फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दुनियाभर में भूख के कारण मरने के कगार पर पहुंच गए लोगों की संख्या पिछले साल बढ़कर 12 करोड़ 40 लाख हो गई है. अगर इन लोगों को जल्द ही भोजन नहीं मिला तो इनकी मौत होने का खतरा है. संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी के प्रमुख डेविड बीसली ने यह जानकारी देते हुए बताया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग एक- दूसरे को गोली मारने से भी नहीं कतराते.
उन्होंने वीडियो लिंक के जरिए कल सुरक्षा परिषद को बताया कि भूख से जूझ रहे तकरीबन तीन करोड़ 20 लाख लोग चार संघर्षरत देश सोमालिया, यमन, दक्षिण सूडान और उत्तर पूर्व नाइजीरिया में रह रहे हैं. इन देशों को पिछले साल अकाल की स्थिति से बचा लिया गया.
विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक ने कहाकि भूख और संघर्ष के बीच संबंध विध्वंसकारी है. संघर्ष से खाद्य असुरक्षा पैदा होती है और खाद्य असुरक्षा से अस्थिरता तथा तनाव उत्पन्न होता है जिससे हिंसा फैलती है. बीसली ने कहा कि वैश्विक रूप से लंबे समय से भूखे 81 करोड़ 50 लाख लोगों में से 60 फीसदी लोग संघर्षरत इलाकों में रहते हैं और उन्हें यह पता नहीं होता कि अगली बार खाना कहां से मिलेगा.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने वीडियो लिंक के जरिए कल सुरक्षा परिषद को बताया कि भूख से जूझ रहे तकरीबन तीन करोड़ 20 लाख लोग चार संघर्षरत देश सोमालिया, यमन, दक्षिण सूडान और उत्तर पूर्व नाइजीरिया में रह रहे हैं. इन देशों को पिछले साल अकाल की स्थिति से बचा लिया गया.
विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक ने कहाकि भूख और संघर्ष के बीच संबंध विध्वंसकारी है. संघर्ष से खाद्य असुरक्षा पैदा होती है और खाद्य असुरक्षा से अस्थिरता तथा तनाव उत्पन्न होता है जिससे हिंसा फैलती है. बीसली ने कहा कि वैश्विक रूप से लंबे समय से भूखे 81 करोड़ 50 लाख लोगों में से 60 फीसदी लोग संघर्षरत इलाकों में रहते हैं और उन्हें यह पता नहीं होता कि अगली बार खाना कहां से मिलेगा.
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