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आतंक की इमारतों को फिर खड़ा कर रहा लश्कर और जैश, तस्वीरों ने खोली पाकिस्तान की पोल

पाकिस्तान में लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद उन इमारतों को दोबारा बना रहा है, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के मिसाइल हमले में ध्वस्त हो गई थीं.

आतंक की इमारतों को फिर खड़ा कर रहा लश्कर और जैश, तस्वीरों ने खोली पाकिस्तान की पोल
  • पाकिस्तान ने लश्कर ए तैयबा के ध्वस्त मुख्यालय मरकज ए तैयबा को फिर से खड़ा करने का काम शुरू कर दिया है
  • 7 मई को भारतीय वायुसेना के हमले में मरकज ए तैयबा का मुख्यालय पूरी तरह तबाह हो गया था
  • लश्कर ए तैयबा ने 18 अगस्त को भारी मशीनरी से मलबा हटाने और पुनर्निर्माण की गतिविधियां तेज कर दीं
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नई दिल्ली:

भारत को लेकर न पाकिस्तान की नीयत बदलती दिख रही है और न ही उसके द्वारा पाले-पोसे जाने वाले आतंकी संगठनों की. यही वजह है कि पाकिस्तान में आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का वो हेडक्वार्टर, जो अब दोबारा खड़ा किया है. जिसे भारत ने पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत सटीक स्ट्राइक में मिट्टी में मिला दिया था. पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी के सहयोग से पाक पंजाब के मुरीदके में लश्कर के तैयबा के ध्वस्त मुख्यालय की इमारतें दोबारा खड़ी की जा रही हैं. 7 मई को भारतीय वायुसेना के मिसाइल हमले में ये मलबे में तब्दील हो गया था. 

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने ऐसी सूचनाओं का पूरा डोजियर तैयार किया है, जो एनडीटीवी के पास भी है. डोजियर के अनुसार, लश्कर ए तैयबा अपने ध्वस्त मुख्यालय  मरकज ए तैयबा को दोबारा खड़ा कर रहा है. 22 मई को पहलगाम हमले के बाद इंडियन एयरफोर्स के मिराज एयरक्राफ्ट ने पाकिस्तान पंजाब स्थित मरकज ए तैयबा के एक एकड़ में बने मुख्यालय को निशाना बनाया था. इसमें मुख्यालय की तीन मुख्य इमारतों को खंडहर बना दिया था. इसमें एक लाल रंग की इमारत थी, जिसमें कैडर के रहने और उनके हथियारों का भंडारण किया जाता था. वहीं उम्म उल कुरा नाम से दो मंजिला बिल्डिंग भी थी, जहां ट्रेनिंग दी जाती थी. साथ ही सीनियर आतंकी कमांडर यहां रहते थे. हमले के बाद यहां सिर्फ खाक इमारतों का ढांचा ही रह गया और बाकी मलबे में तब्दील हो गया. वर्ष 2008 के मुंबई हमले के बाद लश्कर ए तैयबा और उसके सरगना हाफिज सईद के लिए ये सबसे तगड़ा झटका था.

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जानकारी के मुताबिक, लश्कर ए तैयबा ने 18 अगस्त को यहां बुलडोजर और भारी मशीनें बुलवाईं और मलबे को हटाने का काम शुरू किया. HUMINT के वीडियो से ये खुलासा हुआ और लश्कर कैडर्स को यहां साफ-सफाई में जुटते देखा गया.4 सितंबर को दोनों खंडहर इमारतों को भी जमींदोज कर दिया गया. बताया जा रहा है कि लश्कर की कोशिश 5 फरवरी 2026 को कश्मीरी एकजुटता दिवस तक इन इमारतों को दोबारा खड़ी करने की है, ताकि उस दिन सालाना जलसा किया जा सके.खुफिया रिपोर्ट से ये साफ संकेत मिलता है कि मरकज आतंकियों के इस ट्रेनिंग, ब्रेनवॉश और उन्हें हथियार चलाने जैसी ट्रेनिंग की धुरी की तरह काम करता रहेगा. पाकिस्तान की सेना और सरकार का उसे समर्थन बदस्तूर जारी है.  

लश्कर का शीर्ष कमांडर जिम्मेदारी संभाल रहा
लश्कर के इस मुख्यालय को दोबारा खड़ा करने की जिम्मेदारी मौलाना अबू जार संभाल रहा है, जो मरकज तैयबा का डायरेक्टर है. उसके साथ लश्कर ए तैयबा का चीफ ट्रेनर(उस्ताद उल मुजाहिदीन) और आतंकी संगठन के ऑपरेशनल कामकाज की निगरानी करने वाला युनूस शाह बुखारी भी इसकी देखरेख में जुटा है. लश्कर ने अस्थायी तौर पर अपने ट्रेनिंग कैंप को बहावलपुर के मरकज अक्सा और फिर कसूर जिले के मरकज यारमोक के पतोकी में शिफ्ट कर दिया है. जहां लश्कर के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी का भरोसेमंद कमांडर अब्दुल राशिद मोहसिन इसकी जिम्मेदारी संभाल रहा है.

lashkar commander

lashkar commander

पाकिस्तान की भूमिका
डोजियर के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ध्वस्त लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद की इमारतों को दोबारा खड़ी करने के लिए वित्तीय मदद का खुला तौर पर ऐलान किया है. अगस्त में लश्कर को 1.25 करोड़ रुपये पाकिस्तान सरकार से मिले थे. लेकिन अनुमान है कि इन इमारतों को खड़ा करने में करीब 15 करोड़ पाकिस्तानी रुपये लगेंगे. इससे आतंकवाद के खिलाफ जंग के पाकिस्तानी इरादे भी बेनकाब होते हैं. वो खुद को आतंकवाद का पीड़ित बताता है, लेकिन सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देता है.

लश्कर ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के नाम पर चंदा इकट्ठा करना भी शुरू कर दिया है. पाकिस्तानी सेना के रेंजर्स के साथ लश्कर के कैडर अक्सर राहत सामग्री वितरण करने के कार्यक्रमों में मदद का दिखावा भी करते हैं, ताकि मुरीदके में दोबारा आतंक की इमारतों को तैयार करने के लिए बड़े पैमाने पर चंदा इकट्ठा किया जा सके. पहले भी भूकंप में पीड़ितों की मदद के नाम पर वो ऐसा कर चुका है. लेकिन जांच में पाया गया कि इस रकम का 80 फीसदी तक हिस्सा वो आतंक के ढांचों को तैयार करने में करता है.

(आदित्य राज कौल की रिपोर्ट...) 

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