
- विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री गैन किम योंग से मुलाकात कर द्विपक्षीय पहलों में निरंतर प्रगति पर संतोष व्यक्त किया.
- जयशंकर तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (आईएसएमआर) के आयोजन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जो नई दिल्ली में होगा.
- सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन ने भारत को विश्व बहुध्रुवीयता के प्रमुख ध्रुवों में से एक बताते हुए सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि वह सिंगापुर के साथ विभिन्न द्विपक्षीय पहलों में 'लगातार प्रगति देखकर खुश हैं'. उन्होंने सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री गैन किम योंग से मुलाकात की. जयशंकर सिंगापुर और चीन की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. जयशंकर ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'उप प्रधानमंत्री गैन किम योंग से मिलकर अच्छा लगा.'' विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें विभिन्न द्विपक्षीय पहलों में लगातार प्रगति देखकर खुशी हुई.
तीसरे सम्मेलन का इंतजार
जयशंकर ने यह भी कहा कि वह तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (आईएसएमआर) का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इससे पहले, जयशंकर ने अपने समकक्ष विवियन बालाकृष्णन से मुलाकात की और कहा, 'सिंगापुर हमारी ‘एक्ट ईस्ट' नीति के केंद्र में है. वहां विचारों का आदान-प्रदान करना हमेशा उपयोगी होता है.' मीटिंग के बारे में पोस्ट करते हुए बालाकृष्णन ने कहा, 'जैसे-जैसे विश्व बहुध्रुवीयता की ओर अग्रसर हो रहा है, भारत अवसर के इन प्रमुख ध्रुवों में से एक के रूप में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.'
दिल्ली में होगा अहम सम्मेलन
सिंगापुर के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि वह तीसरी आईएसएमआर बैठक के लिए नयी दिल्ली में जयशंकर से मिलने को उत्सुक हैं. आईएसएमआर की उद्घाटन बैठक सितंबर 2022 में नयी दिल्ली में हुई थी, जबकि आईएसएमआर का दूसरा दौर पिछले साल अगस्त में सिंगापुर में आयोजित किया गया था. जयशंकर ने टेमासेक होल्डिंग्स के मनोनीत अध्यक्ष टेओ ची हेन से भी मुलाकात की, जिस दौरान उन्होंने भारत में निवेश के अवसरों पर चर्चा की.
सिंगापुर के बाद चीन अगला पड़ाव
सिंगापुर यात्रा के बाद जयशंकर चीन के शहर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे. जयशंकर पांच साल बाद चीन के दौरे पर जा रहे हैं. उनके चीन दौरे से पहले यहां चीन के दूतावास की तरफ से कहा गया है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी सहित तिब्बत से संबंधित मुद्दे भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में एक ‘कांटा'हैं. साथ ही ये मसले नई दिल्ली के लिए एक 'बोझ' बन गए हैं. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में आए गंभीर तनाव के बाद यह जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं