लंदन:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के 12वीं सदी के दार्शनिक और समाज सुधारक बसवेश्वर की प्रतिमा का अनावरण किया और कहा कि मैग्नाकार्टा से बहुत पहले इस महान दार्शनिक ने दुनिया को लोकतंत्र का विचार दिया था।
पीएम मोदी ने कहा, बसवेश्वर ने जाति व्यवस्था और समाज की बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। मुझे उम्मीद है कि लोग उस बात को समझने का प्रयास करेंगे, जिसकी उन्होंने वकालत की थी। बसवेश्वर को कर्मयोगी बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने 'कर्म ही पूजा है'... के संदेश को फैलाया और मैग्नाकार्टा से बहुत पहले संसदीय लोकतंत्र की वकालत की।
उन्होंने कहा, जब मैं (ब्रिटिश) प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ था, वह मुझे मैग्नाकार्टा के बारे में बता रहे थे। लेकिन उससे (मैग्नाकार्टा) बहुत पहले बसवेश्वर ने लोकतंत्र के सिद्धांतों को हमें दिया।
उल्लेखनीय है कि मैग्नाकार्टा का आशय उस 'महान घोषणापत्र' से है, जो विश्व के सबसे विख्यात दस्तावेजों में से एक है। इसे मूल रूप से इंग्लैड के किंग जॉन ने 1215 में राजनीतिक संकटों का सामना करते समय व्यवहारिक समाधान के तौर पर पेश किया था। मैग्नाकार्टा में पहली बार राजा सहित सभी के लिए यह सिद्धांत स्थापित किया गया कि सभी कानून के दायरे में हैं।
पीएम मोदी ने कहा, बसवेश्वर ने जाति व्यवस्था और समाज की बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। मुझे उम्मीद है कि लोग उस बात को समझने का प्रयास करेंगे, जिसकी उन्होंने वकालत की थी। बसवेश्वर को कर्मयोगी बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने 'कर्म ही पूजा है'... के संदेश को फैलाया और मैग्नाकार्टा से बहुत पहले संसदीय लोकतंत्र की वकालत की।
उन्होंने कहा, जब मैं (ब्रिटिश) प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ था, वह मुझे मैग्नाकार्टा के बारे में बता रहे थे। लेकिन उससे (मैग्नाकार्टा) बहुत पहले बसवेश्वर ने लोकतंत्र के सिद्धांतों को हमें दिया।
उल्लेखनीय है कि मैग्नाकार्टा का आशय उस 'महान घोषणापत्र' से है, जो विश्व के सबसे विख्यात दस्तावेजों में से एक है। इसे मूल रूप से इंग्लैड के किंग जॉन ने 1215 में राजनीतिक संकटों का सामना करते समय व्यवहारिक समाधान के तौर पर पेश किया था। मैग्नाकार्टा में पहली बार राजा सहित सभी के लिए यह सिद्धांत स्थापित किया गया कि सभी कानून के दायरे में हैं।
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