इज़रायल-हमास संघर्ष (Israel Palestine Conflict) की शुरुआत के बाद से, सैकड़ों पत्रकार, संवाददाता, फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर युद्ध की रिपोर्टिंग कर रहे हैं. हालांकि उन्हें इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ रही है. कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने सोमवार को एक बयान में बताया कि इजरायल और हमास के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद से कम से कम 15 पत्रकार मारे गए हैं. सीपीजे न्यूयॉर्क स्थित एक स्वतंत्र संगठन है जो विश्व स्तर पर प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है.
मारे गए 15 पत्रकारों में से 11 फ़िलिस्तीनी, तीन इज़रायली और एक लेबनानी थे. इसके अलावा, 8 पत्रकारों के घायल होने और 3 के लापता होने या हिरासत में लिए जाने की सूचना है. संगठन वर्तमान में कई अन्य पत्रकारों के "मारे जाने, लापता होने, हिरासत में लिए जाने या धमकी दिए जाने" की 100 से अधिक रिपोर्टों की भी जांच कर रहा है.
इज़रायल-हमास संघर्ष के दौरान मारे गए पत्रकारों की लिस्ट
- इब्राहिम मोहम्मद लफी
- मोहम्मद जारघोन
- मोहम्मद अल-साल्ही
- यानिव ज़ोहर
- ऐलेट अर्निन
- शाइ रेगेव
- असद शामलाख
- हिशाम अलनवाझा
- मोहम्मद सोभ
- सईद अल-तवील
- मोहम्मद फ़ैज़ अबू मटर
- अहमद शेहाब
- इस्साम अब्दुल्ला
- हुसाम मुबारक
- सलाम मेमा
सीपीजे के मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम समन्वयक शेरिफ मंसूर ने कहा कि पत्रकार ऐसे नागरिक हैं जो संकट के समय महत्वपूर्ण काम कर रहे होते हैं और उन्हें युद्ध के दौरान निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए. पूरे दुनिया के पत्रकार इस दिल दहला देने वाले संघर्ष को कवर करने के लिए महान बलिदान दे रहे हैं. सभी पक्षों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए.
सीपीजे के बयान में कहा गया है कि गाजा में पत्रकारों को अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है क्योंकि वे इजरायली सैनिकों द्वारा जमीनी हमले, हवाई हमलों, बाधित संचार और व्यापक बिजली कटौती की स्थिति में संघर्ष को कवर करने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले शुक्रवार को, दक्षिणी लेबनान में रॉयटर्स के एक वीडियो पत्रकार की मौत हो गई थी और छह अन्य पत्रकार घायल हो गए थे. यह घटना तब हुई थी जब इज़राइल की दिशा से दागी गई मिसाइलें उन पर गिरीं थी.
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