ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा है कि अगर अमेरिका इजरायल के साथ युद्ध में सक्रिय तौर पर शामिल होता है तो यह 'सभी के लिए बेहद खतरनाक' होगा. अराघची का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी सैन्य भागीदारी पर विचार कर रहे हैं. अराघची ने इसी संदर्भ में कहा कि अगर ऐसा होता है तो 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होगा'. ' अराघची ने यह बात जिनेवा से वार्ता के बाद लौटते समय इस्तांबुल में पत्रकारों से बातचीत में कही. हालांकि इस बातचीत में कोई कूटनीतिक सफलता हासिल नहीं हो सकी.
परमाणु रिएक्टर्स पर चिंता बढ़ी
वार्ता खत्म होने पर अराघची ने कहा कि वह आगे की बातचीत के लिए तैयार हैं. लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इजरायल की तरफ से हमले जारी रहने के बीच तेहरान को अमेरिका के साथ बातचीत करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. इजरायल और ईरान के बीच तनाव कम करने के उद्देश्य से घंटों चली कूटनीतिक वार्ता विफल हो गई है. यूरोपियन मंत्रियों और ईरान के शीर्ष राजनयिकों के बीच शुक्रवार को जेनेवा में चार घंटे तक बैठक हुई. ठीक इसी समय राष्ट्रपति ट्रंप युद्ध में अमेरिकी सेना को उतारने पर विचार कर रहे थे और परमाणु रिएक्टरों पर संभावित हमलों को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं.
अमेरिका के साथ वार्ता में रुचि नहीं
यूरोपियन अधिकारियों ने भविष्य में वार्ता की उम्मीद जताई है. अब्बास अरागची ने कहा है कि कि वह आगे भी वार्ता के लिए तैयार हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इजरायल की ओर से लगातार हमले किए जाने के कारण ईरान को अमेरिका के साथ वार्ता करने में कोई रुचि नहीं है. उन्होंने कहा, 'यदि हमले बंद हो जाएं और हमलावर को उसके अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए तो ईरान कूटनीतिक कदमों पर विचार करने के लिए तैयार है.' वार्ता के लिए कोई अगली तारीख तय नहीं की गई है.
नेतन्याहू की खरी-खरी
वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि जब तक उनका देश चाहेगा तब तक ईरान में इजरायल का सैन्य अभियान चलेगा. इसका मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम और बैलिस्टिक मिसाइलों को खत्म करना है. इजरायल के एक टॉप जनरल ने भी इसी तरह की चेतावनी देते हुए कहा कि इजरायली सेना लंबे अभियान के लिए तैयार है. हालांकि नेतान्याहू अमेरिका की मदद के बिना यह लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते. माना जा रहा है कि ईरान की फोरडो यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी बंकरों को तबाह करने वाले अमेरिका के बमों से अभी बची हुई है. ट्रंप ने कहा है कि वह ईरान के खिलाफ इजराइल के अभियान में अमेरिका के शामिल होने को लेकर दो सप्ताह में फैसला लेंगे.
12 जून से जारी हैं हमलें
इजरायल ने 13 जून को ईरान परमाणु और सैन्य ठिकानों, शीर्ष जनरलों और परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाकर हमले किए थे. इसके जवाब में ईरान की ओर से हवाई हमले किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया था. वाशिंगटन में स्थित ईरानी मानवाधिकार समूह के अनुसार, ईरान में 263 आम नागरिकों समेत कम से कम 657 लोग मारे गए हैं और 2,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं. इजरायली सेना के अनुमान के अनुसार, ईरान ने इजराइल पर 450 मिसाइलें और 1,000 ड्रोन दागकर जवाबी कार्रवाई की है. सेना के अनुसार, अधिकांश मिसाइलों और ड्रोन को इजरायल की मल्टी लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम ने ढेर कर दिया है. हालांकि इन हमलों में इजरायल में कम से कम 24 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं.
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