नई दिल्ली:
केन्द्र सरकार ने कहा है कि काबुल में राष्ट्रीय अफगानिस्तान संग्रहालय में रखे जिस भिक्षापात्र के भगवान बुद्ध का होने का दावा किया जाता रहा है अब उसके बारे में ऐसी सूचना मिली है कि यह भगवान बुद्ध का भिक्षा पात्र नहीं है।
विदेश राज्य मंत्री प्रनीत कौर ने लोकसभा में आज रघुवंश प्रसाद सिंह के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एक बड़े आकार का शिला निर्मित पात्र इस समय काबुल स्थित अफगानिस्तान के राष्ट्रीय संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर रखा हुआ है। इसका वजन 200 से 300 किलोग्राम के बीच है और इसके उपर अरबी तथा फारसी भाषाओं में कुरान की आयतें लिखी हैं।
कौर ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हवाले से सूचित किया कि वे इस पात्र की तस्वीरों की विशेषज्ञों द्वारा जांच करवा रहे हैं। उन्होंने आगे जानकारी दी है कि प्रारंभिक अवलोकन से ऐसा प्रतीत होता है कि यह पात्र भगवान बुद्ध का भिक्षापात्र नहीं है।
उन्होंने बताया, भारतीय दूतावास भी इस मामले में और पूछताछ कर रहा है ताकि अफगानिस्तान प्राधिकारियों से इस पात्र के उद्गम स्थल के बारे में पुख्ता जानकारी हासिल की जा सके।
विदेश राज्य मंत्री प्रनीत कौर ने लोकसभा में आज रघुवंश प्रसाद सिंह के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एक बड़े आकार का शिला निर्मित पात्र इस समय काबुल स्थित अफगानिस्तान के राष्ट्रीय संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर रखा हुआ है। इसका वजन 200 से 300 किलोग्राम के बीच है और इसके उपर अरबी तथा फारसी भाषाओं में कुरान की आयतें लिखी हैं।
कौर ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हवाले से सूचित किया कि वे इस पात्र की तस्वीरों की विशेषज्ञों द्वारा जांच करवा रहे हैं। उन्होंने आगे जानकारी दी है कि प्रारंभिक अवलोकन से ऐसा प्रतीत होता है कि यह पात्र भगवान बुद्ध का भिक्षापात्र नहीं है।
उन्होंने बताया, भारतीय दूतावास भी इस मामले में और पूछताछ कर रहा है ताकि अफगानिस्तान प्राधिकारियों से इस पात्र के उद्गम स्थल के बारे में पुख्ता जानकारी हासिल की जा सके।
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