटरनेशनल के खिलाफ भारत द्वारा कार्रवाई के बारे में पूछा गया कि जकारिया ने कहा कि यह दर्शाता है कि कैसे भारत कश्मीर में मानवाधिकार के कथित मुद्दे को ले रहा है.
जकारिया ने कहा कि पाकिस्तान ने कश्मीर पर वार्ता करने के लिए भारत को प्रस्ताव दिया था. हालांकि उन्होंने इस बात की पुष्टि नहीं की कि भारत ने इस प्रस्ताव पर जवाब दिया है या नहीं. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या भारत ने वार्ता शुरू करने की कोई शर्त तो नहीं लगायी है, तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने प्रस्ताव रखा है कि कश्मीर वार्ता का मुख्य बिंदु होना चाहिए. जकारिया ने कहा कि पाकिस्तान ने अगले हफ्ते की बैठक के लिए दक्षेस देशों के वित्त मंत्रियों को न्योता दिया है लेकिन उसे अबतक अरुण जेटली के आने के बारे में पुष्टि का इंतजार है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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