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This Article is From Oct 02, 2015

जम्मू-कश्मीर का मुख्य मुद्दा किसी भी द्विपक्षीय वार्ता के एजेंडे में शीर्ष पर रहेगा : पाक

जम्मू-कश्मीर का मुख्य मुद्दा किसी भी द्विपक्षीय वार्ता के एजेंडे में शीर्ष पर रहेगा : पाक
संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते नवाज शरीफ (फाइल फोटो)
संयुक्त राष्ट्र: ‘वार्ता और आतंकवाद के साथ-साथ नहीं चल सकने’ की बात भारत के स्पष्ट करने के बाद पाकिस्तान ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर का मुख्य मुद्दा किसी भी द्विपक्षीय वार्ता के लिए हमेशा ही शीर्ष पर रहेगा।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था कि पाकिस्तान ने भारत पर वार्ता को रोकने के लिए ‘आतंकवाद के शैतान’ का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए अपने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल किया है।

सुषमा ने अपने संबोधन में कहा था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा प्रस्तावित चार सूत्री शांति पहल की बजाय वह महज एक मुद्दे (आतंकवाद) का हल कर दे।

आतंकवाद द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचा रहा
उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान से उत्पन्न हो रहा आतंकवाद द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि ‘वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते।’ हालांकि पाकिस्तान ने अपनी सरजमीं पर अशांति और आतंकवाद के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इसने इस सिलसिले में दस्तावेज संरा महासचिव बान की मून को सौंप दिए हैं।

आरोप : भारत ने न सिर्फ द्विपक्षीय वार्ता को बाधित किया है
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थाई दूतावास में वाणिज्य दूत बिलाल अहमद ने आरोप लगाया, ‘‘आतंकवाद के शैतान का इस्तेमाल करते हुए भारत ने न सिर्फ द्विपक्षीय वार्ता को बाधित किया है, बल्कि दोनों देशों के बीच पूरे माहौल को भी खराब कर दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर के प्रमुख मुद्दे को केवल बयानबाजी से दरकिनार नहीं किया जा सकता। यह भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी वार्ता में हमेशा शीर्ष एजेंडे पर रहा है और रहेगा।’’

अहमद ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा इस सर्वोच्च मंच से प्रस्तावित गंभीर शांति पहल की अनदेखी करके भारत ढोंग कर रहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को सूचित किया कि पाकिस्तान ने कल संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को दस्तावेज सौंपे हैं, जिसे कथित भारतीय संलिप्तता का ‘सबूत’ कहा गया है।

अहमद ने कहा कि ‘दस्तावेजों में भारतीय हस्तक्षेप और बलूचिस्तान तथा कराची में आतंकवाद को समर्थन देने तथा खासकर ‘फाटा’ (संघ प्रशासित कबायली क्षेत्र) में तहरीक-ए-तालिबान से भारत की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के सपंर्क का ब्यौरा है।’ संयुक्त राष्ट्र में शरीफ द्वारा कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के एक दिन बाद सुषमा ने इसी मंच का इस्तेमाल करते हुए भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर के हिस्सों पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे का मुद्दा उठाने के लिए किया और कहा कि इस कब्जे को वैध ठहराने के लिए वहां से आतंकवादी हमले किए जाते हैं।

सुषमा ने 193 सदस्यीय वैश्विक संस्था के समक्ष अपने संबोधन में कहा, ‘हमें चार सूत्री बिंदुओं की जरूरत नहीं है, हमें सिर्फ एक की जरूरत है, आतंकवाद छोड़ दे और वार्ता के लिए हमारे साथ बैठें।’

भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में खासकर अगस्त में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तर की वार्ता रद्द होने के बाद ठहराव आ गया है। यह वार्ता इस्लामाबाद द्वारा प्रस्तावित एजेंडे पर मतभेदों और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज की कश्मीरी अलगावादियों से मुलाकात की योजना के चलते रद्द हो गई थी।

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