ईरान और इजरायल के बीच के तनाव (Isreal-Iran Conflict) ने कई देशों की सिरदर्दी बढ़ा दी है. ईरान के हमले के बाद सभी की निगाहें इजरायल की प्रतिक्रिया पर लगी हैं, लेकिन फिलहाल इजरायल के वॉर कैबिनेट ने इस तनाव को और बढ़ाने का कोई संकेत नहीं दिया है, जबकि हमले को विफल करने में मदद करने वाले सहयोगियों ने इजरायल से फिर भी सावधानी बरतने को कहा है. दरअसल 1 अप्रैल को दमिश्क में इस्लामिक गणराज्य के वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में शनिवार को ईरान ने इजरायल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइल दागी.
जिसके बाद इजरायली पीएम नेतन्याहू ने अपने वॉर कैबिनेट से दो बार मुलाकात की है, और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को फोन किया है. लेकिन उन्होंने रविवार के बाद से इस मामले पर सार्वजनिक रूप से बात नहीं की है. इज़रायली सेना प्रमुख हर्ज़ी हलेवी ने सोमवार को सैनिकों से कहा कि ईरान के हमले का जवाब दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने इसका समय नहीं बताया. तेल अवीव विश्वविद्यालय में ईरान के शोधकर्ता रज़ ज़िम्म्ट ने एएफपी को बताया कि इजरायली सरकार पर प्रतिक्रिया देने के लिए पिछले 48 घंटों में बहुत दबाव रहा है.
उन्होंने कहा, "मुझे यकीन नहीं है कि इजरायली सरकार किसी तत्काल प्रतिक्रिया से बच सकती है, भले ही वह बड़े पैमाने पर टकराव में शामिल नहीं होना चाहती हो." ज़िम्म्ट ने कहा कि वह "ईरान में इजरायल की ज़िम्मेदारी लिए बिना कुछ गुप्त गतिविधि" देखना पसंद करेंगे. इज़रायल, जिसे गाजा में युद्ध के कारण अलग-थलग पड़ने का डर सता रहा था. उसने ईरान के हमले को रोकने में जॉर्डन, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के सहयोग की प्रशंसा की. पश्चिमी देशों ने तनाव बढ़ने की चेतावनी दी है. वहीं एक अमेरिकी अधिकारी ने साफ कहा कि वाशिंगटन इजरायल के किसी भी संभावित जवाबी हमले में भाग नहीं लेगा.
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